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This Article is From Feb 14, 2021

शिवसेना की सत्ता और 'मराठी मानुस' को नौकरी देने से इनकार! 18 फरवरी को मार्च करेंगे पीड़ित

मेरिट में आने के बावजूद मराठी माध्यम से स्कूल में पढ़ाई करने के कारण बीएमसी स्कूलों में शिक्षक पदों पर नियुक्ति नहीं दी जा रही, 252 उम्मीदवार कर रहे हैं नियुक्ति का इंतजार

शिवसेना की सत्ता और 'मराठी मानुस' को नौकरी देने से इनकार! 18 फरवरी को मार्च करेंगे पीड़ित
मराठी माध्यम में पढ़े पीड़ित 18 फरवरी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलेंगे.
मुंबई:

मुंबई महानगरपालिका (BMC) के  शिक्षा विभाग के एक नियम को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. बीएमसी के स्कूलों में 252 शिक्षकों के चयन होने के बावजूद उन्हें नौकरी इसलिए नहीं दी जा रही है, क्योंकि उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई मराठी माध्यम (Marathi Medium) से की थी, अंग्रेज़ी (English) से नहीं. बीएमसी में 25 साल से शिवसेना (Shiv sena) सत्ता में है जिसकी शुरुआत 'मराठी मानुस' के मुद्दे से हुई थी, इसलिए बीएमसी के इस नियम पर अब सवाल उठाया जा रहा है. अब 18 फरवरी को पीड़ित उम्मीदवार मार्च करेंगे और सीएम उद्धव ठाकरे को अपनी व्यथा सुनाएंगे.

पिछले साल बीएमसी स्कूल में चयन होने के बाद प्राइवेट स्कूल में नौकरी करने वाली जागृति पाटिल ने उस स्कूल में काम करना छोड़ दिया, इस उम्मीद में कि अब वो बीएमसी स्कूल में पढ़ाएंगी. लेकिन बाद में उन्हें बीएमसी के अधिकारियों ने बताया कि मराठी माध्यम से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने की वजह से अब उन्हें नौकरी नहीं दी जाएगी. पिछले एक साल से जागृति इसके खिलाफ दर-दर भटक रही हैं. यही हाल अमित पाटिल का भी है. कई अधिकारियों को अपनी परेशानी बताने के बावजूद उन्हें कहीं कोई राहत नहीं मिली.

जागृति पाटिल ने कहा कि ''महाराष्ट्र शिक्षक अभियोग्यता परीक्षा में हम सब मेरिट में आए हैं. हमें ज़्यादा मार्क्स मिले हैं. अब बीएमसी ने यह किया है कि पहले से दसवीं जिन्होंने अंग्रेज़ी माध्यम से किया है, जिन्हें हमसे कम मार्क्स मिले हैं, उन्हें लिया है और हमें नहीं लिया है.''

अमित पाटिल कहते हैं कि ''महाराष्ट्र के किसी भी एग्जाम को क्रैक करना इतना आसान नहीं होता है, हमने वो किया. वेरिफिकेशन भी होता है. उसके बाद बीएमसी वाले कहते हैं कि कक्षा 10 आपने मराठी माध्यम से किया है इसलिए हम ले नहीं सकते हैं. हमने कहा ऐसा मत कीजिए, एक तो 10 साल में एक बार सरकार नौकरी निकलती है और ऐसा होने के बाद आप कहते हैं कि हमें ले नहीं सकते हैं. तो हम जाएंगे किसके पास.''

बीएमसी में पिछले 25 सालों से शिवसेना सत्ता में है, जिसने 'मराठी मानुस' को हक दिलाने के इरादे से पार्टी की शुरुआत की थी. लेकिन अब जब बीएमसी की ओर से मराठी से पढ़ाई करने पर नौकरी नहीं दी जा रही है, तो शिवसेना पर भी सवाल उठाया जा रहा है. अब इसके खिलाफ शिवसेना भवन के बाहर प्रदर्शन करने की तैयारी भी की जा रही है.

महाराष्ट्र स्टूडेंट्स यूनियन के संस्थापक सिद्धार्थ इंग्ले ने कहा कि ''हम 18 तारीख को शिवाजी पार्क में शिवाजी महाराज के पुतले से शिवसेना भवन तक मार्च कर अपनी बात रखेंगे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को बताएंगे कि आपकी सत्ता में मराठी मानुस के साथ यह हो रहा है.''

इस मामले में बीएमसी के शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बीएमसी में दो तरह के स्कूल हैं, एक जिसमें मराठी और अंग्रेज़ी दोनों पढ़ाई जाती है, और दूसरे में केवल अंग्रेज़ी. केवल अंग्रेज़ी वाले स्कूलों में नियुक्ति के समय हमने तय किया है कि इसे कान्वेंट की तरह बनाना है और पूरी पढ़ाई अंग्रेज़ी में करने वाले को ही हम इसमें लेंगे. दूसरे तरह के स्कूलों में मराठी भाषा से पढ़ाई करने वालों को भी लिया जाता है.

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