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मोबाइल ऐप से लोन देने वाली 40 फिनटेक कंपनियां इनकम टैक्स के रडार पर, IT विभाग ने भेजा नोटिस

आयकर विभाग ने पिछले पखवाड़े में धारा 133 (6) के तहत नोटिस जारी किए. इसमें उन लेनदेन की प्रकृति पर सवाल उठाया गया है, जिनमें विदेशी पैरेंट कंपनियों को पैसा "टेक्निकल सेवाओं" या FTS के लिए फीस के तौर पर भेजा गया.

मोबाइल ऐप से लोन देने वाली 40 फिनटेक कंपनियां इनकम टैक्स के रडार पर, IT विभाग ने भेजा नोटिस
IT विभाग यह जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या फिनटेक कंपनियों ने अपनी घरेलू शाखाओं के खर्चों को कम दिखाने के लिए प्रॉफिट को पैरेंट देश में ट्रांसफर किया है.
नई दिल्ली:

मोबाइल ऐप के जरिए इंस्टैंट लोन देने वाली फिनटेक कंपनियां आयकर विभाग की जांच के दायरे में आ गई हैं. इनकम टैक्स विभाग की इंटरनेशनल टैक्सेशन विंग ने करीब 40 फिनटेक कंपनियों को नोटिस भेजा है. इन नोटिस में उनकी विदेशी पैरेंट कंपनियों को किए गए भारी भुगतान पर सफाई मांगी गई है. विभाग ने यह भी पूछा है कि इन भुगतान को "बिजनेस प्रॉफिट" के रूप में क्यों न गिना जाए.

धारा 133 (6) के तहत नोटिस जारी

आयकर विभाग ने पिछले पखवाड़े में धारा 133 (6) के तहत नोटिस जारी किए. इसमें उन लेनदेन की प्रकृति पर सवाल उठाया गया है, जिनमें विदेशी पैरेंट कंपनियों को पैसा "टेक्निकल सेवाओं" या FTS के लिए फीस के तौर पर भेजा गया.

क्या है आयकर विभाग की जांच?

विभाग यह जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या फिनटेक कंपनियों ने अपनी घरेलू शाखाओं के खर्चों को कम दिखाने के लिए प्रॉफिट को पैरेंट देश में ट्रांसफर किया है. अगर ऐसा पाया गया तो इसे "बिजनेस प्रॉफिट" माना जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इसे FTS या रॉयल्टी मानने से भारतीय कंपनियों की टैक्स देनदारी बढ़ सकती है.

NDTV प्रॉफिट ने इन नोटिस की समीक्षा की है. फिनटेक कंपनियों को 30 दिसंबर तक अपनी प्रतिक्रिया निजी तौर पर या प्रतिनिधियों के जरिए देने को कहा गया है.

ब्याज दर और रिकवरी डिटेल मांगी गई

नोटिस में आयकर विभाग ने ब्याज दर, उधारकर्ताओं के साथ लोन एग्रीमेंट, रिकवरी प्रक्रिया और डिफॉल्ट के तरीकों की पूरी जानकारी मांगी है. इसके साथ यह भी पूछा गया है कि क्या फिनटेक कंपनियां माइक्रोफाइनेंस लोन के लिए RBI से प्रमाणित हैं.सूत्रों का कहना है कि अगर विभाग साबित करता है कि यह प्रॉफिट ट्रांसफर था, तो ट्रांसफर प्राइसिंग क्लॉज लागू किया जाएगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि लेनदेन 'आर्म्स लेंथ प्राइस' के आधार पर हुआ है या नहीं.

उदाहरण के तौर पर, अगर किसी भारतीय कंपनी ने अपनी पैरेंट कंपनी को ज्यादा भुगतान किया है या पैरेंट कंपनी से कम आय प्राप्त की है, तो ट्रांसफर प्राइसिंग नियम के तहत इस अंतर को ठीक किया जाएगा. "आर्म्स लेंथ प्राइस टेस्ट" से यह जांच होगी कि लेनदेन सही नियमों के तहत किया गया है या नहीं.

इस जांच का उद्देश्य भारत में टैक्स का सही निर्धारण करना और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता लाना है.
 

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