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This Article is From Jun 29, 2019

Budget 2019: एसोचैम ने बजट में की राहत पैकेज की मांग

फिलहाल बैंक उद्योगों को क़र्ज़ देने से बच रहे हैं. एसोचैम के अध्यक्ष बी गोयनका ने एनडीटीवी से बात करते हुए इस संकट को टालने के लिए स्टिमुलस पैकेज की मांग की.

Budget 2019: एसोचैम ने बजट में की राहत पैकेज की मांग
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

बजट से पहले उद्योग जगत ने रियायत के लिए दबाव बढ़ा दिया है. उसका कहना है, सरकार कारपोरेट टैक्स कम करे, बैंकों को पैसा मुहैया कराए और बेरोज़गारी पर क़ाबू पाने के लिए ज़रूरी निवेश करे. 5 जुलाई के बजट पर उद्योगों की नजर है. वो चाहते हैं कि डूबे हुए क़र्ज़ के संकट और करीब 9 फ़ीसदी के एनपीए से जूझ रहे बैंकों को सरकार पैसा मुहैया कराए ताकि वह उद्योगों तक आए. फिलहाल बैंक उद्योगों को क़र्ज़ देने से बच रहे हैं. एसोचैम के अध्यक्ष बी गोयनका ने एनडीटीवी से बात करते हुए इस संकट को टालने के लिए स्टिमुलस पैकेज की मांग की. गोयनका ने कहा, 'वित्तीय क्षेत्र को विशेषकर NBFCs और बैंकों को राहत पैकेज की जरूरत है. बैंकों उद्योगों को कर्ज नहीं दे रहे. बजट 2019 में वित्त मंत्री को कर्ज की इस दिक्‍कत को दूर करना चाहिए.

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एसोचैम ने बजट 2019 को लेकर वित्त मंत्री के सामने एक लंबी-चौड़ी विश-लिस्ट पेश की है. इसमें सबसे अहम कॉरपोरेट टैक्स में 5% की कटौती की मांग भी शामिल है. एसोचैम का आकलन है कि भारत में हर महीने करीब 10 लाख नई नैकरियों की ज़रूरत है. यानी साल में करीब सवा करोड़ नौकरियों की. फिलहाल देश में 45 साल में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी दर है. इस पर काबू पाने के लिए वित्त मंत्री को एक रोडमैप भी पेश करना चाहिये.

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एसोचैम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट निरंजन हीरानंदानी ने कहा, 'बजट 2019 में वित्त मंत्री को नौकरियों को लेकर बढ़ती चिंता की तरफ भी ध्‍यान देना होगा. इसके लिए 4-5 विशेष क्षेत्रों पर फोकस करना होगा. टेक्‍टसटाइी क्षेत्र पर सबसे ज्‍यादा फोकस रखना होगा. दुबई पूरे भारत से ज्‍यादा पर्यटकों को आकर्षित करता है. पर्यटन पर विशेष ध्‍यान देना होगा.

एक दौर में मनमोहन सरकार पर पॉलिसी पैरालिसिस का आरोप लगाने वाली बीजेपी की सरकार पर अब उद्योगों को मौजूदा संकट से निकालने की चुनौती है.

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