फाइल फोटो
नई दिल्ली:
प्याज और टमाटर की कीमतों में तेज़ी से हो रहे उतार-चढ़ाव को लेकर बढ़ती चिंता के बीच अब किसान नेताओं और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों ने वित्त मंत्री से अगले साल के बजट में इससे निपटने के लिए विशेष प्रावधान करने की मांग की है. ये मांग ऐसे समय पर आयी है जब सरकार की कोशिशों के बावजूद टमाटर की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं.
बरसों से ओखला मंडी में टमाटर का कारोबार कर रहे रिज़वान कहते हैं पिछले एक हफ्ते से सप्लाई थोड़ी सुधरी है. हालांकि अब भी सप्लाई आधी से कम है. रिज़वान ने एनडीटीवी से कहा, "पहले 50-60 गाड़ियां आती थीं ओखला मंडी में. अब सिर्फ 15-16 गाड़ियां आ रही हैं. इसका असर कीमतों पर पड़ रहा है. जब माल ज़्यादा आएगा तो सामान सस्ता होगा. जब माल कम आएगा तो महंगा होगा."
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पांच दिसंबर को देश के 39 शहरों में टमाटर पचास रुपये या उससे महंगा रहा. उपभोक्ता मामलों के विभाग के पास मौजूद आंकड़े बताते हैं कि सोमवार को टमाटर हिसार में 80 रु किलो, अमृतसर में 70 रु किलो, गुड़गांव में 62 रु किलो, कोलकाता में 60 रु किलो और दिल्ली में 57 रु किलो बिक रहा था. इसका नतीजा ये हुआ है कि आम लोगों ने खरीदना कम कर दिया है.
गृहणी दिव्या कहती हैं, "अब टमाटर कम खरीदते हैं क्योंकि वो काफी महंगा हो गया है. पहले 2 से 3 किलो हर हफ्ते खरीदते थे, अब उसका आधा खरीदते हैं."
यह भी पढ़ें - टमाटर ने किया दिल्लीवासियों को 'लाल', 80 रुपये किलो तक पहुंचे दाम
अब टमाटर और प्याज़ जैसी सब्जियों की कीमतों में तेज़ी से उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए वित्त मंत्री पर दबाव बढ़ रहा है. किसान नेताओं और कृषि विशेषज्ञों ने मांग की है कि इस साल के बजट में अहम सब्जियों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए विशेष पहल की जाए.
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक रिलीज़ के मुताबिक, सोमवार को प्री-बजट मीटिंग में वित्त मंत्री से ये मांग की गयी कि मौजूदा परिस्थिति में "आपरेशन वैजीज़" शुरू करना ज़रूरी होगा. सरकार को टमाटर, प्याज़ और आलू पर विशेष ध्यान देना चाहिये क्योंकि उनकी कीमतों में सबसे ज़्यादा उतार-चढ़ाव हो रहा है. साफ है, सरकार की कोशिशों के बावजूद अहम सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है. अब देखना होगा वित्त मंत्री इससे निपटने के लिए अगले साल के बजट में क्या नई पहल करते हैं.
VIDEO: MoJo : फिर रुलाने लगा प्याज, टमाटर के भाव भी आसमान पर
बरसों से ओखला मंडी में टमाटर का कारोबार कर रहे रिज़वान कहते हैं पिछले एक हफ्ते से सप्लाई थोड़ी सुधरी है. हालांकि अब भी सप्लाई आधी से कम है. रिज़वान ने एनडीटीवी से कहा, "पहले 50-60 गाड़ियां आती थीं ओखला मंडी में. अब सिर्फ 15-16 गाड़ियां आ रही हैं. इसका असर कीमतों पर पड़ रहा है. जब माल ज़्यादा आएगा तो सामान सस्ता होगा. जब माल कम आएगा तो महंगा होगा."
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पांच दिसंबर को देश के 39 शहरों में टमाटर पचास रुपये या उससे महंगा रहा. उपभोक्ता मामलों के विभाग के पास मौजूद आंकड़े बताते हैं कि सोमवार को टमाटर हिसार में 80 रु किलो, अमृतसर में 70 रु किलो, गुड़गांव में 62 रु किलो, कोलकाता में 60 रु किलो और दिल्ली में 57 रु किलो बिक रहा था. इसका नतीजा ये हुआ है कि आम लोगों ने खरीदना कम कर दिया है.
गृहणी दिव्या कहती हैं, "अब टमाटर कम खरीदते हैं क्योंकि वो काफी महंगा हो गया है. पहले 2 से 3 किलो हर हफ्ते खरीदते थे, अब उसका आधा खरीदते हैं."
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अब टमाटर और प्याज़ जैसी सब्जियों की कीमतों में तेज़ी से उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए वित्त मंत्री पर दबाव बढ़ रहा है. किसान नेताओं और कृषि विशेषज्ञों ने मांग की है कि इस साल के बजट में अहम सब्जियों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए विशेष पहल की जाए.
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक रिलीज़ के मुताबिक, सोमवार को प्री-बजट मीटिंग में वित्त मंत्री से ये मांग की गयी कि मौजूदा परिस्थिति में "आपरेशन वैजीज़" शुरू करना ज़रूरी होगा. सरकार को टमाटर, प्याज़ और आलू पर विशेष ध्यान देना चाहिये क्योंकि उनकी कीमतों में सबसे ज़्यादा उतार-चढ़ाव हो रहा है. साफ है, सरकार की कोशिशों के बावजूद अहम सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है. अब देखना होगा वित्त मंत्री इससे निपटने के लिए अगले साल के बजट में क्या नई पहल करते हैं.
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