यह ख़बर 04 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

महेंद्र सिंह धोनी पर उठे हितों के टकराव से जुड़े सवाल?

खास बातें

  • भारतीय क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग की जांच जहां जारी है वहीं अब हितों के टकराव के मामले में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी घिरते दिखाई जान पड़ रहे हैं। अब टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की प्रतिबद्धता ही शक के घेरे में आ गई है।
नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग की जांच जहां जारी है वहीं अब हितों के टकराव के मामले में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी घिरते दिखाई जान पड़ रहे हैं। अब टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की प्रतिबद्धता ही शक के घेरे में आ गई है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्पोर्ट्स मार्केटिंग फर्म रीति स्पोर्ट्स में धोनी की 15 फीसदी हिस्सेदारी है। इस कंपनी ने धोनी के अलावा सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा, प्रज्ञान ओझा और आरपी सिंह से अनुबंध किया है।

ऐसे में साफ तौर पर हितों के टकराव की स्थिति बनती दिख रही है क्योंकि बिजनेस पार्टनर होने के अलावा वह टीम इंडिया के कप्तान भी हैं और खिलाड़ियों के चयन में उनका सीधे तौर पर दखल है।

हालांकि रीति स्पोर्ट्स ने साफ किया है कि धोनी सिर्फ थोड़े समय के लिए ही कंपनी में शेयरहोल्डर थे और वर्तमान में वह हिस्सेदार नहीं है। कंपनी ने बताया कि 26 अप्रैल, 2013 को धोनी की हिस्सेदारी कंपनी से समाप्त हो गई।

वहीं, बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने भी धोनी का बचाव करते हुए कहा कि इस मामले पर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी।

क्रिकेटर आरपी सिंह ने अपनी ओर से सफाई देते हुए कहा है कि उनका रीति स्पोर्ट्स से कोई अनुबंध नहीं है।

वर्ष 2010 में रीति स्पोर्ट्स ने धोनी के साथ 210 करोड़ रुपये की डील की थी, जिसमें धोनी को हर साल 70 करोड़ रुपये मिलने थे।

रोचक बात यह है कि यह कंपनी धोनी के पुराने दोस्त अरुण पांडे की है। इस कंपनी से जुड़े दो खिलाड़ी न सिर्फ भारतीय टीम बल्कि चेन्नई सुपर किंग्स में भी शामिल हैं।

रीति स्पोर्ट्स चेन्नई सुपर किंग्स को भी मैनेज करती है। 15 फीसदी हिस्सेदारी का सीधा मतलब यह हुआ कि कंपनी को इन खिलाड़ियों के प्रमोशन से होने वाले फायदे का 15 फीसदी हिस्सा सीधे धोनी को देना होता था।

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ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या इन खिलाड़ियों के टीम में चयन के मौके पर धोनी तटस्थ फैसला ले पाते हैं।