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This Article is From Nov 26, 2015

जाति की पहचान रंगों से, तमिलनाडु सरकार को मानवाधिकार आयोग का नोटिस

जाति की पहचान रंगों से,  तमिलनाडु सरकार को मानवाधिकार आयोग का नोटिस
प्रतीकात्मक फोटो
चेन्नई: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने जाति की पहचान करने या जाति का संकेत देने के लिए स्कूली छात्रों की ओर से विभिन्न रंगों का इस्तेमाल किए जाने की खबरें सामने आने पर गुरुवार को तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया।

छात्रों की कलाई पर रंगीन बैंड
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि आयोग ने उस मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया जिसमें कहा गया था कि तिरूनेलवेली जिले के स्कूलों में लाल, पीले, हरे और केसरिया रंगों से जाति की पहचान होती है। छात्र अपनी कलाई, माथे, गर्दन के चारों ओर, कमीज के भीतर ऐसे बैंड पहनते हैं जिससे उनकी जाति का पता चले। दक्षिण तमिलनाडु का यह इलाका अन्य पिछड़े वर्गों और दलितों के बीच हिंसक जातिगत संघर्षों के लिए कुख्यात रहा है। इस इलाके में बैंड के जरिए बच्चे यह समझते हैं कि कौन उनका दोस्त है और कौन दोस्त नहीं हैं।

आयोग ने रिपोर्ट मांगी
इन वर्चस्ववादी समुदायों द्वारा कलाई पर बांधे जाने वाले बैंड जैसे पहचान चिन्हों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि दलितों की पहचान की जा सके और उसे अधीन रखा जा सके। समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और तिरूनेलवेली के जिलाधिकारी को नोटिस जारी करते हुए आयोग ने कहा, ‘प्रेस में आई रिपोर्ट यदि सही है तो यह मानवाधिकार के एक गंभीर मुद्दे को उठाता है ।’ आयोग ने दो हफ्ते के भीतर तथ्यपूर्ण रिपोर्ट मांगी है ।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जिला प्रशासन के अधिकारियों ने छात्र समूहों के बीच होने वाले संघर्षों की जांच करते हुए पाया कि जाति के आधार पर छात्रों को निशाना बनाने के लिए कलाई पर बांधे जाने वाले बैंड का इस्तेमाल किया जाता है।

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