नई दिल्ली:
कप्तानी की कमान संभालते ही विराट कोहली ने डिसीजन रिव्यू सिस्टम यानी डीआरएस को लेकर सकारात्मक रवैया दिखाया। इसके कुछ दिन बाद ही बीसीसीआई के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने लगाम खींच कर बता दिया कि असली बॉस कौन है।
बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि डीआरएस पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड का नज़रिया बदला नहीं है और भविष्य में इस पर फ़ैसला सलाहकार समिति लेगी। डालमिया ने ये भी कहा कि बीसीसीआई डीआरएस पर चर्चा करने के लिए तैयार है और सिस्टम में मामूली बदलाव के बाद भविष्य में टेस्ट सीरीज़ में इस्तेमाल भी कर सकती है।
टीम इंडिया का कोच चयन करने के मामले के बाद अब डीआरएस पर भी फ़ैसला सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली की तिकड़ी लेगी। यहां ये भी बता दें कि अपने करियर में खेलते समय तीनों क्रिकेटर डीआरएस के फ़ैन नहीं रहे हैं।
ख़ासकर सचिन तेंदुलकर इस सिस्टम के ख़िलाफ़ कई बार खुलकर बात कर चुके हैं। क्रिकेट में सबसे पहले डिसीजन रिव्यू सिस्टम को 2008 में भारत-श्रीलंका सीरीज़ में टेस्ट किया गया था। इस मैच में डीआरएस पर सबसे पहले आउट दिए जाने वाले बल्लेबाज़ भी सचिन थे। 2009 में आधिकारिक तौर पर इस सिस्टम को पाकिस्तान-न्यूज़ीलैंड मैच में लागू किया गया। वनडे में सबसे पहले इसका इस्तेमाल 2011 में हुआ।
2013 में बीसीसीआई ने डीआरएस के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी थी। फ़तुल्लाह टेस्ट ख़त्म होने के बाद डीआरएस पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कोहली ने कहा था कि वो डिसीजन रिव्यू सिस्टम को लेकर अपनी टीम से बातचीत करने को तैयार हैं।
उनके मुताबिक़ ऐसे सिस्टम को लेकर टीम के गेंदबाज़ों और बल्लेबाज़ों की राय जानना ज़रूरी है। वो खिलाड़ियों की सोच के मुताबिक़ ही आगे बढ़ना चाहते हैं। कोहली से पहले टीम के टेस्ट कप्तान रहे एमएस धोनी शुरुआत से ही डीआरएस की आलोचना करते रहे हैं। धोनी के मुताबिक मौजूदा प्रारूप में डीआरएस सही नहीं है।
बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि डीआरएस पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड का नज़रिया बदला नहीं है और भविष्य में इस पर फ़ैसला सलाहकार समिति लेगी। डालमिया ने ये भी कहा कि बीसीसीआई डीआरएस पर चर्चा करने के लिए तैयार है और सिस्टम में मामूली बदलाव के बाद भविष्य में टेस्ट सीरीज़ में इस्तेमाल भी कर सकती है।
टीम इंडिया का कोच चयन करने के मामले के बाद अब डीआरएस पर भी फ़ैसला सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली की तिकड़ी लेगी। यहां ये भी बता दें कि अपने करियर में खेलते समय तीनों क्रिकेटर डीआरएस के फ़ैन नहीं रहे हैं।
ख़ासकर सचिन तेंदुलकर इस सिस्टम के ख़िलाफ़ कई बार खुलकर बात कर चुके हैं। क्रिकेट में सबसे पहले डिसीजन रिव्यू सिस्टम को 2008 में भारत-श्रीलंका सीरीज़ में टेस्ट किया गया था। इस मैच में डीआरएस पर सबसे पहले आउट दिए जाने वाले बल्लेबाज़ भी सचिन थे। 2009 में आधिकारिक तौर पर इस सिस्टम को पाकिस्तान-न्यूज़ीलैंड मैच में लागू किया गया। वनडे में सबसे पहले इसका इस्तेमाल 2011 में हुआ।
2013 में बीसीसीआई ने डीआरएस के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी थी। फ़तुल्लाह टेस्ट ख़त्म होने के बाद डीआरएस पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कोहली ने कहा था कि वो डिसीजन रिव्यू सिस्टम को लेकर अपनी टीम से बातचीत करने को तैयार हैं।
उनके मुताबिक़ ऐसे सिस्टम को लेकर टीम के गेंदबाज़ों और बल्लेबाज़ों की राय जानना ज़रूरी है। वो खिलाड़ियों की सोच के मुताबिक़ ही आगे बढ़ना चाहते हैं। कोहली से पहले टीम के टेस्ट कप्तान रहे एमएस धोनी शुरुआत से ही डीआरएस की आलोचना करते रहे हैं। धोनी के मुताबिक मौजूदा प्रारूप में डीआरएस सही नहीं है।
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