RBI Penalty: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) बैंकों और फाइनेंस कंपनियों (Finance Company) पर सख्ती से नजर रख रहा है. अगर आरबीआई किसी बैंक या वित्तीय संस्थान की जांच करता है और इस दौरान नियमों के उल्लंघन से संबंधित कोई खामी पाई जाती है तो उनपर जुर्माना से लेकर बैन तक लगाया जाता है. पेटीएम पेमेट्स बैंक (Paytm Payments Bank) पर 21 फरवरी के बाद से बैन लगाने के बाद अब इस बार आरबीआई ने पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन पर एक्शन लिया है.
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन पर 8.8 लाख रुपये का जुर्माना
बीते दिन आरबीआई (RBI) ने पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (Power Finance Corporation) पर 8.8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. केंद्रीय बैंक ने ‘नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) और कोर इन्वेस्टमेंट कंपनियों के लिए लिक्विडिटी रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क (Liquidity Risk Management Framework) पर निर्देशों के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने के मामले में यह कदम उठाया है. आरबीआई ने कंपनी का निरीक्षण 31 मार्च, 2022 तक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किया था.
60% के निर्धारित लिक्विडिटी कवरेज रेशियो नहीं बनाए कऱने पर एक्शन
रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने परिणामस्वरूप, 31 मार्च, 2022 की स्थिति के अनुसार 60 प्रतिशत के निर्धारित लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (Liquidity Coverage Ratio) को बनाए नहीं रखा. इस बारे में कंपनी को नोटिस दिया गया.
जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन के जवाब पर विचार करने के बाद मामले को सही पाया गया. उसके बाद आरबीआई ने मौद्रिक जुर्माना (RBI Monetary Penalty) लगाने का निर्णय किया. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता को प्रभावित करना नहीं है.
बजाज हाउसिंग फाइनेंस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना
पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ने कुछ नियामक प्रावधानों का अनुपालन न करने पर बजाज हाउसिंग फाइनेंस (Bajaj Housing Finance) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2 फरवरी को बयान में कहा कि यह जुर्माना गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (रिजर्व बैंक) दिशानिर्देश, 2021 के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन के लिए लगाया गया है.
आरबीआई ने कहा कि पुणे की कंपनी ने प्रबंधन में बदलाव के लिए आरबीआई से पूर्व लिखित अनुमति नहीं ली. इस बदलाव के तहत स्वतंत्र निदेशकों को छोड़कर 30 प्रतिशत से अधिक निदेशक बदल गए.
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