अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से अप्रत्यक्ष करों के बोझ को कम करने और ज़रूरी होने पर शुल्क ढांचे को युक्तिसंगत बनाने का आग्रह किया.
केंद्रीय वित्तमंत्री के साथ उद्योग जगत के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की बजट-पूर्व परामर्श बैठक लगभग दो घंटे तक चली, जिसमें प्रतिनिधियों ने अपने-अपने उद्योगों के बारे में सरकार से बजट में ज़रूरी प्रावधान किए जाने की मांग रखी.
निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने वित्तमंत्री से ब्याज समानीकरण योजना को अगले पांच वर्ष के लिए बढ़ाने का अनुरोध भी किया. यह योजना 30 जून, 2024 तक वैध है. कुमार ने कहा, "हम इस योजना को 5 साल के लिए बढ़ाने का अनुरोध करते हैं... बीते 2 साल में रेपो दर 4.4 प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो जाने से ब्याज दरें बढ़ गई हैं... ऐसी स्थिति में MSME क्षेत्र के निर्माताओं के लिए छूट दरों को 3 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक बहाल किया जा सकता है..."
बैठक में शामिल होने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के पेट्रो-रसायन-उद्योग मामलों के प्रमुख अजय सरदाना ने कहा कि पेट्रो-रसायन उद्योग से संबंधित चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क की समीक्षा करने की ज़रूरत है. सरदाना ने कहा, "चीन ने बहुत अधिक क्षमता बना ली है... वह बहुत सस्ती कीमत पर भारत में तमाम उत्पाद ला रहा है और बहुत अधिक डंपिंग हो रही है... ऐसे में हमने शुल्क व्यवस्था की समीक्षा का अनुरोध किया है, ताकि घरेलू क्षमता बढ़ाई जा सके..."
श्री सीमेंट के चेयरमैन एच.एम. बांगर ने कहा कि सरकार को पूंजीगत व्यय पर अधिक खर्च करना चाहिए, ताकि सीमेंट उद्योग को लाभ हो. उन्होंने कहा, "हमने तेज़ी से और एक साथ पर्यावरणीय मंज़ूरी मांगी और पूंजीगत व्यय में कोई बाधा नहीं आने दी..."
गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष संदीप इंजीनियर ने कहा, "हमने छोटे और मझोले उद्योगों का प्रतिनिधित्व किया... 45-दिवसीय भुगतान विंडो सकारात्मक है, लेकिन समय चक्र में कुछ छूट की मांग की है..." उन्होंने MSME इकाइयों की परिभाषा बदलने और सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) और उच्च संपदा वाले व्यक्तियों (HNI) के लिए करों को युक्तिसंगत बनाने का मामला भी वित्तमंत्री के साथ बैठक में उठाया.
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