नई दिल्ली:
क्या टेस्ट क्रिकेट में 'पिंक' यानी गुलाबी गेंद का इस्तेमाल होने वाला है? कम से कम गेंद को बनाने वाली कंपनी कूकाबुरा का तो यही मानना है।
दरअसल, इसी साल के नवंबर महीने में ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच एक टेस्ट मैच होना था, जो क्रिकेट इतिहास का पहला डे-नाइट टेस्ट मैच होना है और इस मैच के लिए कूकाबुरा ने ऐलान किया है कि उनकी 'पिंक' गेंद पूरी तरह तैयार है। कंपनी की मानें तो वो पिछले पांच साल से इस पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के क्रिकेट बोर्ड को काफी समय से गेंदों के नमूने भेजे हुए हैं और हर किसी ने उन्हें सकारात्मक नतीजे ही दिए हैं। जैसे-जैसे पिंक गेंद पुरानी होती जाती है वैसे-वैसे उसे रात में देखना मुश्किल होता जाता है, लेकिन गेंद बनाने वाली कंपनी की मानें तो उसने इस कमी को भी दूर कर दिया है। अब देखना ये है कि कंपनी के दावे कितने सही साबित होते हैं।
पिछले कुछ समय से टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए ये सुझाव दिया जा रहा है कि टेस्ट क्रिकेट को डे-नाइट फॉर्मेट में खेला जाना चाहिए और नवंबर में ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड के बीच होने वाला टेस्ट मैच इसी की शुरुआत हो सकता है।
दरअसल, इसी साल के नवंबर महीने में ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच एक टेस्ट मैच होना था, जो क्रिकेट इतिहास का पहला डे-नाइट टेस्ट मैच होना है और इस मैच के लिए कूकाबुरा ने ऐलान किया है कि उनकी 'पिंक' गेंद पूरी तरह तैयार है। कंपनी की मानें तो वो पिछले पांच साल से इस पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के क्रिकेट बोर्ड को काफी समय से गेंदों के नमूने भेजे हुए हैं और हर किसी ने उन्हें सकारात्मक नतीजे ही दिए हैं। जैसे-जैसे पिंक गेंद पुरानी होती जाती है वैसे-वैसे उसे रात में देखना मुश्किल होता जाता है, लेकिन गेंद बनाने वाली कंपनी की मानें तो उसने इस कमी को भी दूर कर दिया है। अब देखना ये है कि कंपनी के दावे कितने सही साबित होते हैं।
पिछले कुछ समय से टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए ये सुझाव दिया जा रहा है कि टेस्ट क्रिकेट को डे-नाइट फॉर्मेट में खेला जाना चाहिए और नवंबर में ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड के बीच होने वाला टेस्ट मैच इसी की शुरुआत हो सकता है।
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