
- भारत की इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की रिपोर्ट में कहा गया है कि UPI ने भारत को ग्लोबल फास्ट पेमेंट लीडर बना दिया है.
- जून 2025 में भारत में UPI के माध्यम से 18.39 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू 24.03 लाख करोड़ रुपये रही.
- UPI हर दिन 64 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन प्रोसेस करता है, जो VISA से भी ज्यादा है और तेजी से बढ़ रहा है.
भारत ने तेज और आसान डिजिटल पेमेंट के मामले में पूरी दुनिया को पीछे छोड़ दिया है. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब ग्लोबल फास्ट पेमेंट लीडर बन गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह है UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस.
सिर्फ जून 2025 में ही, भारत में UPI के जरिए 18.39 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू रही 24.03 लाख करोड़ रुपये. ये पिछले साल जून की तुलना में करीब 32 फीसदी ज्यादा है, जब 13.88 अरब ट्रांजैक्शन दर्ज हुए थे.
हर दिन 64 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन, VISA से भी आगे निकला UPI
आज UPI की पहुंच इतनी ज्यादा है कि यह हर दिन 640 मिलियन यानी 64 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन प्रोसेस कर रहा है. यह आंकड़ा दुनिया की बड़ी कंपनियों जैसे VISA से भी ज्यादा है, जो रोजाना करीब 639 मिलियन ट्रांजैक्शन प्रोसेस करती है.
सिर्फ नौ साल में UPI ने इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है, जिससे यह दुनिया का सबसे सफल पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बन गया है.

दुनिया के 50% रियल टाइम पेमेंट में भारत का योगदान
आज भारत के कुल डिजिटल पेमेंट का 85 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ UPI से होता है. इतना ही नहीं, दुनिया में जितने रियल टाइम डिजिटल पेमेंट होते हैं, उनमें से करीब 50 फीसदी भारत में ही होते हैं. ये बताता है कि भारत कितनी तेजी से कैशलेस इकॉनमी की तरफ बढ़ रहा है.
गांव और छोटे शहरों में भी आसान हो गई डिजिटल पेमेंट
UPI की वजह से सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि गांव और कस्बों में भी लोग आसानी से डिजिटल पेमेंट कर पा रहे हैं. यह देश में फाइनेंशियल इनक्लूजन यानी हर वर्ग तक बैंकिंग और डिजिटल सेवाएं पहुंचाने का सबसे सफल जरिया बना है.

दुनिया के 7 देशों में पहले से लाइव, अब यूरोप तक पहुंचा
भारत की यह सफलता सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि बाहर भी असर दिखा रही है. UPI अभी तक UAE, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे 7 देशों में पहले से लाइव है. हाल ही में फ्रांस में लॉन्च होकर यह पहली बार यूरोप में पहुंचा है.
अब भारत चाहता है कि BRICS समूह (जहां हाल ही में 6 नए देश जुड़े हैं) में भी UPI को पेमेंट सिस्टम के तौर पर अपनाया जाए. अगर ऐसा होता है तो भारत को ग्लोबल डिजिटल पावर बनने में और मजबूती मिलेगी.
UPI क्यों बना दुनिया का नंबर 1 पेमेंट सिस्टम?
UPI की ये सफलता एक दिन में नहीं आई. इसके पीछे भारत का डिजिटल रोडमैप, जनधन योजना से शुरू हुआ बैंकिंग कवरेज, मोबाइल पेमेंट का बढ़ता इस्तेमाल और लोगों की जरूरतों के हिसाब से सिस्टम को आसान बनाना, यह सब बड़ी वजहें रहीं.आज UPI के जरिये सिर्फ कुछ टैप में मोबाइल से पेमेंट करना, किसी को पैसे भेजना, बैंक बैलेंस चेक करना, सब कुछ संभव है.
IMF की रिपोर्ट यही बताती है कि UPI अब सिर्फ एक पेमेंट सिस्टम नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल आत्मनिर्भरता की पहचान बन गया है. आने वाले समय में इसकी ग्लोबल मौजूदगी और बढ़ेगी और यह भारत को डिजिटल इकोनॉमी में ग्लोबल लीडर बनाएगा.
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