मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच वर्ल्ड कप का फ़ाइनल मुक़ाबला, न्यूज़ीलैंड के विकेटकीपर बल्लेबाज़ी ल्यूक रॉन्ची के सामने किसी धर्म संकट से कम नहीं है।
एक ओर उनकी पुरानी टीम है ऑस्ट्रेलिया और दूसरी उनकी नई टीम है न्यूज़ीलैंड। जी हां, ल्यूक रॉन्ची इकलौते ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड दोनों की ओर से इंटरनेशनल क्रिकेट में हिस्सा लिया है।
रॉन्ची का जन्म न्यूजीलैंड के डेनेविर्के में हुआ था, लेकिन 6 साल की उम्र में वे अपने परिवार के साथ पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया चले आए। जल्दी ही वहां के घरेलू क्रिकेट में उनकी पहचान बन गई। उन्हें 'भविष्य का गिलक्रिस्ट' तक कहा जाने लगा। विकेटकीपिंग के साथ-साथ तूफानी अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करने वाले रॉन्ची को 2008 में ऑस्ट्रेलिया की ओर से वनडे मैच में डेब्यू करने का मौका मिल गया।
रॉन्ची ने दूसरे ही वनडे में महज 22 गेंद पर हाफ़सेंचुरी जमा दी। लेकिन रॉन्ची को आगे चलकर ऑस्ट्रेलिया की ओर से केवल 4 वनडे और तीन टी-20 मैच खेलने का मौका मिला। ब्रैड हैडिन की मौजूदगी से रॉन्ची को एहसास हो गया कि उन्हें अब ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेलने का मौका शायद ही मिले।
वे 2012 में न्यूज़ीलैंड लौट गए और 2013 के आते-आते न्यूज़ीलैंड की टीम में शामिल हो गए। जनवरी, 2015 में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ महज 99 गेंद पर 170 रनों की तूफानी पारी खेली। इसी वर्ल्ड कप सेमीफ़ाइनल में उनके साथी खिलाड़ी ग्रैंट इलिएट ने अपने मूल देश दक्षिण अफ्रीका को बाहर करने का कारनामा दिखाया है, ऐसे में ल्यूक रॉन्ची के सामने भी धर्म संकट तो होगा। लेकिन ल्यूक रॉन्ची की मां मैग्गी रॉन्ची ने फ़ाइनल मुक़ाबले से पहले कहा कि उनका बेटा एक कीवी है।
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