उद्योग जगत ने वित्त मंत्री को बजट से पहले अपनी मांगों की लंबी चौड़ी सूची सौंपी थी. अब यह वर्ग कुछ मायूस है कि उसकी मांगों पर कुछ नहीं हुआ. वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने निम्न मध्यम वर्ग और किसानों के लिए राहत का ऐलान किया लेकिन उद्योग जगत को मायूसी ही हाथ लगी.
एसोचैम के अध्यक्ष बीके गोयनका ने एनडीटीवी से कहा, "अगर आप सीधे सवाल मुझसे पूछें कि स्माल, मीडियम इंटरप्राइजेस और कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए बजट 2019 में क्या है तो मेरा जवाब होगा नो... हमें उम्मीद थी कि कॉर्पोरेट टैक्स में राहत मिलेगी लेकिन कोई राहत नहीं है. "
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हालांकि छोटे करदाताओं को मिली टैक्स में छूट और राहत से उद्योग जगत को उम्मीद है कि लोगों के पास अब खर्च करने के लिए ज़्यादा पैसे होंगे और इससे बाजार में सेन्टीमेंट सुधरेगा. सीआईआई के अध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने एनडीटीवी से कहा, "वित्त मंत्री ने टैक्स रिलीफ दी है मिडिल क्लास को जिससे कंज्यूमर डिमांड बढ़ेगी और इकोनामी के लिए अच्छा होगा. लोगों के पास इनवेस्ट करने के लिए ज्यादा पैसा होगा."
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मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान निजी निवेश में कमी पर सवाल उठते रहे हैं. अब सभी की नज़र नई सरकार के गठन के बाद पेश होने वाले फुल बजट पर है. फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई सरकार के गठन के बाद जो रेग्यूलर बजट पेश होगा उसमें सरकार कॉर्पोरेट सेक्टर के टैक्स में राहत देगी. सोमानी ने एनडीटीवी से कहा, "उम्मीद है कि फुल बजट में कॉर्पोरेट टैक्स कम होगा."सीआ
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