सुशील कुमार मोदी (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रदेश की राजधानी पटना के वायु प्रदूषण के मामले में पांचवें स्थान पर होने को लेकर डब्ल्यूएचओ के आंकडे़ से असहमति जताते हुए बुधवार को कहा कि पटना में स्थिति उतनी खराब नहीं है जितनी डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में बतायी जा रही है. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से ‘वायु प्रदूषण’ पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए सुशील ने कहा कि गर्मी और बरसात की तुलना में जाड़े के मौसम में सूक्ष्म धूलकण की मात्रा हवा में बढ़ जाती है.
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उन्होंने कहा कि मार्च में 110, अप्रैल में 89.1 तो दिसम्बर में 191 और जनवरी में 189 माइक्रोग्राम धूलकण की मात्रा पाई गई. संभवतः जाड़े के मौसम में धूलकण के धनीभूत होने के कारण ऐसा होता है. डब्ल्यूएचओ व राज्य प्रदूषण नियंत्रण इकाई के आंकड़े में अंतर है. पटना में स्थिति उतनी खराब नहीं है जितनी डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में बतायी जा रही है. उन्होंने कहा कि पटना में वायु प्रदूषण की स्थिति चुनौतीपूर्ण है, मगर डरने की जरूरत नहीं है.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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उन्होंने कहा कि मार्च में 110, अप्रैल में 89.1 तो दिसम्बर में 191 और जनवरी में 189 माइक्रोग्राम धूलकण की मात्रा पाई गई. संभवतः जाड़े के मौसम में धूलकण के धनीभूत होने के कारण ऐसा होता है. डब्ल्यूएचओ व राज्य प्रदूषण नियंत्रण इकाई के आंकड़े में अंतर है. पटना में स्थिति उतनी खराब नहीं है जितनी डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में बतायी जा रही है. उन्होंने कहा कि पटना में वायु प्रदूषण की स्थिति चुनौतीपूर्ण है, मगर डरने की जरूरत नहीं है.
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