करुण नायर.
नई दिल्ली:
इंग्लैंड के खिलाफ करुण नायर की पारी को जिसने देखा होगा उसे अहसास हो गया होगा कि नायर कोई सामान्य बल्लेबाज नहीं है. अपने तीसरे टेस्ट में ट्रिपल सेंचुरी मारना किसी आम बल्लेबाज के बस की बात नहीं थी. अपनी पूरी पारी के दौरान करुण ने जिस ढंग से बल्लेबाजी की वह एक महान बल्लेबाज का होने ही दर्शाता है. कुछ महीने पहले एक इंटरव्यू के दौरान करुण नायर ने बताया था कि वह उम्मीद करते हैं कि टीम इंडिया में उनको मौका मिलेगा और वह अच्छा प्रदर्शन करेंगे.
एक दिवसीय मैचों में कुछ खास नहीं कर पाए
कुछ महीने पहले करुण को भारतीय टीम में मौका मिला. उनका एक दिवसीय टीम में चयन हुआ. धोनी की कप्तानी में करुण ने ज़िम्बाब्वे के खिलाफ दो एक दिवसीय मैचों में सिर्फ 46 रन बनाए थे. करुण का भविष्य इन दो मैचों पर निर्भर नहीं कर रहा था. घरेलू मैचों में करुण का शानदार प्रदर्शन टीम में उनकी दावेदारी पेश कर रहा था.
इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्टों में केएल राहुल टीम से बाहर रहे और उनकी जगह पर करुण नायर का चयन हुआ, लेकिन दोनों मैचों में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला. फिर इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी तीन टेस्टों के लिए करुण नायर टीम में बने रहे.
पहले दो टेस्ट मैचों में विफल रहे
इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में करुण को प्लेइंग इलेवन में जगह मिली. इस मैच में करुण ने सिर्फ चार रन बनाए थे. दूसरे मैच की पहली पारी में वह सिर्फ 13 रन बना पाए थे और दूसरी पारी में उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला.
आखिरी टेस्ट मैच से पहले करुण नायर पर काफी दवाब था. प्लेइंग इलेवन में उनका चयन होगा या नहीं, इसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे थे. लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिली. अब उनके पास मौका था अपने टैलेंट को साबित करने का. अगर इस मैच में करुण विफल होते तो हो सकता था कि अगली सीरीज के लिए उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ता.
करुण शतक, दोहरा शतक और तिहरा शतक चौके मारकर पूरा किया
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के आखिरी टेस्ट में करुण ने वह पारी खेली जो हमेशा याद की जाएगी. वीरेंद्र सहवाग के बाद वह भारत के दूसरे बल्लेबाज हैं जिसने टेस्ट क्रिकेट में ट्रिपल सेंचुरी ठोकी. करुण ने अपना पारी की शुरुआत काफी संभलकर की. अपना अर्धशतक पूरा करने के लिए करुण ने 98 गेंद लीं. जब वह 99 रन पर थे तब उन पर दवाब था. स्ट्रोक के पहले पांच बॉल पर वह एक भी रन नहीं पाए लेकिन ओवर की आखिरी बॉल पर चौके लगाते हुए अपना शतक पूरा किया. शतक पूरा करने के लिए करुण ने 185 गेंदें खेलीं. करुण जब 197 पर बल्लेबाजी कर रहे थे तब भी चौका लगते हुए उन्होंने अपना दोहरा शतक पूरा किया. दोहरा शतक पूरा करने के लिए करुण ने 306 गेंदें लीं. करुण जब 299 पर बल्लेबाजी कर रहे थे तब फिर दवाब में आ गए लेकिन इस बार भी करुण ने रशीद की गेंद पर चौका लगते हुए अपना तिहरा शतक पूरा किया. 200 से 300 रन तक पहुंचने के लिए करुण ने सिर्फ 75 गेंद लीं.
जो दिग्गज नहीं कर पाए वह करुण ने कर दिया
इस तिहरे शतक के साथ करुण ने एक ऐसा कारनामा कर दिया है जो ब्रैडमैन, लारा और सहवाग जैसे बल्लेबाज नहीं कर पाए. करुण दुनिया के ऐसे पहले बल्लेबाज बन गए हैं जिसने अपने सिर्फ तीसरे टेस्ट में तिहरा शतक ठोका है. आज तक कोई भी बल्लेबाज अपने पहले, दूसरे टेस्ट या तीसरे टेस्ट में शतक नहीं लगा सका. टेस्ट में सबसे पहले दो ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाले डॉन ब्रैडमैन ने अपनी पहली ट्रिपल सेंचुरी बनाने के लिए सात टेस्ट मैच लिए थे. भारत के वीरेंद्र सहवाग ने भी टेस्ट में दो ट्रिपल सेंचुरी मारी हैं लेकिन पहली ट्रिपल सेंचुरी के लिए सहवाग ने 21 मैच लिए थे. ब्रायन लारा ने अपनी पहली ट्रिपल सेंचुरी के लिए 16 मैच लिए थे. इस मामले में करुण सबके आगे निकल गए.
