प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार सबसे बड़ी राहत 250 करोड़ तक के कारोबार वाली छोटी कंपनियों को दी. उन पर अब 25 फ़ीसदी कॉर्पोरेट टैक्स लगेगा. इसका फ़ायदा देश की उन 99 फ़ीसदी कंपनियों को मिलेगा जिन पर नोटबंदी-जीएसटी का काफी असर पड़ा था.
सरकार के ऐलान का फायदा देश की 99 फीसदी छोटी कंपनियों को होगा. अब उन्हें कॉर्पोरेट टैक्स 30% के बजाय 25% देना होगा. यानी मुनाफे पर सीधे पांच फीसदी की बचत. हीरो इंटरप्राइज़ेस के चेयरमैन सुनील मुंजाल ने कहा, "ये अच्छी खबर है लेकिन हमें उम्मीद थी कि बड़े उद्योगों को भी राहत मिलेगी.".
यह भी पढ़ें : मोदी सरकार के बजट को लेकर बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा ने कही यह बड़ी बात
मोबाइल पर कस्टम्स ड्यूटी 15% से बढ़ाकर 20% कर दी गई. यानी अब विदेशी मोबाइल भारत में महंगे हो जाएंगे. चीन जैसे देशों में प्रतिस्पर्धा झेल रहे निर्माताओं ने इसका स्वागत किया है. इंटैक्स के सीएफओ राजीव जैन ने एनडीटीवी से कहा कि इस फैसले से भारतीय मोबाइल बनाने वाली कंपनियों के लिए विदेशी कंपनियों से स्पर्धा करना आसान होगा.
भले ये सवाल उठ रहा हो कि सरकार 10 करोड़ परिवारों को हर साल पांच लाख के बीमे का खर्चा कहां से लाएगी लेकिन हेल्थकेयर सेक्टर गदगद है. उसे बड़े कारोबार की संभावना दिख रही है. मेदान्ता अस्पताल चेयरमैन डा. नरेश त्रिहान ने एनडीटीवी से कहा कि ये 50 करोड़ भारतीयों के लिए बड़ी खबर है. प्राइवेट सेक्टर को भी इसका फायदा मिलेगा.
VIDEO : शेयर बाजार भी टैक्स की जद में
उद्योग जगत का मानना है कि किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलने से ग्रामीण भारत में डिमांड बढ़ेगी. ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. साफ है, किसानों के हाथ में जब ज्यादा पैसा होगा तो कमज़ोर पड़ती कृषि अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी. किसान ज़्यादा खर्च करेंगे, जिसका फायदा उद्योग जगत को भी होगा.
सरकार के ऐलान का फायदा देश की 99 फीसदी छोटी कंपनियों को होगा. अब उन्हें कॉर्पोरेट टैक्स 30% के बजाय 25% देना होगा. यानी मुनाफे पर सीधे पांच फीसदी की बचत. हीरो इंटरप्राइज़ेस के चेयरमैन सुनील मुंजाल ने कहा, "ये अच्छी खबर है लेकिन हमें उम्मीद थी कि बड़े उद्योगों को भी राहत मिलेगी.".
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मोबाइल पर कस्टम्स ड्यूटी 15% से बढ़ाकर 20% कर दी गई. यानी अब विदेशी मोबाइल भारत में महंगे हो जाएंगे. चीन जैसे देशों में प्रतिस्पर्धा झेल रहे निर्माताओं ने इसका स्वागत किया है. इंटैक्स के सीएफओ राजीव जैन ने एनडीटीवी से कहा कि इस फैसले से भारतीय मोबाइल बनाने वाली कंपनियों के लिए विदेशी कंपनियों से स्पर्धा करना आसान होगा.
भले ये सवाल उठ रहा हो कि सरकार 10 करोड़ परिवारों को हर साल पांच लाख के बीमे का खर्चा कहां से लाएगी लेकिन हेल्थकेयर सेक्टर गदगद है. उसे बड़े कारोबार की संभावना दिख रही है. मेदान्ता अस्पताल चेयरमैन डा. नरेश त्रिहान ने एनडीटीवी से कहा कि ये 50 करोड़ भारतीयों के लिए बड़ी खबर है. प्राइवेट सेक्टर को भी इसका फायदा मिलेगा.
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उद्योग जगत का मानना है कि किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलने से ग्रामीण भारत में डिमांड बढ़ेगी. ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. साफ है, किसानों के हाथ में जब ज्यादा पैसा होगा तो कमज़ोर पड़ती कृषि अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी. किसान ज़्यादा खर्च करेंगे, जिसका फायदा उद्योग जगत को भी होगा.
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