लखनऊ:
महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के राज्यसभा में मनोनयन के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के रजिस्ट्री विभाग में बुधवार को एक याचिका दाखिल की गई।
स्थानीय अधिवक्ता अशोक पाण्डेय द्वारा दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सचिन का राज्यसभा के लिये मनोनयन कानूनी प्रावधानों के खिलाफ तथा संविधान का खुला उल्लंघन है।
याचिका में सचिन के साथ-साथ केन्द्र सरकार तथा राज्यसभा के सचिव के मार्फत संसद के उच्च सदन को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘एक मशहूर खिलाड़ी’ के तौर पर सचिन को राज्यसभा के लिये मनोनीत किया जाना संविधान के अनुच्छेद 80 :3: का उल्लंघन है।
याची अधिवक्ता की दलील है कि अनुच्छेद 80 :3: के तहत राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाने वाले व्यक्तियों को साहित्य, विज्ञान, कला अथवा सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में विशेष जानकारी या कार्यात्मक अनुभव होना चाहिये। इस याचिका पर आगामी चार मई को सुनवाई होने की सम्भावना है।
स्थानीय अधिवक्ता अशोक पाण्डेय द्वारा दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सचिन का राज्यसभा के लिये मनोनयन कानूनी प्रावधानों के खिलाफ तथा संविधान का खुला उल्लंघन है।
याचिका में सचिन के साथ-साथ केन्द्र सरकार तथा राज्यसभा के सचिव के मार्फत संसद के उच्च सदन को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘एक मशहूर खिलाड़ी’ के तौर पर सचिन को राज्यसभा के लिये मनोनीत किया जाना संविधान के अनुच्छेद 80 :3: का उल्लंघन है।
याची अधिवक्ता की दलील है कि अनुच्छेद 80 :3: के तहत राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाने वाले व्यक्तियों को साहित्य, विज्ञान, कला अथवा सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में विशेष जानकारी या कार्यात्मक अनुभव होना चाहिये। इस याचिका पर आगामी चार मई को सुनवाई होने की सम्भावना है।
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