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This Article is From Dec 16, 2020

क्या मुंबई में हर्ड इम्युनिटी आ गई है? अब कोरोना से मौतें सिंगल डिजिट में

मुंबई में भीड़भाड़ वाली बस्तियों से कोरोना के मामले काफ़ी कम हो गए, गम्भीर मरीज़ों की तादाद महीनों बाद 800 के नीचे, रिकवरी रेट 93% तक बढ़ा, संक्रमण की दर 0.21% तक कम हुई

क्या मुंबई में हर्ड इम्युनिटी आ गई है? अब कोरोना से मौतें सिंगल डिजिट में
मुंबई की भीड़ वाली घनी बस्तियों में कोरोना के नए केस आने कम हो गए हैं (प्रतीकात्मक फोटो).
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
नवम्बर से लगातार घट रहे कोरोना के मामले और मौतें
कोविड टास्क फ़ोर्स ने कहा- नई वेव के लिए सतर्क रहना ज़रूरी
कोविड के लिए फ़रवरी तक अस्पतालों के 80% बेड रिज़र्व
मुंबई:

मुंबई (Mumbai) शहर में लगातार कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामले घट रहे हैं. मौतें सिंगल डिजिट में दिख रही हैं. कोविड टास्क फ़ोर्स का मानना है कि भीड़भाड़ वाले इलाक़ों में मुंबई हर्ड इम्युनिटी (Herd immunity) देख रही है. दो दिन से रोज़ 7 मौतें, अप्रैल के बाद पहली बार, दो दिन लगातार सिंगल डिजिट में मौतों की संख्या दिखी है. शहर में 766 गंभीर कोविड (Covid) मरीज़ हैं. महीनों बाद 1000 से कम पर ये आंकड़ा पहुंचा है. रिकवरी रेट बढ़कर 93% तो संक्रमण की दर 0.21% तक कम हो गई है. अस्पतालों में 72% कोविड बेड और क़रीब 50% ICU बेड ख़ाली हैं. नवम्बर महीने से लगातार राहत पहुंचाने वाले आंकड़े मुंबई देख रही है.

महाराष्ट्र सरकार की राज्य-कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ राहुल पंडित, हर्ड इम्यूनिटी को भी इसके कारण के तौर पर देख रहे हैं. हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता. डॉ राहुल पंडित ने कहा कि ‘'मुंबई के भीड़ भाड़ वाले इलाकों से केस आना कम हुए हैं. स्वाभाविक है ये सोचना, क्या इन इलाक़ों में हर्ड इम्यूनिटी आ गई है. मुझे लगता है हर्ड इम्यूनिटी इन भीड़ वाली बस्तियों में ज़रूर आई है. अब बस ये है कि इन सब इलाक़ों में सेरो सर्वे कर निश्चित रूप से इसे पता करना होगा.''

वहीं कोविड बेड मैनजमेंट देख रहे बीएमसी टास्क फोर्स के सदस्य डॉ गौतम भंसाली स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत और मरीज़ों में जागरूकता को ही पूरा श्रेय देना चाहते हैं, हर्ड इम्यूनिटी को नहीं. डॉ गौतम भंसाली कहते हैं कि ‘'आज हर मरीज़ को पता है कि पल्स ऑक्सीमीटर क्या होता है? ऑक्सीजन सेचुरेशन क्या होता है, जो एक साल पहले लोग नहीं जानते थे. उनको पता है कि ऑक्सीजन लेवल कम हुआ तो हॉस्पिटल जाना है, बेड तुरंत मिल रहा है, ट्रीटमेंट तुरंत शुरू हो रहा है. आईसीयू वेंटिलेटर सब काफ़ी मात्रा में हैं. अगर जल्दी मरीज़ों को ये सुविधा मिलती है तो मरीज़ बचता है. तो ये सब काम जो बेसिक लेवल पर हुआ, प्लस पब्लिक में जागरूकता, मास्क की अहमियत पुलिस और बीएमसी ने लोगों को समझाई है, कैंपेन एड या फिर फ़ाइन के ज़रिए, तो इनको श्रेय देना चाहिए ना कि हर्ड इम्यूनिटी को. ''

वैसे मुंबई में गिरे तापमान और नए साल के जश्न में कोविड की नई वेव की आशंका के बीच महाराष्ट्र सरकार ने कोविड मरीज़ों के लिए अस्पतालों में 80% बेड रेज़र्वेशन का पुराना फ़ैसला फ़रवरी 2020 तक बढ़ा दिया है और सार्वजनिक जगहों पर मास्क की मुहिम तेज़ की है.

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