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बजट से पहले समझिए बजट का सार, कैसा था साल 2024-2025 का आम बजट

बजट सार (Budget Summary) बजट का एक संक्षिप्त संस्करण होता है, जिसमें सरकार द्वारा किए गए वित्तीय प्रावधानों और प्राथमिकताओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है.  

बजट से पहले समझिए बजट का सार, कैसा था साल 2024-2025 का आम बजट
नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को साल 2025-2026 के लिए आम बजट पेश करेंगी. आम बजट में सरकार की आर्थिक नीति की दिशा दिखाई देती है. इसमें मंत्रालयों को उनके खर्चों के लिए पैसे का आवंटन होता है बड़े तौर पर इसमें आने वाले साल के लिए कर प्रस्तावों का ब्योरा पेश किया जाता है. सरकार की तरफ से हर वित्त वर्ष के लिए आम बजट पेश किए जाते हैं. एक तारीख को आने वाले बजट से पहले आइए जानते हैं पिछले साल के बजट का सार.  

बजट सार (Budget Summary) बजट का एक संक्षिप्त संस्करण होता है, जिसमें सरकार द्वारा किए गए वित्तीय प्रावधानों और प्राथमिकताओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है.  यह आमतौर पर बजट भाषण या बजट दस्तावेज़ों का एक संक्षिप्त रूप होता है, जिसमें मुख्य बिंदुओं को शामिल किया जाता है. 

साल 2024 का कैसा था बजट
साल 2024-25 के केंद्रीय बजट में सरकार ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे. बजट में पूंजीगत व्यय को 11.1% बढ़ाकर ₹11.11 लाख करोड़ किया गया था. जो GDP का 3.4% था. राजकोषीय घाटा GDP के 4.9% पर लक्षित है, जो पिछले वर्ष के 5.6% से कम है. 

वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत 2024-25 के केंद्रीय बजट में देश के आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे के विस्तार, सामाजिक कल्याण और वित्तीय स्थिरता पर जोर दिया गया था.  सरकार ने बुनियादी ढांचे, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाने के लिए ₹11.11 लाख करोड़ (GDP का 3.4%) का आवंटन किया था. राजकोषीय घाटा को कम करने के लक्ष्य पर भी सरकार ने काम करने पर जोर दिया था. निम्न और मध्यम वर्ग के लिए कर राहत देने पर भी जोर दिया गया था.

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केंद्रीय बजट 2024-25 की प्रमुख बातें क्या- क्या थी

  •  राजकोषीय घाटा नियंत्रण – इसे GDP के 4.9% पर सीमित किया गया था, जो 2023 के 5.6% से कम था. 
  • पूंजीगत व्यय वृद्धि – बुनियादी ढांचे और परिवहन विकास के लिए ₹11.11 लाख करोड़ रुपया आवंटित किया गया था. 
  • कर सुधार के माध्यम से मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए सरकार ने पूंजीगत लाभ कर और प्रतिभूति लेनदेन कर में बदलाव किया था. 
  • रोजगार और MSME को बढ़ावा देने के लिए छोटे उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी योजनाएं बढ़ाई गईं थी. 
  • कृषि और ग्रामीण विकास जलवायु-स्मार्ट कृषि, डिजिटल और ई-कॉमर्स को बढ़ावा दिया था. 
  • महिला सशक्तिकरण  पर सरकार ने जोर दिया था ‘नारी शक्ति' योजना के तहत वित्तीय और सामाजिक योजनाएं बनायी गयी थी. 
  • सब्सिडी प्रावधान खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के लिए बजट बढ़ाया गया था. 
  •  रक्षा बजट को बढ़ाते हुए सरकार ने आधुनिक रक्षा उपकरणों और सुरक्षा सुधारों के लिए बजट में वृद्धि की थी. 
  • स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए आयुष्मान भारत, डिजिटल शिक्षा और रिसर्च के लिए अधिक निवेश की योजना सरकार की तरफ से बनायी गयी थी. 
  •  ऊर्जा और हरित पहल के लिए अक्षय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देने की बात कही गयी थी. 


बजट के लिए पैसा कहां से आता है?

बजट के लिए पैसा मुख्य रूप से तीन स्रोतों से आता है. टैक्स सरकार की आय का सबसे बड़ा स्रोत होता है, जिसमें दो तरह के कर शामिल हैं. प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर. वहीं आय का दूसरा  स्रोत जब सरकार की आय खर्च से कम होती है, तो वह घाटे को पूरा करने के लिए उधार लेती है. बॉन्ड्स और सिक्योरिटीज जारी की जाती है और विदेशी कर्ज या सहायता ली जाती है. तीसरा स्त्रोत है डिजइन्वेस्टमेंट, जिसके तहत सरकार अपनी हिस्सेदारी को सार्वजनिक क्षेत्र से कम करती है. सरकार इन सभी स्रोतों से आय प्राप्त कर अपने बजट को संतुलित करने की कोशिश करती है. 

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 बजट में किस तरह से खर्च होता है पैसा? 

सरकार बजट का पैसा  (वेतन, पेंशन, सब्सिडी, ब्याज भुगतान, योजनाएं) और पूंजीगत व्यय (सड़कें, रेलवे, रक्षा, सरकारी परिसंपत्तियां) में खर्च करती है. शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास और इनोवेशन के क्षेत्रों पर भी निवेश किया जाता है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके. आप ग्राफ में देख सकते हैं कि किस तरह से साल 2024 के बजट में सरकार ने किन-किन क्षेत्र में कितना पैसा खर्च करने की योजना बनायी थी. 

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किन-किन क्षेत्रों में था घाटा 

वर्ष 2024-25 के बजट में, सरकार ने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.9% पर लक्षित किया था, जो इससे पहले के वर्ष के 5.6% से कम था.  राजकोषीय घाटा तब उत्पन्न होता है जब सरकार का कुल व्यय उसकी कुल प्राप्तियों (उधारी को छोड़कर) से अधिक होता है. इस अंतर को पूरा करने के लिए सरकार को उधार लेना पड़ता है. वर्ष 2024-25 के लिए, कुल व्यय 48.21 लाख करोड़ रुपये और कुल प्राप्तियां (उधारी को छोड़कर) 32.07 लाख करोड़ रुपये अनुमानित थी. जिससे 16.14 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा दिखाया गया था. 

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बजट 2024 का बजट किन मायनों में अलग था? 
बजट 2024 पिछले वर्षों से कई मायनों में अलग था बजट 2024 में विकासात्मक दृष्टिकोण और आर्थिक स्थिरता पर जोर दिया गया. खास तौर पर रक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया गया. सरकार ने डिजिटल बुनियादी ढांचे, आधुनिक कृषि तकनीकों और नवाचार में सुधार के लिए बजट आवंटन बढ़ाया था.   सौर ऊर्जा और हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रावधान किए गए. साथ ही, एमएसएमई, स्टार्टअप्स, और सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी योजनाएं की शुरुआत की गई. जलवायु परिवर्तन को लेकर भी कदम उठाए गए, जिससे सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा. राजकोषीय प्रबंधन को सशक्त बनाते हुए सरकार ने वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने का प्रयास किया.

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