प्रशांत भूषण
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के सोमवार को पेश होने वाले जनलोकपाल बिल पर जमकर हमले किए और दावा किया कि ये लोकपाल नहीं 'महा जोकपाल' है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि 'केजरीवाल का लोकपाल तो केंद्र सरकार के 2013 के लोकपाल बिल से भी बदतर बिल है। इससे साफ़ है अरविंद किसी तरह की कोई जवाबदेही नहीं चाहते। अरविन्द ने जितना बड़ा धोखा देश की जनता के साथ किया, उतना बड़ा धोखा आज तक किसी आंदोलन ने नहीं किया।'
आम आदमी पार्टी के दूसरे संस्थापक सदस्य शांति भूषण ने तो यहां तक कह दिया कि 'केजरीवाल ने सरकार के लोकपाल को जोकपाल कहा था, लेकिन आज केजरीवाल का बिल महा जोकपाल है।'
प्रशांत भूषण ने बताया कि उनको दिल्ली सरकार के जनलोकपाल बिल की कॉपी आप विधायक पंकज पुष्कर से मिली है जो दिल्ली विधानसभा में बिज़नेस एडवाइजरी समिति के सदस्य भी हैं। लोकपाल आंदोलन ने संस्थापक रहे भूषण ने सिलसिलेवार तरीके से इस बिल में बड़ी खामियों का दावा किया।
लोकपाल की नियुक्ति
केजरीवाल सरकार के बिल के हिसाब से लोकपाल की नियुक्ति सरकार और नेताओं के हाथ में होगी। जो पैनल चुनाव करेगा, उसमे 4 में से 3 सदस्य तो नेता होंगे, जबकि लोकपाल आंदोलन में तब की सरकार का लोकपाल ये कहकर खारिज किया गया था कि अगर नेता लोकपाल चुनेंगे तो लोकपाल स्वतंत्र कैसे होगा?
लोकपाल की बर्खास्तगी
इस लोकपाल को हटाने के लिए दिल्ली विधान सभा में दो तिहाई बहुत चाहिए, जबकि लोकपाल आंदोलन में कहा गया था कि लोकपाल स्वतंत्र तभी होगा जब इसके काम में सरकार या राजनीतिक हस्तक्षेप न हो। ये तो केंद्र के 2013 लोकपाल बिल से भी गया गुज़रा है, जिसमें लोकपाल को जब तक सुप्रीम कोर्ट दोषी न माने तब तक उसको हटाया नहीं जा सकता।
स्वतंत्र जांच एजेंसी
केजरीवाल के लोकपाल के पास किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रावधान नहीं है। दूसरे विभागों से अफसर लेकर काम चलाया जाएगा, जबकि लोकपाल आंदोलन में हमने कहा था कि स्वतंत्र जांच एजेंसी ज़रूरी है एक निष्पक्ष जांच के लिए।
लोकपाल का दायरा
केजरीवाल के लोकपाल बिल में कहा गया है दिल्ली में होने वाले किसी भी करप्शन की जांच ये लोकपाल कर सकता है। यहां तक कि केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल को भी इसके दायरे में रखा गया है। जबकि लोकपाल आंदोलन में हमारे लोकपाल बिल में साफ़ था कि केंद्र सरकार के करप्शन के लिए केंद्रीय लोकपाल और राज्य सरकार के करप्शन के लिए राज्य लोकायुक्त होगा।
भूषण के मुताबिक़, इस बिल में ऐसे प्रावधान जानबूझकर डाले गए, जिससे केंद्र सरकार कभी इसको पास न करे, क्योंकि इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल को भी इसके दायरे में डाल दिया गया है जो न तो संभव है और न ही कभी हमने मांग की थी।
गलत शिकायत पर दंड
बिल में गलत शिकायत करने पर जेल भेजने का प्रावधान है, जिससे शिकायतकर्ता शिकायत करने से डरेगा, जबकि लोकपाल आंदोलन में हमारे बिल में केवल आर्थिक दंड का प्रावधान था, जिससे शिकायत करने वाला डरे नहीं और करप्शन सामने आए।
जो अवरोध आएंगे, हम उसका समाधान निकालेंगे : गोपाल राय
इस बाबत दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय का कहना है कि मंशा पर सवाल उठाना सबसे आसान काम होता है। सरकार एक व्यवहारिकता में काम कर रही है। पिछली बार इस बिल को सदन में प्रस्तुत नहीं होने दिया गया, लेकिन इस बार सदन के अंदर बिल प्रस्तुत होने जा रहा है। बिल प्रस्तुत होने के बाद केंद्र सरकार के पास जाएगा। हम दिल्ली को भ्रष्टाचार के खिलाफ मज़बूत लोकपाल देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उसमें जो अवरोध आएंगे, हम उसका समाधान निकालेंगे।
आपको बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार के लिए ये बिल सबसे अहम है, क्योंकि ये आम आदमी पार्टी बनने का आधार है और साल 2014 में 49 दिन शासन करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार इसलिए छोड़ी थी, क्योंकि वो विधान सभा में लोकपाल बिल पेश नहीं कर पाए थे। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सोमवार को दिल्ली विधान सभा में जनलोकपाल बिल पेश करेंगे।
