मेलबर्न टेस्ट के तीसरे दिन पहले सत्र में जब मुरली विजय आउट हुए, तो टीम इंडिया का स्कोर 147 रन था। यहां से टीम इंडिया के सामने सबसे पहले फॉलोऑन बचाने का संकट था। इसके लिए टीम को 331 रन तक पहुंचना था। इससे आगे 531 रनों की चुनौती तो थी ही।
ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने टीम इंडिया पर दबाव बनाने का मौका था, लेकिन विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे ने धीरे-धीरे भारतीय पारी को जमाना शुरू किया।
कोहली के सामने रहाणे कहीं ज्यादा भरोसे से खेलते नजर आए। यही वजह है कि वह अपने शतक तक कोहली से पहले पहुंच गए। हालांकि इस दौरान नेथन लेयॉन ने अपनी ही गेंद पर उनका एक आसान सा कैच जरूर टपकाया था। रहाणे ने इस जीवनदान का पूरा फायदा उठाया। रहाणे ने अपने टेस्ट करियर का तीसरा शतक पूरा किया।
रहाणे को मौजूदा समय में तकनीकी तौर पर टीम इंडिया का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज माना जाता है। टेस्ट मुकाबले में अब तक उनके बनाए शतक से इसकी पुष्टि भी होती है। उन्होंने अपना टेस्ट शतक इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में बनाया, दूसरा टेस्ट शतक न्यूजीलैंड में (119 रन) और अब तीसरा शतक मेलबर्न में उन्होंने बनाया।
दूसरे छोर पर विराट कोहली भी शतक बनाने से चूके नहीं। हालांकि उन्हें कहीं ज्यादा जीवनदान मिले और कम से कम दो मौकों पर उनके कैच ऑस्ट्रेलियाई फील्डरों के हाथों से छूटे।
एडिलेड टेस्ट की दोनों पारियों में शतक जमाने के बाद विराट कोहली ब्रिस्बेन में कुछ खास नहीं कर पाए थे, लेकिन मेलबर्न में एक बार फिर वह अपनी लय में लौटे और टेस्ट क्रिकेट में अपना नौवां शतक पूरा किया। सीरीज के तीन टेस्ट मैचों में उन्होंने तीसरा शतक बनाया है। इस दौरे से पहले उन्हें 10 महीने से टेस्ट शतक का इंतजार था, लेकिन इसी महीने ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर उन्होंने एक के बाद एक करके तीन शतक ठोक दिए हैं।
लेकिन टीम इंडिया के लिए विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे के शतक से ज्यादा अहम रहा चौथे विकेट के लिए 262 रनों की साझेदारी। इतने रन कोहली और रहाणे ने चार घंटे के भीतर 57.5 ओवरों में ठोक कर मेलबर्न टेस्ट में भारत को मुकाबले में ला दिया। अजिंक्य रहाणे के 147 रन बनाकर आउट होने से यह साझेदारी टूटी।
अजिंक्य रहाणे के 147 रन बनाकर आउट होने से ये साझेदारी टूटी। यह साझेदारी कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भारत की ओर से इससे पहले मेलबर्न में इतनी बड़ी साझेदारी किसी विकेट के लिए पहले कभी नहीं बनी।
इससे पहले विदेशों में 250 रन प्लस की साझेदारी करीब एक दशक पहले 2004 में हुई थी, तब सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में चौथे विकेट के लिए ही 353 रन जोड़े थे। मेलबर्न में यह काम कितना चुनौतीपूर्ण है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बीते 90 सालों में यह पहला मौका है जब किसी विदेशी टीम की ओर से इस मैदान पर किसी विकेट के लिए 250 प्लस रन की साझेदारी हुई है।
1925 में इंग्लैंड के जैक हॉब्स और विल्फ्रेड रोड्स ने पहले विकेट के लिए 283 रन जोड़े थे। कोहली-रहाणे की इस साझेदारी के चलते ही भारत मेलबर्न टेस्ट को कम से कम ड्रॉ कराने की स्थिति में जरूर पहुंच गया है।
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