जस्टिस मुद्गल की देखरेख में हुआ था चयनकर्ताओं का चयन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसके द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल के निर्देश पर चुने गए तीन चयनकर्ताओं को विभिन्न पैनल से हटाने के फैसले के लिए दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) को फटकार लगाते हुए कहा कि यह अवमानना का मामला है और डीडीसीए ने एक बार फिर ‘हद पार’ की है.
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने कहा कि डीडीसीए ने ‘अपनी हद पार’ की है जबकि उच्च न्यायालय ने पहले ही इस मामले को खत्म कर दिया था और इस पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था.
डीडीसीए से यह पूछते हुए कहा कि क्या उन्होंने अपने फैसले से न्यायमूर्ति मुद्गल को अवगत कराया था, पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि आप (डीडीसीए) यहां सभी के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं. यह अदालत की अवमानना है.’’ डीडीसीए में विभिन्न विवादास्पद मुद्दों को देखते हुए न्यायमूर्ति मुद्गल को उच्च न्यायालय ने पिछले साल क्रिकेट संघ के मामलों के संचालन के लिए नियुक्त किया था.
डीडीसीए की खेल समिति ने हाल में पूर्व भारतीय क्रिकेटरों मनिंदर सिंह, अतुल वासन और निखिल चोपड़ा को उनके संबंधित पैनल में से चयनकर्ताओं के रूप में हटा दिया था.
न्यायमूर्ति मुद्गल ने इसके बाद अपने वकील नितिन मिश्रा के जरिये अदालत की शरण में जाते हुए डीडीसीए के इस फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की थी.
हालांकि, डीडीसीए की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमन लेखी ने कहा कि चयनकर्ताओं को हितों में टकराव का नोटिस जारी किया गया था जिसके बाद अदालत ने कहा कि वे इस मामले की सुनवाई बाद में करेंगे. फिलहाल टीम का चयन कर रहे जूनियर और सीनियर चयन पैनल का गठन मुद्गल के निरीक्षण में किया गया था. मुदगल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं.
अदालत के समक्ष आवेदन करते हुए न्यायमूर्ति मुद्गल ने कहा, ‘‘चयन पैनल द्वारा साक्षात्कार की प्रक्रिया के जरिये मेरे निरीक्षण में नियुक्त चयनकर्ता फिलहाल सीनियर और जूनियर टीमों का चयन करने की प्रक्रिया में थे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ निदेशकों और (डीडीसीए) खेल समिति के समंवयक द्वारा मेरी और दिल्ली उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना चयनकर्ताओं को चयन पैनल से हटाने का लक्ष्य सिर्फ घरेलू सत्र को नुकसान पहुंचाना है.’’ न्यायमूर्ति मुद्गल ने कहा, ‘‘चयनकर्ता पहले ही विभिन्न टीमों का चयन कर चुके हैं जो घरेलू मैच खेल रही हैं.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने कहा कि डीडीसीए ने ‘अपनी हद पार’ की है जबकि उच्च न्यायालय ने पहले ही इस मामले को खत्म कर दिया था और इस पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था.
डीडीसीए से यह पूछते हुए कहा कि क्या उन्होंने अपने फैसले से न्यायमूर्ति मुद्गल को अवगत कराया था, पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि आप (डीडीसीए) यहां सभी के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं. यह अदालत की अवमानना है.’’ डीडीसीए में विभिन्न विवादास्पद मुद्दों को देखते हुए न्यायमूर्ति मुद्गल को उच्च न्यायालय ने पिछले साल क्रिकेट संघ के मामलों के संचालन के लिए नियुक्त किया था.
डीडीसीए की खेल समिति ने हाल में पूर्व भारतीय क्रिकेटरों मनिंदर सिंह, अतुल वासन और निखिल चोपड़ा को उनके संबंधित पैनल में से चयनकर्ताओं के रूप में हटा दिया था.
न्यायमूर्ति मुद्गल ने इसके बाद अपने वकील नितिन मिश्रा के जरिये अदालत की शरण में जाते हुए डीडीसीए के इस फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की थी.
हालांकि, डीडीसीए की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमन लेखी ने कहा कि चयनकर्ताओं को हितों में टकराव का नोटिस जारी किया गया था जिसके बाद अदालत ने कहा कि वे इस मामले की सुनवाई बाद में करेंगे. फिलहाल टीम का चयन कर रहे जूनियर और सीनियर चयन पैनल का गठन मुद्गल के निरीक्षण में किया गया था. मुदगल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं.
अदालत के समक्ष आवेदन करते हुए न्यायमूर्ति मुद्गल ने कहा, ‘‘चयन पैनल द्वारा साक्षात्कार की प्रक्रिया के जरिये मेरे निरीक्षण में नियुक्त चयनकर्ता फिलहाल सीनियर और जूनियर टीमों का चयन करने की प्रक्रिया में थे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ निदेशकों और (डीडीसीए) खेल समिति के समंवयक द्वारा मेरी और दिल्ली उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना चयनकर्ताओं को चयन पैनल से हटाने का लक्ष्य सिर्फ घरेलू सत्र को नुकसान पहुंचाना है.’’ न्यायमूर्ति मुद्गल ने कहा, ‘‘चयनकर्ता पहले ही विभिन्न टीमों का चयन कर चुके हैं जो घरेलू मैच खेल रही हैं.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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