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This Article is From Jan 05, 2017

बर्थडे विशेष : मशहूर क्रिकेटर नवाब मंसूर अली खान पटौदी ने कभी जीवन से हार नहीं मानी

बर्थडे विशेष : मशहूर क्रिकेटर नवाब मंसूर अली खान पटौदी ने कभी जीवन से हार नहीं मानी
नवाब मंसूर अली खान पटौदी... (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: अगर किसी क्रिकेटर की एक आंख खराब हो जाए और उसे क्रिकेट खेलने के लिए कहा जाए तो शायद वह अपने आपको क्रिकेट से दूर रखना चाहेगा, लेकिन एक ऐसा क्रिकेट खिलाड़ी था, जिसने एक आंख खराब होने के बावजूद भी क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा. उन्होंने एक आंख के साथ अंतरराष्ट्रीय मैच में पदार्पण किया और भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेले जिनमें 40 टेस्ट मैचों में कप्तानी भी की.

जी यहां जिस क्रिकेटर की बात हो रही है वह हैं नवाब मंसूर अली खान पटौदी. टाइगर के नाम से प्रसिद्ध नवाब पटौदी की बात इसीलिए हो रही है क्योंकि आज उनका जन्मदिन है.

नवाब पटौदी के जन्मदिन के दिन उनके पिताजी का हुआ था देहांत
नवाब मंसूर अली खान पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल में हुआ था. नवाब पटौदी के पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी ने भी भारत के लिए छह टेस्ट के साथ-साथ 127 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे. अपने पिता की तरह ही वे एक भी एक अच्छे क्रिकेटर बनाना चाहते थे. नवाब अली खान पटौदी जब अपना 11वां जन्मदिन मना रहे थे तभी उनके पिता नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी का मौत हो गई थी. 5 जनवरी को पटौदी के जन्मदिन के साथ-साथ उनके पिता जी की पुण्यतिथि भी है. उनके पिताजी जब पोलो खेल रहे थे तब दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई थी.  

शर्मिला टैगोर से की थी शादी
पटौदी ने अपने जमाने की मशहूर अदाकारा शर्मिला टैगोर से शादी की थी. उनकी तीन बच्चे हैं. सैफ अली खान, सोहा अली खान और सबा अली खान. सैफ अली खान बॉलीवुड के बड़े अभिनेताओं में गिने जाते हैं और हाल ही में उनकी बहू करीना कपूर ने बेटे को (तैमूर) जन्म दिया है.

जब दुर्घटना की वजह से एक आंख हो गई थी खराब
खिलाड़ी के रूप में मंसूर अली खान पटौदी की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है. 1957 को ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का छात्र होते हुए पटौदी ने ससेक्स की तरफ से प्रथम श्रेणी मैच खेला था. 1 जुलाई 1961 को एक कार एक्सीडेंट में नवाब पटौदी का दाहिनी आंख खराब हो गई थी, लेकिन नवाब पटौदी को कभी ऐसा नहीं लगा था कि वह दोबारा क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे. नवाब पटौदी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि ऑपरेशन के तीन-चार हफ्ते के बाद वह नेट में प्रैक्टिस करने के लिए पहुंचे गए थे. दाहिनी आंख खराब होने की वजह से उनको कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने परिस्थिति के साथ एडजस्ट कर लिया था.

एक आंख के साथ खेलते हुए बनाया था सर्वाधिक स्कोर
आंख खराब होने के वजह से पटौदी को एक साल की छुट्टी लेकर भारत आना पड़ा था.उस वक्त वह ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र थे. भारत में पहुंचे के बाद पटौदी का यही कोशिश थी कि वह ज्यादा से ज्यादा क्रिकेट खेलें. फिर प्रेजिडेंट टीम की कप्तानी करने के लिए पटौदी के पास प्रस्ताव आया. पटौदी इस चांस को खोना नहीं चाहते थे.
एमसीसी के खिलाफ इस मैच में पटौदी अपनी दाहिनी आंख में लेंस लगाकर बल्लेबाजी करने आए थे, लेकिन लेंस की वजह से पटौदी को ऐसा लग रहा था जैसे दो गेंद उनकी तरफ आ रही हों. फिर भी पटौदी ने संभलकर खेलते हुए चायकाल तक 35 रन बना लिए थे और चायकाल के बाद जब वह बल्लेबाजी करने आए तो उन्होंने लेंस निकाल दिए और दाहिनी आंख बंद कर बल्लेबाजी की. उस मैच में पटौदी ने अपने टीम के लिए सबसे ज्यादा 70 रन बनाए थे. दुर्घटना के बाद यह पटौदी का पहला महत्पूर्ण मैच था.

भारतीय टीम में हुआ चयन
फिर पटौदी धीरे-धीरे अच्छा खेलने लगे और प्रथम-श्रेणी मैचों में उनके प्रदर्शन को देखते हुए दिसंबर 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ कानपुर में खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट के लिए पटौदी का चयन हुआ. चोट की वजह से नवाब पटौदी इस मैच खेल नहीं पाए थे, लेकिन 13 दिसंबर 1961 को दिल्ली में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में पटौदी को खेलने का मौक़ा मिला. अपने इस पहले टेस्ट मैच में पटौदी सिर्फ 13 रन बना पाए थे. 30 दिसंबर को इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए चौथे टेस्ट मैच में बल्लेबाजी करते हुए नवाब पटौदी ने पहली पारी में 64 और दूसरी पारी में 32 रन बनाए थे और भारत ने इस मैच को 187 रन से जीता था. दोनों टीमों के बीच सीरीज का आखिरी टेस्ट मैच मद्रास में खेला गया था. पांच मैच की सीरीज में भारत 1-0 से आगे था और इंग्लैंड के खिलाफ भारत के पास अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीतने का बहुत बड़ा मौक़ा था. इंग्लैंड के खिलाफ इस मैच में पटौदी ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में शतक ठोका था. भारत ने इस मैच को 128 रन से जीत लिया था. इस तरह 30 साल के बाद इंग्लैंड के खिलाफ पहली टेस्ट सीरीज जीतने का गौरव हासिल किया था.

1962 में पटौदी बने टीम इंडिया का कप्तान
1962 में नरी कॉन्ट्रेक्टर की कप्तानी में पांच टेस्ट मैच खेलने के लिए भारत ने वेस्टइंडीज का दौरा किया और पटौदी का टीम में चयन हुआ. दूसरे टेस्ट मैच में नरी कॉन्ट्रेक्टर घायल हो गए और आखिरी मैच के लिए पटौदी कप्तान बने.  सिर्फ 21 साल की उम्र कप्तान बनकर उन्होंने भारत में सबसे कम उम्र का कप्तान बनने का रिकॉर्ड बनाया.

भारत इस पांच मैचों की टेस्ट सीरीज को 5-0 से हार गया था. इसके बाद पटौदी रिटायर होने तक भारत के कप्तान रहे. पटौदी ने भारत की तरफ से 46 मैच खेलते हुए करीब 35 की औसत से 2793 रन बनाए जिसमें छह शतक 16 अर्धशतक शामिल हैं. 8 फरवरी 1964 को पटौदी ने इंग्लैंड के खिलाफ शानदार 203 रन बनाए थे, जो उनके क्रिकेट करियर का सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर है.

22 सिंतबर 2011 को दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में नवाब पटौदी का देहांत हो गया था. अंतिम सांस लेने से पहले नवाब पटौदी ने अपनी आंख दान करने का इच्छा जताई थी,जिसे पूरा किया गया.

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