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Economic Survey 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में पेश करेंगी आर्थिक सर्वे, किन मुद्दों पर रहेगा फोकस?

Economic Survey 2024-25: भारत में पहली बार 1950-51 में आर्थिक समीक्षा पेश की गई थी. शुरुआत में इसे केंद्रीय बजट (Union Budget 2025) के साथ ही पेश किया जाता था, लेकिन 1964 से इसे बजट से एक दिन पहले जारी करने की परंपरा शुरू हुई. तब से लेकर अब तक हर साल आर्थिक सर्वेक्षण बजट से ठीक पहले संसद में प्रस्तुत किया जाता है.  

Economic Survey 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में पेश करेंगी आर्थिक सर्वे, किन मुद्दों पर रहेगा फोकस?
Budget 2025: इस साल इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) के ड्राफ्ट को मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (V. Anantha Nageswaran) की अगुवाई में तैयार किया गया है.
नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आज यानी शुक्रवार को संसद में आर्थिक समीक्षा (Economic Survey 2024-25) पेश करेंगी. यह दस्तावेज मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के प्रदर्शन का विश्लेषण करता है और आगामी चुनौतियों पर रोशनी डालता है. आम बजट (Union Budget 2025) से एक दिन पहले पेश की जाने वाली यह रिपोर्ट आर्थिक सुधारों और विकास की दिशा भी तय करती है.  

इस साल इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) के ड्राफ्ट को मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (V. Anantha Nageswaran) की अगुवाई में तैयार किया गया है. यह दस्तावेज अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की प्रगति को दर्शाता है.  

आज से बजट सत्र की शुरुआत

आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी, जिसके साथ ही बजट सत्र (Budget Session) की आधिकारिक शुरुआत होगी. इसके बाद शनिवार को वित्त मंत्री मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा केंद्रीय बजट (Union Budget 2024-25) पेश करेंगी.  

इस बार बजट सत्र (Parliament Budget Session 2025) दो भागों में आयोजित किया जाएगा. पहला भाग 13 फरवरी तक चलेगा, जबकि दूसरा भाग 10 मार्च से शुरू होकर 4 अप्रैल को समाप्त होगा. 

 किन मुद्दों पर रहेगा फोकस?  

आर्थिक समीक्षा में इस बार विकास दर (Growth Rate) में संभावित सुस्ती, डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर (Exchange Rate) में गिरावट और घरेलू मांग (Domestic Consumption) में कमी जैसे अहम बिंदुओं का आकलन किया जा सकता है. इसके अलावा, गरीबी उन्मूलन (Poverty Alleviation), जलवायु परिवर्तन (Climate Change), शिक्षा (Education), बुनियादी ढांचा (Infrastructure Development) और वित्तीय क्षेत्र (Financial Sector) से जुड़ी चुनौतियों पर भी नए और महत्वपूर्ण सुझाव दिए जाने की संभावना है.  

इकोनॉमिक सर्वे का इतिहास  

भारत में पहली बार 1950-51 में आर्थिक समीक्षा पेश की गई थी. शुरुआत में इसे केंद्रीय बजट के साथ ही पेश किया जाता था, लेकिन 1964 से इसे बजट से एक दिन पहले जारी करने की परंपरा शुरू हुई. तब से लेकर अब तक हर साल आर्थिक सर्वेक्षण बजट से ठीक पहले संसद में प्रस्तुत किया जाता है.  

आर्थिक समीक्षा का मसौदा (Draft) मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Adviser - CEA) और वित्त मंत्रालय की एक विशेष टीम तैयार करती है. यह दस्तावेज मुख्य रूप से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs - DEA) के इकोनॉमिक डिवीजन द्वारा तैयार किया जाता है.  

जब वित्त सचिव (Finance Secretary) आर्थिक समीक्षा के अंतिम मसौदे की समीक्षा कर इसे मंजूरी देते हैं, तब इसे वित्त मंत्री (Finance Minister) के हस्ताक्षर के बाद संसद में पेश किया जाता है. इस वर्ष भी मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन और उनकी टीम ने इसे तैयार किया है.  

अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि आर्थिक समीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और भविष्य की नीतियों को लेकर क्या महत्वपूर्ण बातें सामने आती हैं.

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