
- पूर्व टीएमसी मंत्री राजीब बनर्जी ने कोच बिहार की सभा में वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने पर हिंसा की धमकी दी
- राजीब बनर्जी ने कहा कि वे अपनी अंतिम सांस तक SIR को रोकने के लिए लड़ेंगे और आग भड़कने की चेतावनी दी
- टीएमसी नेताओं ने SIR को बंगाल की अस्मिता और मतदाता अधिकारों से जोड़कर राजनीतिक प्रचार तेज कर दिया है
पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर सियासी घमासान बढ़ता ही जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं की ओर से लगातार भड़काऊ बयान सामने आ रहे हैं. इस बार पूर्व टीएमसी मंत्री राजीब बनर्जी ने कोच बिहार के मेखलीगंज में एक सभा को संबोधित करते हुए विवादित टिप्पणी की है. उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा, "अगर किसी वैध मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया, तो बंगाल में खून की नदियां बहेंगी." राजीब बनर्जी ने अपने भाषण में कहा, "मैं अपनी आखिरी सांस तक SIR को रोकने के लिए लड़ूंगा. अगर किसी वैध मतदाता का नाम हटाया गया, तो आग भड़केगी, खून बहेगा."
तो बंगाल में आग लगेगी, खून बहेगा
इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा, "चुनाव आयोग को किसी मतदाता का नाम हटाने का कोई अधिकार नहीं है. मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे सतर्क रहें ताकि किसी का नाम न हटाया जा सके." उनके इस बयान का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वे कहते हैं, "यह न भूलें कि हमारी पार्टी का नाम तृणमूल कांग्रेस है, और हमारे नेता ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी हैं. हम SIR को रोकने के लिए अपने शरीर के खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे. अगर किसी वैध मतदाता का नाम हटाया गया, तो बंगाल में आग लगेगी, खून बहेगा."
TMC नेता की धमकी पर BJP का पलटवार
इस बयान ने पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और गरमा दिया है. टीएमसी के अन्य नेताओं, जैसे मंत्री सबिना यास्मिन और ताजमूल हुसैन, भी SIR को लेकर पहले भड़काऊ बयान दे चुके हैं. दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस धमकी की कड़ी निंदा की है. केंद्रीय मंत्री सुकांत मजुमदार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "न तो बीजेपी और न ही चुनाव आयोग इन धमकियों से डरने वाला है, SIR की प्रक्रिया पूरी होगी." बंगाल की सड़कों पर इस मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है. एक तरफ टीएमसी इसे बंगाल की अस्मिता और मतदाता अधिकारों से जोड़कर प्रचारित कर रही है, वहीं बीजेपी इसे नियम-कानून की प्रक्रिया बता रही है.
क्या यह सिर्फ सियासी बयानबाजी
राजीब बनर्जी के इस बयान ने सवाल उठाया है कि क्या यह सिर्फ सियासी बयानबाजी है या वाकई बंगाल में SIR को लेकर हिंसक टकराव की आशंका बढ़ रही है? जैसे-जैसे SIR की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे इसको लेकर दोनों पक्षों की ओर से बयानों का दौर तेज होता जा रहा है. अब सवाल यह है कि क्या बंगाल की धरती पर यह सियासी जंग और उग्र होगी, या शांति और से इसका हल निकलेगा? फिलहाल, जनता की निगाहें चुनाव आयोग और राज्य सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं.
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