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This Article is From Jul 05, 2016

कुंबले की रणनीति के पीछे 'द थ्री मस्किटियर्स'

कुंबले की रणनीति के पीछे 'द थ्री मस्किटियर्स'
अनिल कुंबले (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: All for one and one for all यानी एक के लिए सब और सब के लिए एक, टीम इंडिया का यह नया मंत्र है। ग्रुप के सभी सदस्य हर एक सदस्य का हौसला बढ़ाएंगे और और हर एक सदस्य ग्रुप के सपोर्ट के लिए वचनबद्ध होगा। 19वीं सदी में फ्रांसीसी लेखक Alexandre Dumas की किताब The Three Musketeers के किरदारों का यही Motto था।

टीम की रवानगी से पहले प्रेरक भाषण
वनडे और T20 के कप्तान, महेन्द्र सिंह धोनी ने वेस्टइंडीज़ रवाना होने के पहले टेस्ट टीम के सदस्यों को एक मोटिवेशनल भाषण दिया, "हम में से ज्यादातर लोगों ने क्रिकेट खेलना तब शुरू किया जब हम 5 साल के थे। मेरे विचार में ये वो समय है जब भारतीय क्रिकेट आगे जाएगा। पिछले 2-3 वर्षों में हम यह बात कर रहे थे कि युवा टेस्ट टीम का हिस्सा बन रहे हैं..लेकिन अब हमारे पास बल्लेबाज़ों का एक ग्रुप तैयार है जो टेस्ट का हिस्सा हैं। हमारे पास गेंदबाजों का एक पूल तैयार है। और मैं यहां 2-3 या 4 बल्लेबाजों की बात नहीं कर रहा हूं..मैं बात कर रहा हूं बहुत से बल्लेबाज़ और बहुत से गेंदबाज़ों की..और इसलिए यह दौर काफी अहम है अगर आप सब एक साथ रहें। ऐसा नहीं होगा कि आप सभी की सीरीज़ अच्छी होगी..कुछ खिलाड़ी फेल होंगे। लेकिन 17 टेस्ट मैचों में आप सभी सफल होंगे। इसलिए जो समय मुश्किल है उसका आनंद लेना ज़रूरी है। जब तक आप एकजुट हैं और एक साथ आनंद ले रहे हैं तब तक कोई भी आपको नहीं रोक सकता। तो निश्चित करें कि आप मज़ा कर रहे हैं..लुत्फ़ उठा रहे हैं। कुछ बातें हम भारतीय क्रिकेट में नहीं करते, क्योंकि क्रिकेट हमारे लिए बहुत कुछ है..अगर आप क्रिकेट हमसे छीन लें तो हमारी ज़िंदगी में ज़्यादा कुछ नहीं बचेगा। इसलिए हम क्रिकेट को बहुत तवज्जो देते हैं...लेकिन मज़ा करना भी ज़रूरी है। जो 45 मिनट हमने यहां बिताए हैं, वह बताता है कि हम दुनिया में कहीं भी मज़ा कर सकते हैं, आनंद उठा सकते हैं। हमे बस हमारा साथ चाहिए।"

टीम इंडिया का जोरदार जश्न
वेस्टइंडीज़ जाने के पहले ही विराट कोहली और टीम इंडिया ने जमकर जश्न मनाया। अब तक हमने जीत के बाद का जश्न ही देखा था। ये शायद नए आत्मविश्वास का प्रतीक है। एक नए दौर की शुरुआत हो रही है। अगले 7 महीनों में टीम की दशा मालूम और दिशा तय हो जाएगी। इन खिलाड़ियों को इस दौरान 17 टेस्ट मैच खेलने हैं। वेस्टइंडीज़ में 4 और उसके बाद अपनी जमीन पर 13 टेस्ट मैच।

पांच साल पहले साल 2011 में वेस्टइंडीज़ में ही विराट कोहली को टेस्ट कैप मिला था। जमैका टेस्ट की पहली पारी में कोहली ने 4 और दूसरी पारी में 15 रन बना पाए। लेकिन भारत ने जमैका टेस्ट 63 रनों से जीत लिया था।  कैरेबियाई टीम अगला दो टेस्ट ड्रॉ कराने में कामयाब रही थी। कोहली 3 टेस्ट की 5 पारियों में 15.20 के औसत से 76 रन बना पाए थे।

पांच साल में बहुत कुछ बदल गया
पांच साल में बहुत कुछ बदल चुका है। इस बार विराट टेस्ट टीम के कप्तान के तौर पर वेस्टइंडीज़ पहुंचे हैं। विराट को अहसास है कि चुनौती इस बार भी आसान नहीं होगी। खासकर यह देखते हुए कि कोहली के अलावा सिर्फ़ मुरली विजय, अमित मिश्रा और ईशांत शर्मा को ही वेस्टइंडीज़ में खेलने का अनुभव है बाकी 13 खिलाड़ी पहली बार कैरेबियाई पिच पर खेलेंगे।

वेस्टइंडीज को हराना आसान नहीं
टीम के नए मुख्य कोच अनिल कुंबले कहते हैं, "हम जब भी मैदान पर उतरते हैं तो हर सीरीज़ में और मैच में जीतने की चाहत के साथ ही उतरते हैं..लेकिन वेस्टइंडीज़ को उनके घरेलू हालात में हराना आसान बिलकुल भी नहीं होगा..अच्छी बात यह है कि वहां के हालात और पिच भारतीय पिचों जैसे ही हैं..जिससे खिलाड़ियों को ढलने में दिक्कत नहीं आएगी।" ज़ाहिर है टीम इंडिया के लिए मौक़ा भी है और दस्तूर भी।

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