प्रशांत भूषण ने कहा कि 'केजरीवाल का लोकपाल तो केंद्र सरकार के 2013 के लोकपाल बिल से भी बदतर बिल है। इससे साफ़ है अरविंद किसी तरह की कोई जवाबदेही नहीं चाहते। अरविन्द ने जितना बड़ा धोखा देश की जनता के साथ किया, उतना बड़ा धोखा आज तक किसी आंदोलन ने नहीं किया।'
आम आदमी पार्टी के दूसरे संस्थापक सदस्य शांति भूषण ने तो यहां तक कह दिया कि 'केजरीवाल ने सरकार के लोकपाल को जोकपाल कहा था, लेकिन आज केजरीवाल का बिल महा जोकपाल है।'
प्रशांत भूषण ने बताया कि उनको दिल्ली सरकार के जनलोकपाल बिल की कॉपी आप विधायक पंकज पुष्कर से मिली है जो दिल्ली विधानसभा में बिज़नेस एडवाइजरी समिति के सदस्य भी हैं। लोकपाल आंदोलन ने संस्थापक रहे भूषण ने सिलसिलेवार तरीके से इस बिल में बड़ी खामियों का दावा किया।
लोकपाल की नियुक्ति
केजरीवाल सरकार के बिल के हिसाब से लोकपाल की नियुक्ति सरकार और नेताओं के हाथ में होगी। जो पैनल चुनाव करेगा, उसमे 4 में से 3 सदस्य तो नेता होंगे, जबकि लोकपाल आंदोलन में तब की सरकार का लोकपाल ये कहकर खारिज किया गया था कि अगर नेता लोकपाल चुनेंगे तो लोकपाल स्वतंत्र कैसे होगा?
लोकपाल की बर्खास्तगी
इस लोकपाल को हटाने के लिए दिल्ली विधान सभा में दो तिहाई बहुत चाहिए, जबकि लोकपाल आंदोलन में कहा गया था कि लोकपाल स्वतंत्र तभी होगा जब इसके काम में सरकार या राजनीतिक हस्तक्षेप न हो। ये तो केंद्र के 2013 लोकपाल बिल से भी गया गुज़रा है, जिसमें लोकपाल को जब तक सुप्रीम कोर्ट दोषी न माने तब तक उसको हटाया नहीं जा सकता।
स्वतंत्र जांच एजेंसी
केजरीवाल के लोकपाल के पास किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रावधान नहीं है। दूसरे विभागों से अफसर लेकर काम चलाया जाएगा, जबकि लोकपाल आंदोलन में हमने कहा था कि स्वतंत्र जांच एजेंसी ज़रूरी है एक निष्पक्ष जांच के लिए।
लोकपाल का दायरा
केजरीवाल के लोकपाल बिल में कहा गया है दिल्ली में होने वाले किसी भी करप्शन की जांच ये लोकपाल कर सकता है। यहां तक कि केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल को भी इसके दायरे में रखा गया है। जबकि लोकपाल आंदोलन में हमारे लोकपाल बिल में साफ़ था कि केंद्र सरकार के करप्शन के लिए केंद्रीय लोकपाल और राज्य सरकार के करप्शन के लिए राज्य लोकायुक्त होगा।
भूषण के मुताबिक़, इस बिल में ऐसे प्रावधान जानबूझकर डाले गए, जिससे केंद्र सरकार कभी इसको पास न करे, क्योंकि इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल को भी इसके दायरे में डाल दिया गया है जो न तो संभव है और न ही कभी हमने मांग की थी।
गलत शिकायत पर दंड
बिल में गलत शिकायत करने पर जेल भेजने का प्रावधान है, जिससे शिकायतकर्ता शिकायत करने से डरेगा, जबकि लोकपाल आंदोलन में हमारे बिल में केवल आर्थिक दंड का प्रावधान था, जिससे शिकायत करने वाला डरे नहीं और करप्शन सामने आए।
जो अवरोध आएंगे, हम उसका समाधान निकालेंगे : गोपाल राय
इस बाबत दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय का कहना है कि मंशा पर सवाल उठाना सबसे आसान काम होता है। सरकार एक व्यवहारिकता में काम कर रही है। पिछली बार इस बिल को सदन में प्रस्तुत नहीं होने दिया गया, लेकिन इस बार सदन के अंदर बिल प्रस्तुत होने जा रहा है। बिल प्रस्तुत होने के बाद केंद्र सरकार के पास जाएगा। हम दिल्ली को भ्रष्टाचार के खिलाफ मज़बूत लोकपाल देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उसमें जो अवरोध आएंगे, हम उसका समाधान निकालेंगे।
आपको बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार के लिए ये बिल सबसे अहम है, क्योंकि ये आम आदमी पार्टी बनने का आधार है और साल 2014 में 49 दिन शासन करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार इसलिए छोड़ी थी, क्योंकि वो विधान सभा में लोकपाल बिल पेश नहीं कर पाए थे। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सोमवार को दिल्ली विधान सभा में जनलोकपाल बिल पेश करेंगे।
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