दिल्ली में पत्थर से बनी सबसे ऊंची ऐतिहासिक इमारत कुतुबमीनार को यूनेस्को ने भले ही विश्व धरोहर घोषित किया हो लेकिन 13वीं शताब्दी में बने प्राचीन भारत की वास्तुकला के एक नायाब नगीने को नगर निगम का नाला बरबाद करने पर तुला है. गुलाम राजवंश के कुतुबुद्दीन ऐबक ने ईस्वी सन 1199 में कुतुब मीनार की नींव रखी थी, लेकिन अब इसकी बुनियाद नगर निगम का नाला कमजोर कर रहा है.
इस नाले की मरम्मत करने के लिए पुरातत्व विभाग लगातार तीन साल से दक्षिणी नगर निगम को चिट्ठी पर चिट्ठी लिख रहा है लेकिन निगम के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
इसी साल अप्रैल में पुरातत्व विभाग ने पत्र लिखकर कहा कि इस नाले की वजह से कुतुब मीनार स्मारक में पानी भर रहा है जिससे देशी-विदेशी सैलानियों को तो परेशानी हो रही है, स्मारक की दीवार भी क्षतिग्रस्त हो रही है. शिकायतों के के बावजूद नगर निगम इस नाले की मरम्मत करने को तैयार नहीं है.
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गौरतलब है कि सन 2016 में भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) ने कार्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत कुतुब मीनार की जिम्मेदारी ली थी और वह स्वच्छता सहित विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है.
आईटीडीसी ने सीएसआर के तहत कुतुब मीनार की जिम्मेदारी ली है और वहां वह सभी शौचालयों की मरम्मत, संकेतकों को लगाने, कचरों के डब्बे प्रदान करने, लाइट कवर की मरम्मत और रेलिंग की पेंटिंग आदि पर काम कर रहा है.
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