
- यूएई में होने जा रहे एशिया कप 2025 के लिए क्रिकेट जगत में चर्चा और भविष्यवाणियां तेज हो गई हैं
- पूर्व ओपनर आकाश चोपड़ा ने कहा कि बांग्लादेश का अभियान एशिया कप के ग्रुप स्टेज में खत्म हो सकता है
- ग्रुप ए में भारत, पाकिस्तान, यूएई, ओमान जबकि ग्रुप बी में श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और हांगकांग शामिल
यूएई में होने जा रहे एशिया कप (Asia cup 2025) का काउंट डाउन पहले ही शुरू हो चुका है, तो दिग्गज क्रिकेटरों के बयानों ने गति पकड़ ली है. अब यहां से सारे सुर और ताल एक तरह से एशिया कप कप की तरफ चल पड़े हैं!भविष्यवाणियां होना शुरू हो गई हैं. इसी कड़ी में पूर्व ओपनर आकाश चोपड़ा (Aakash chopra) ने कहा है कि उनका मानना है कि शुरू होने जा रहे एशिया कप में बांग्लादेश का अभियान ग्रुप स्टेज में ही खत्म हो जाएगा. बता दें कि भारत, पाकिस्तान, मेजबान यूएई और ओमान को ग्रुप 'ए'में रखा गया है, जबकि ग्रुप बी को ग्रुप ऑफ डेथ माना जा रा है. इसमें एशिया की तीन बड़ी टीमें श्रीलंका, बांग्लादेश अफगानिस्तान और हांगकांग हैं.
इसी की समीक्षा करते हुए चोपड़ा ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर कहा, अगर हम अवसरों की बात करें, तो बांग्लादेश के पास खोने के लिए कुछ नहीं है क्योंकि पिछले लंबे समय कई देशों की भागीदारी वाले टूर्नामेंट में लंबे समय से कुछ नहीं किया है.' पूर्व ओपनर ने कहा, 'पूर्व में बांग्लादेश मजबूत टीमों को मात दिया करता था. उन्होंने हमें साल 2007 विश्व कप में मात थी. उन्होंने विश्व स्तरीय टूर्मामेंटों में भागीदारी की है, लेकिन वे बतौर दावेदार नहीं जा रहे हैं.'
आकाश ने कहा, 'ऐसे में मौके अनंत हैं, लेकिन सच बात यह है कि उनकी भूमिका साफ देखी जा सकती है. हालांकि, किसी भी टीम को खारिज करना सही नहीं होगा, लेकिन मुझे लगता है कि बांग्लादेश फंस चुका है. और ग्रुप बी से अफगानिस्तान और श्रीलंका क्वालीफाई कर सकते हैं. ऐसे में बांग्लादेश की कहानी ग्रुप स्टेज में ही खत्म हो सकती है.
'यह है बांग्लादेश की सबसे बड़ी कमजोरी'
चोपड़ा ने कहा, 'बांग्लादेश की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वह टी20 में अपने कप्तान लिटन दास पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं. वहीं, देखा गया है कि बांग्लादेश बड़े मैचों में चोक कर जाता है. लिटन दास एक स्तरीय खिलाड़ी हैं, लेकिन उनकी उपलब्धियां बड़ी नहीं हैं. उनका प्रदर्शन उनकी काबिलियत के हिसाब से नहीं रहा है. फिलहा वह टीम के कप्तान हैं, तो टीम निश्चित रूप से उनकी तरफ देख रही होगी. लेकिन प्रबंधन उनकी ओर कुछ ज्यादा ही देखता है.'
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