कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Prices) में सोमवार को शुरुआती एशियाई कारोबार के दौरान बढ़ोतरी देखी गई, जिससे पिछले हफ्ते से तेल की कीमतों में बढ़त जारी रही. यह बढ़त ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम के हेलीकॉप्टर क्रैश (Iran Presidential Helicopter crash) के बाद निधन और अमेरिका द्वारा अपने तेल भंडार को फिर से भरने के लिए कच्चे तेल (Crude Oil) की खरीद के बीच हुई. वहीं, 21 मई को तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. आज यानी मंगलवार को शुरुआती एशियाई कारोबार में तेल की कीमतों (Crude Oil Prices Today) में गिरावट आई.
जिससे ब्रेंट क्रूड वायदा 0.1% या 12 सेंट घटकर 0041 GMT तक 83.34 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल (WTI) 0.1% या 8 सेंट घटकर 79.72 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.
ईरान के अधिकारियों के अनुसार, रविवार को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को ले जा रहा एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया.जिसमें, राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) और विदेश मंत्री होसेन अमीराबदोलहियन (Hossein Amirabdollahian) की जान चली गई.
वही, इस खबर के बाद, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ सोने की कीमत एकबार फिर ऑल टाईम हाई लेवल पर चला गया.
मिडिल ईस्ट से कच्चे तेल के निर्यात पर हो सकता है गहरा असर
इब्राहिम रईसी के निधन (Iran President Dies) के चलते ईरान सरकार के आपातकाल की स्थिति में आ जाने से, मिडिल ईस्ट से कच्चे तेल के निर्यात पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं, OPEC (ओपेक), जिसे पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन के नाम से जाना जाता है, और इसके सहयोगी देशों का मिलकर एक समूह बनता है जिसे "ओपेक+" (ऑपेक प्लस) कहा जाता है.
ये सभी देश 1 जून को एक बैठक करने वाले हैं. उम्मीद है कि बैठक में उत्पादन नीति को लेकर स्पष्टता आने के बाद ही कीमतों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.
अमेरिकी सरकार ने 3.3 मिलियन बैरल तेल खरीदा
वहीं, अमेरिकी सरकार ने पिछले हफ्ते के अंत में घोषणा की कि उसने 2022 में भंडार से एक बड़ी बिक्री के बाद अपने पेट्रोलियम रिजर्व को फिर से भरने के लिए 79.38 डॉलर प्रति बैरल की दर से 3.3 मिलियन बैरल तेल खरीदा है.पिछले हफ्ते, अमेरिका में मुद्रास्फीति (US Inflation) में कमी के संकेतों से बाजार को समर्थन मिला, जिसने ब्याज दरों में कटौती (Interest Rate Cuts) की उम्मीदों को बढ़ा दिया. इस तरह की कटौती से डॉलर का वैल्यू कम हो सकता है, जिससे अन्य करेंसी में खरीद करने वाले लोगों के लिए तेल सस्ता हो जाएगा.
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