एक दिवसीय मैचों में कुछ खास नहीं कर पाए
कुछ महीने पहले करुण को भारतीय टीम में मौका मिला. उनका एक दिवसीय टीम में चयन हुआ. धोनी की कप्तानी में करुण ने ज़िम्बाब्वे के खिलाफ दो एक दिवसीय मैचों में सिर्फ 46 रन बनाए थे. करुण का भविष्य इन दो मैचों पर निर्भर नहीं कर रहा था. घरेलू मैचों में करुण का शानदार प्रदर्शन टीम में उनकी दावेदारी पेश कर रहा था.
इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्टों में केएल राहुल टीम से बाहर रहे और उनकी जगह पर करुण नायर का चयन हुआ, लेकिन दोनों मैचों में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला. फिर इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी तीन टेस्टों के लिए करुण नायर टीम में बने रहे.
पहले दो टेस्ट मैचों में विफल रहे
इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में करुण को प्लेइंग इलेवन में जगह मिली. इस मैच में करुण ने सिर्फ चार रन बनाए थे. दूसरे मैच की पहली पारी में वह सिर्फ 13 रन बना पाए थे और दूसरी पारी में उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला.
आखिरी टेस्ट मैच से पहले करुण नायर पर काफी दवाब था. प्लेइंग इलेवन में उनका चयन होगा या नहीं, इसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे थे. लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिली. अब उनके पास मौका था अपने टैलेंट को साबित करने का. अगर इस मैच में करुण विफल होते तो हो सकता था कि अगली सीरीज के लिए उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ता.
करुण शतक, दोहरा शतक और तिहरा शतक चौके मारकर पूरा किया
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के आखिरी टेस्ट में करुण ने वह पारी खेली जो हमेशा याद की जाएगी. वीरेंद्र सहवाग के बाद वह भारत के दूसरे बल्लेबाज हैं जिसने टेस्ट क्रिकेट में ट्रिपल सेंचुरी ठोकी. करुण ने अपना पारी की शुरुआत काफी संभलकर की. अपना अर्धशतक पूरा करने के लिए करुण ने 98 गेंद लीं. जब वह 99 रन पर थे तब उन पर दवाब था. स्ट्रोक के पहले पांच बॉल पर वह एक भी रन नहीं पाए लेकिन ओवर की आखिरी बॉल पर चौके लगाते हुए अपना शतक पूरा किया. शतक पूरा करने के लिए करुण ने 185 गेंदें खेलीं. करुण जब 197 पर बल्लेबाजी कर रहे थे तब भी चौका लगते हुए उन्होंने अपना दोहरा शतक पूरा किया. दोहरा शतक पूरा करने के लिए करुण ने 306 गेंदें लीं. करुण जब 299 पर बल्लेबाजी कर रहे थे तब फिर दवाब में आ गए लेकिन इस बार भी करुण ने रशीद की गेंद पर चौका लगते हुए अपना तिहरा शतक पूरा किया. 200 से 300 रन तक पहुंचने के लिए करुण ने सिर्फ 75 गेंद लीं.
जो दिग्गज नहीं कर पाए वह करुण ने कर दिया
इस तिहरे शतक के साथ करुण ने एक ऐसा कारनामा कर दिया है जो ब्रैडमैन, लारा और सहवाग जैसे बल्लेबाज नहीं कर पाए. करुण दुनिया के ऐसे पहले बल्लेबाज बन गए हैं जिसने अपने सिर्फ तीसरे टेस्ट में तिहरा शतक ठोका है. आज तक कोई भी बल्लेबाज अपने पहले, दूसरे टेस्ट या तीसरे टेस्ट में शतक नहीं लगा सका. टेस्ट में सबसे पहले दो ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाले डॉन ब्रैडमैन ने अपनी पहली ट्रिपल सेंचुरी बनाने के लिए सात टेस्ट मैच लिए थे. भारत के वीरेंद्र सहवाग ने भी टेस्ट में दो ट्रिपल सेंचुरी मारी हैं लेकिन पहली ट्रिपल सेंचुरी के लिए सहवाग ने 21 मैच लिए थे. ब्रायन लारा ने अपनी पहली ट्रिपल सेंचुरी के लिए 16 मैच लिए थे. इस मामले में करुण सबके आगे निकल गए.
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