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रिटर्न फाइल करने में हो गई देरी, नो टेंशन, अब अगले साल से नहीं लगेगी कोई पेनल्टी

टैक्स स्लैब में कोई चेंज नहीं किया है. पुराने कानून के जैसे ही ये स्लैब बरकरार रहेगी. इस नए बिल का अहम उद्देश्य है कि टैक्सपेयर्स के लिए नियमों को आसान बनाया जाए.

रिटर्न फाइल करने में हो गई देरी, नो टेंशन, अब अगले साल से नहीं लगेगी कोई पेनल्टी
  • अप्रैल 2026 से लागू होने वाला नया इनकम टैक्स बिल टैक्सपेयर्स के लिए कई फायदे लेकर आएगा
  • यदि आईटीआर डेडलाइन मिस हो जाए तब भी टैक्स रिफंड क्लेम करना संभव होगा
  • पेंशन फंड से मिली कम्यूटेड पेंशन पूरी तरह टैक्स फ्री होगी, जिससे प्राइवेट कर्मचारियों को राहत मिलेगी
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अभी देश में इनकम टैक्स एक्ट 1961 लागू है. अगले साल अप्रैल 2026 से नया इनकम टैक्स बिल लागू हो जाएगा. बताया जा रहा है कि इस नए बिल से टैक्स पेयर्स को कई फायदे होने वाले हैं. हालांकि एक सवाल सभी के मन में है कि इस नए बिल में टैक्स फाइल करने का प्रोसेस 1961 एक्ट से कितना अलग होगा? सालों से टैक्सपेयर्स पुराने कानून के जरिए डिडक्शन, छूट, टीडीएस रिफंड का इस्तेमाल करते आ रहे हैं, तो अब इस नए बिल के बाद क्या बदलने वाला है. इस खबर में ये सभी जानकारी आसान शब्दों में देते हैं.  

खत्म हुईं टीडीएस पर लेट पेनल्टी

एक बड़ा बदलाव ये हुआ है कि अगर आप किसी वजह से डेडलाइन के अंदर आईटीआर फाइल नहीं कर पाए हैं, तब भी अपना टैक्स रिफंड क्लेम कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आपने तय समय सीमा के अंदर टीडीएस की जानकारी नहीं दी है तो आप पर कोई भी पेनल्टी नहीं लगाई जाएगी. यानी किसी भी तरह के जुर्माना आप पर नहीं लगेगा.

जीरो टीडीएस सर्टिफिकेट

अगर टैक्स के दायरे में नहीं आ रहे हैं तो आप अब जीरो टीडीएस सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे आप रिटर्न फाइल के बड़े झंझट से बच जाएंगे. सबसे बड़ी बात ये है कि इसका फायदा भारतीयों के साथ-साथ नॉन रेजिडेंट इंडियन भी ले सकते हैं. 

पेंशन फंड पर राहत

एलआईसी पेंशन फंड जैसे कुछ नोटिफाइड पेंशन फंडों से मिली कम्यूटेड पेंशन अब पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी. इस फैसले के बाद प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग अब सरकारी कर्मचारियों के बराबर ही छूट ले पाएंगे.

आईटीआर फाइलिंग 2026 के लिए जरूरी बातें

ध्यान देने वाली एक अहम बात ये है कि टैक्स स्लैब में कोई चेंज नहीं किया है. पुराने कानून के जैसे ही ये स्लैब बरकरार रहेगी. इस नए बिल का अहम उद्देश्य है कि टैक्सपेयर्स के लिए नियमों को आसान बनाया जाए, जिससे टैक्स फाइलिंग में लगने वाले समय और मेहनत दोनों को कम किया जा सके.

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