Byju's Loan Crisis: अरबपति सीईओ बायजू रवींद्रन द्वारा शुरू किया गया बायजू (Byju's) कभी देश का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप हुआ करता था. भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को बायजू से स्कूलों और कॉलेजों में बड़े बदलाव की शुरुआत करने की उम्मीद थी. 2022 में इसका वैल्यूएशन 22 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया क्योंकि ऑनलाइन और ऑफलाइन एजुकेशनल कोर्स ऑफर करने के कारण इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई. लेकिन पिछले साल कंपनी की लोकप्रियता और वैल्यूएशन दोनों में भारी गिरावट देखी गई है. जिसकी वजह से कंपनी ने भारी संख्य़ा में छंटनी की है.
इसके बावजूद कंपनी के ऊपर संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.भारी कर्ज में डूबी कंपनी को पास कर्मचारियों को समय से सैलरी देने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.इतना ही नहीं, कंपनी के कई इन्वेस्टर अब एड-टेक फर्म में लीडरशिप में बदलाव की मांग कर रहे हैं. इन सभी वजहों से फिलहाल बायजू मुसीबतों में घिरा हुआ है.
कैसे हुई Byju's की शुरुआत?
बायजू रवीन्द्रन एक शिपिंग फर्म में सर्विस इंजीनियर के रूप में खुशी-खुशी काम कर रहे थे. 2003 में केरल में अपने होमटाऊन जाने पर उन्होंने कुछ दोस्तों को एमबीए एंट्रेस एग्जाम कैट (MBA Entrance Exam CAT) में सफल होने में मदद की, तब उन्हें पहली बार एहसास हुआ कि उन्हें पढ़ाने का शौक है. इसके बाद वह खुद भी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए और अच्छे नंबर के साथ पास हुए. हालांकि उन्होंने एमबीए के लिए सभी जॉब ऑफर रिजेक्ट को कर दिया और वापस आकर अपनी नौकरी करने लगे. लेकिन दो साल बाद फिर से उन्होंने एंट्रेस एग्जाम दिया और इस बार 100 प्रतिशत स्कोर हासिल किए.
इसके चलते कई लोग एंट्रेस एग्जाम पास करने में मदद के लिए उनके पास आने लगे. उनके टीचिंग स्किल की डिमांग तेजी से बढ़ी, जिसके कारण 2006 में कैट एग्जाम के लिए Byju's क्लासेज की शुरुआत की गई.
ऐसे बना दुनिया का सबसे महंगा एड-टेक स्टार्टअप
बायजू ने जल्द ही अंडर-ग्रेजुएट स्टूडेट्स तक अपनी पहुंच बढ़ाई.जिसके बाद 2011 में थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड का फॉर्म किया गया. फिर कंपनी ने स्कूल कैरिकुलम में एंटर किया. इसके बाद इसने चैप्टर्स को इंटरैक्टिव वीडियो में बदल दिया और स्टूडेट्स को फंडामेंटल कॉनसेप्ट को समझाने के लिए रियल लाइफ के उदाहरणों का उपयोग करना शुरू कर दिया.
2015 में बायजू लर्निंग ऐप लॉन्च
2015 में कंपनी ने बायजूस लर्निंग ऐप लॉन्च किया, जो किंडरगार्टन से लेकर 12वीं क्लास तक के स्टूडेट्स को एजुकेशनल सर्विस प्रोवाइड करता था. 2019 तक, बायजू स्टार्टअप का वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया और यह भारत का पहला एड-टेक यूनिकॉर्न बन गया था. इसके साथ ही यह भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का फेवरेट बन गया.
इंटरैक्टिव वीडियो और टेक्नोलॉजी के उपयोग के साथ-साथ शाहरुख खान और विराट कोहली जैसे सेलिब्रिटी के इंडोर्समेंट ने बायजू के वैल्यूएशन को 22 बिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया, जिससे यह दुनिया का सबसे महंगा एड-टेक स्टार्टअप बन गया.
इस तरह बुलंदियों से फर्श पर पहुंची कंपनी
बायजू के तेजी से बढ़ने के बाद कंपनी के वैल्यू में जोरदार गिरावट आई. कोविड महामारी के दौरान तेजी से विस्तार के बाद, बायजू कैश-फ्लो की समस्याओं से जूझ रहा है और 1.2 अरब डॉलर के लोन को लेकर लैंडर्स के साथ विवाद में उलझा हुआ है. तेजी से अधिक कस्टमर हासिल करने के लिए कंपनी के विस्तार के कारण टॉक्सिक वर्क कल्चर और कर्मचारियों अधिक दबाव के आरोप भी लगे. जून 2023 में, टेक इन्वेस्टर प्रोसस ने बायजू के वैल्यूएशन में 75% की कटौती की, जिसके बाद कंपनी पर छंटनी और फाइनेंशियल मिस मैनेजमेंट के आरोप लगे.
बायजू की मूल कंपनी, थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड को कर्मचारियों को पीएफ का पैसा नहीं देने के लिए जांच का सामना करना पड़ा और ऐड बकाया का भुगतान न करने के कारण Google और Facebook द्वारा भी सस्पेंड कर दिया गया.
कोविड महामारी के बाद दिखने लगा मंदी का दौर
जब कोविड महामारी आई,तो बायजू को ऑनलाइन प्रमोशन करने का मौका मिला और वह मार्केटिंग में लग गया. मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच कंपनी के के बिजनेस में तेजी आई. इसने न केवल भारत में बल्कि अमेरिका में भी कई एड-टेक स्टार्टअप का एक्वीजीशन किया, इसके जरिये बायजू ने तेजी से विस्तार करने की कोशिश की. COVID-19 के दौरान, कंपनी ने भारतीय क्रिकेट टीम,द फुटबॉल वर्ल्ड कप को स्पॉन्सर किया. यहां तक कि फुटबॉल स्टार लियोनेल मेस्सी को अपना ग्लोबल ब्रांड एंबेसडर के लिए साइन किया गया. लेकिन कोरोना के बाद क्लासेज फिर से शुरू होने के चलते कंपनी की ग्रोथ धीमी पड़ गई. इसके साथ ही महीनों से चल रहे कानूनी विवाद के कारण कंपनी की चुनौतियां बढ़ गई हैं, जो आगे भी बढ़ने संकेत दे रही हैं.
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