मुंबई:
महाराष्ट्र के हृषिकेश कानितकर ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच पंद्रह साल पहले और आखिरी फर्स्ट क्लास मैच डेढ़ साल पहले खेला था। हृषिकेश कानितकर ने आखिरकार क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला कर लिया। उनका कहना है कि बैटिंग का जुनून तो उनमें अब भी है, लेकिन लंबे समय तक ग्राउंड फील्डिंग करने को लेकर उत्साह नहीं बचा इसलिए उन्होंने ये फैसला लिया है।
40 साल के कानितकर फर्स्ट क्लास में एक माहिर क्रिकेटर के तौर पर जाने जाते रहे हैं। रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे ज्यादा शतक बनाने वालों कि लिस्ट में हृषिकेश कानितकर तीसरे नंबर के बल्लेबाज हैं। कानितकर के नाम 28 शतक हैं, जबकि पहले नंबर पर वसीम जाफर के नाम 35 शतक और दूसरे नंबर पर अजय शर्मा के नाम 31 शतक हैं। यही नहीं, रणजी ट्रॉफी की एलीट और प्लेट ग्रुप में खिताब उठाने वाले का कारनामा अकेले कप्तान कानितकर के नाम है।
146 फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने 52.26 की औसत से 33 शतक और 46 अर्द्धशतकीय पारियां खेलीं और 10,400 रन जोड़े। फिलहाल उनकी फिटनेस को लेकर सवाल उठते रहे। उनके पास राजस्थान के साथ फर्स्ट क्लास मैच खेलने का मौक़ा था, लेकिन वो अपनी फिटनेस नहीं साबित कर सके। लेकिन, घरेलू क्रिकेट में उनका दबदबा हमेशा चर्चा की बात रहेगी।
रणजी ट्रॉफी में 8000 से ज्यादा रन बनाने वाले वो भारत के तीन खिलाड़ियों में एक हैं। रणजी ट्रॉफी के पहले दो टॉप स्कोरर वसीम जाफर के नाम 10056 रन और अमोल मजुमदार के नाम 9202 रन हैं।
2 टेस्ट और 34 वनडे अपने नाम कर चुके कानितकर जाहिर तौर पर कोचिंग में हाथ आजमाना चाहते हैं। वो कहते हैं कि उन्हें बस मौके का इंतजार है। इसके अलावा वो मीडिया में क्रिकेट विशेषज्ञ के तौर पर भी हाथ आजमाना चाहते हैं। जाहिर तौर पर मैदान भले ही बदल जाएं, लेकिन क्रिकेट उनके एंजेडा में अब भी सबसे ऊपर है।
40 साल के कानितकर फर्स्ट क्लास में एक माहिर क्रिकेटर के तौर पर जाने जाते रहे हैं। रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे ज्यादा शतक बनाने वालों कि लिस्ट में हृषिकेश कानितकर तीसरे नंबर के बल्लेबाज हैं। कानितकर के नाम 28 शतक हैं, जबकि पहले नंबर पर वसीम जाफर के नाम 35 शतक और दूसरे नंबर पर अजय शर्मा के नाम 31 शतक हैं। यही नहीं, रणजी ट्रॉफी की एलीट और प्लेट ग्रुप में खिताब उठाने वाले का कारनामा अकेले कप्तान कानितकर के नाम है।
146 फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने 52.26 की औसत से 33 शतक और 46 अर्द्धशतकीय पारियां खेलीं और 10,400 रन जोड़े। फिलहाल उनकी फिटनेस को लेकर सवाल उठते रहे। उनके पास राजस्थान के साथ फर्स्ट क्लास मैच खेलने का मौक़ा था, लेकिन वो अपनी फिटनेस नहीं साबित कर सके। लेकिन, घरेलू क्रिकेट में उनका दबदबा हमेशा चर्चा की बात रहेगी।
रणजी ट्रॉफी में 8000 से ज्यादा रन बनाने वाले वो भारत के तीन खिलाड़ियों में एक हैं। रणजी ट्रॉफी के पहले दो टॉप स्कोरर वसीम जाफर के नाम 10056 रन और अमोल मजुमदार के नाम 9202 रन हैं।
2 टेस्ट और 34 वनडे अपने नाम कर चुके कानितकर जाहिर तौर पर कोचिंग में हाथ आजमाना चाहते हैं। वो कहते हैं कि उन्हें बस मौके का इंतजार है। इसके अलावा वो मीडिया में क्रिकेट विशेषज्ञ के तौर पर भी हाथ आजमाना चाहते हैं। जाहिर तौर पर मैदान भले ही बदल जाएं, लेकिन क्रिकेट उनके एंजेडा में अब भी सबसे ऊपर है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
हृषिकेश कानितकर, कोचिंग, क्रिकेट से संन्यास, Hrishikesh Kanitkar, Cricket Coaching, Cricket, Retiring From Cricket