मोबाइल ऐप के जरिए इंस्टैंट लोन देने वाली फिनटेक कंपनियां आयकर विभाग की जांच के दायरे में आ गई हैं. इनकम टैक्स विभाग की इंटरनेशनल टैक्सेशन विंग ने करीब 40 फिनटेक कंपनियों को नोटिस भेजा है. इन नोटिस में उनकी विदेशी पैरेंट कंपनियों को किए गए भारी भुगतान पर सफाई मांगी गई है. विभाग ने यह भी पूछा है कि इन भुगतान को "बिजनेस प्रॉफिट" के रूप में क्यों न गिना जाए.
धारा 133 (6) के तहत नोटिस जारी
आयकर विभाग ने पिछले पखवाड़े में धारा 133 (6) के तहत नोटिस जारी किए. इसमें उन लेनदेन की प्रकृति पर सवाल उठाया गया है, जिनमें विदेशी पैरेंट कंपनियों को पैसा "टेक्निकल सेवाओं" या FTS के लिए फीस के तौर पर भेजा गया.
क्या है आयकर विभाग की जांच?
विभाग यह जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या फिनटेक कंपनियों ने अपनी घरेलू शाखाओं के खर्चों को कम दिखाने के लिए प्रॉफिट को पैरेंट देश में ट्रांसफर किया है. अगर ऐसा पाया गया तो इसे "बिजनेस प्रॉफिट" माना जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इसे FTS या रॉयल्टी मानने से भारतीय कंपनियों की टैक्स देनदारी बढ़ सकती है.
ब्याज दर और रिकवरी डिटेल मांगी गई
नोटिस में आयकर विभाग ने ब्याज दर, उधारकर्ताओं के साथ लोन एग्रीमेंट, रिकवरी प्रक्रिया और डिफॉल्ट के तरीकों की पूरी जानकारी मांगी है. इसके साथ यह भी पूछा गया है कि क्या फिनटेक कंपनियां माइक्रोफाइनेंस लोन के लिए RBI से प्रमाणित हैं.सूत्रों का कहना है कि अगर विभाग साबित करता है कि यह प्रॉफिट ट्रांसफर था, तो ट्रांसफर प्राइसिंग क्लॉज लागू किया जाएगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि लेनदेन 'आर्म्स लेंथ प्राइस' के आधार पर हुआ है या नहीं.
इस जांच का उद्देश्य भारत में टैक्स का सही निर्धारण करना और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता लाना है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं