दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने सोमवार को संसद में पेश बजट को दिल्ली के साथ धोखा करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इस बजट में केंद्र सरकार ने दिल्ली को कुछ भी नहीं दिया है। पढ़ें सिसोदिया ने और क्या क्या कहा...
दिल्ली के साथ फिर धोखा
दिल्ली के लोग हर साल 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये केंद्रीय करों के रूप में देते हैं। वापस 325 करोड़ रुपये मिलता है स्टेट शेयर के नाम पर। हम वित्त मंत्री से बार-बार कहते रहे कि इसे बढ़ाइए। बहुत साल से ये इतना ही मिल रहा है। हमने लिखित में दिया। मौखिक रूप से भी निवेदन किया। राज्यों के वित्त मंत्रियों की मीटिंग में भी कहा लेकिन उन्होंने इसमें 1 रुपया भी नहीं बढ़ाया।
दिल्ली नगर निगम को कुछ नहीं
दिल्ली के नगर निगमों खासकर 2 नगर निगमों की आर्थिक हालत बहुत खस्ता है। उनके पास सफाई कर्मचारियों तक को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं। लेकिन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के नगर निगमों के लिए पैसा है केंद्र के पास। बस दिल्ली के नगर निगमों के लिए पैसा नहीं है, जबकि दिल्ली देश की राजधानी है। दिल्ली के सफाई कर्मचारियों की सैलरी के लिए वित्त मंत्री के पिटारे में पैसा नहीं है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए दिल्ली को कुछ नहीं
राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में हमने कहा था कि दिल्ली में प्रदूषण बहुत है। यहां की पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को मजबूत करना है। देश भर से लोग यहां आते हैं। हमने 5,000 करोड़ रुपये स्पेशल पैकेज के रूप में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने के लिए मांगा था। इस पर कोई गौर नहीं किया गया। दिल्ली के ट्रांसपोर्ट के लिए भी कुछ नहीं मिला। हमने कहा था कि पूरे देश में प्रदूषण बहुत बड़ा मुद्दा है इसलिए आप डीजल गाड़ियों पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाइए। इन्होंने 2.5 परसेंट बढ़ाया जिसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन हमने ये कहा था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने के लिए बसों पर से एक्साइज ड्यूटी कम करिये लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया। फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूती कैसे मिलेगी।
डिजास्टर मैनेजमेंट के नाम पर दिल्ली को केवल 5 करोड़
डिजास्टर मैनेजमेंट के नाम पर दिल्ली को केवल 5 करोड़ रुपये मिले हैं। जबकि दिल्ली सेसमिक जोन में है। दिल्ली में 60 परसेंट आबादी कच्ची कॉलोनियों में रहती है जिनका कोई प्रॉपर स्ट्रक्चर भी नहीं बना है। डिजास्टर के लिहाज से बेहद संवेदनशील दिल्ली को केवल 5 करोड़ रुपये दिए गए हैं जबकि पड़ोसी राज्यों को 300-400 करोड़ रुपये तक दिए गए हैं। इससे अच्छा था कि दिल्ली को ये 5 करोड़ रुपये भी नहीं देते।
UT के साथ भेदभाव
केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से जारी होने वाले पैसे में केंद्रशाशित प्रदेशों का अलग मद होता है। मंत्रालयों की तरफ से जारी होने वाले पैसे में 500 करोड़ रुपये की कमी कर दी गई। UT के साथ ये भेदभाव क्यों?
पूरी स्पीच में नहीं सुना जॉब्स शब्द
बिजली-पानी सस्ते करने पर बजट में कोई बात नहीं हुई। ये सरकार युवाओं की बात करती है। जॉब्स की बात करती है। पूरी बजट स्पीच में मैंने जॉब्स शब्द नहीं सुना।
चोर दरवाजे से लोगों की जेब पर डाका
आज इकोनॉमी में जॉब्स नहीं हैं। एक्सपोर्ट नेगेटिव है। इन्वेस्टमेंट नेगेटिव है। रुपया डाउन है। एग्रीकल्चर इनकम डाउन है। इसके बावजूद आज जो टैक्स स्ट्रक्चर देश के सामने पेश किया है उसमें चोर-दरवाजे से टैक्स बढ़ाया गया है। दरअसल ये सेस बढ़ा रहे हैं। सेस का हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता है वो केंद्र सरकार अपने पास रखती है। ये राज्यों के साथ छलावा है। आप कॉरपोरेट टैक्स कम कर रहे हो और सेस बढ़ाकर लोगों की जेब पर डाका डाल रहे हो।
ब्लैक मनी इकट्ठा करने वालों को प्रोटेक्शन
सबके एकाउंट में 15 लाख रुपये देने की बात तो चलो उनके नेता ने ही जुमला बोल दिया है पर सरकार से उम्मीद थी कि ब्लैक मनी पर कोई ठोस पॉलिसी सामने आएगी। आज के बजट में चोर दरवाजे से ब्लैक मनी इकट्ठा करने वालों को प्रोटेक्शन का प्रावधान कर दिया गया। ये कह रहे हैं कि ब्लैक मनी इकट्ठा करो और 45 परसेंट देकर छूट जाओ। इस तरह से तो बेईमानी करने वालों को प्रोटेक्शन दिया जा रहा है।
दिल्ली के साथ फिर धोखा
दिल्ली के लोग हर साल 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये केंद्रीय करों के रूप में देते हैं। वापस 325 करोड़ रुपये मिलता है स्टेट शेयर के नाम पर। हम वित्त मंत्री से बार-बार कहते रहे कि इसे बढ़ाइए। बहुत साल से ये इतना ही मिल रहा है। हमने लिखित में दिया। मौखिक रूप से भी निवेदन किया। राज्यों के वित्त मंत्रियों की मीटिंग में भी कहा लेकिन उन्होंने इसमें 1 रुपया भी नहीं बढ़ाया।
दिल्ली नगर निगम को कुछ नहीं
दिल्ली के नगर निगमों खासकर 2 नगर निगमों की आर्थिक हालत बहुत खस्ता है। उनके पास सफाई कर्मचारियों तक को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं। लेकिन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के नगर निगमों के लिए पैसा है केंद्र के पास। बस दिल्ली के नगर निगमों के लिए पैसा नहीं है, जबकि दिल्ली देश की राजधानी है। दिल्ली के सफाई कर्मचारियों की सैलरी के लिए वित्त मंत्री के पिटारे में पैसा नहीं है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए दिल्ली को कुछ नहीं
राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में हमने कहा था कि दिल्ली में प्रदूषण बहुत है। यहां की पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को मजबूत करना है। देश भर से लोग यहां आते हैं। हमने 5,000 करोड़ रुपये स्पेशल पैकेज के रूप में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने के लिए मांगा था। इस पर कोई गौर नहीं किया गया। दिल्ली के ट्रांसपोर्ट के लिए भी कुछ नहीं मिला। हमने कहा था कि पूरे देश में प्रदूषण बहुत बड़ा मुद्दा है इसलिए आप डीजल गाड़ियों पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाइए। इन्होंने 2.5 परसेंट बढ़ाया जिसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन हमने ये कहा था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने के लिए बसों पर से एक्साइज ड्यूटी कम करिये लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया। फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूती कैसे मिलेगी।
डिजास्टर मैनेजमेंट के नाम पर दिल्ली को केवल 5 करोड़
डिजास्टर मैनेजमेंट के नाम पर दिल्ली को केवल 5 करोड़ रुपये मिले हैं। जबकि दिल्ली सेसमिक जोन में है। दिल्ली में 60 परसेंट आबादी कच्ची कॉलोनियों में रहती है जिनका कोई प्रॉपर स्ट्रक्चर भी नहीं बना है। डिजास्टर के लिहाज से बेहद संवेदनशील दिल्ली को केवल 5 करोड़ रुपये दिए गए हैं जबकि पड़ोसी राज्यों को 300-400 करोड़ रुपये तक दिए गए हैं। इससे अच्छा था कि दिल्ली को ये 5 करोड़ रुपये भी नहीं देते।
UT के साथ भेदभाव
केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से जारी होने वाले पैसे में केंद्रशाशित प्रदेशों का अलग मद होता है। मंत्रालयों की तरफ से जारी होने वाले पैसे में 500 करोड़ रुपये की कमी कर दी गई। UT के साथ ये भेदभाव क्यों?
पूरी स्पीच में नहीं सुना जॉब्स शब्द
बिजली-पानी सस्ते करने पर बजट में कोई बात नहीं हुई। ये सरकार युवाओं की बात करती है। जॉब्स की बात करती है। पूरी बजट स्पीच में मैंने जॉब्स शब्द नहीं सुना।
चोर दरवाजे से लोगों की जेब पर डाका
आज इकोनॉमी में जॉब्स नहीं हैं। एक्सपोर्ट नेगेटिव है। इन्वेस्टमेंट नेगेटिव है। रुपया डाउन है। एग्रीकल्चर इनकम डाउन है। इसके बावजूद आज जो टैक्स स्ट्रक्चर देश के सामने पेश किया है उसमें चोर-दरवाजे से टैक्स बढ़ाया गया है। दरअसल ये सेस बढ़ा रहे हैं। सेस का हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता है वो केंद्र सरकार अपने पास रखती है। ये राज्यों के साथ छलावा है। आप कॉरपोरेट टैक्स कम कर रहे हो और सेस बढ़ाकर लोगों की जेब पर डाका डाल रहे हो।
ब्लैक मनी इकट्ठा करने वालों को प्रोटेक्शन
सबके एकाउंट में 15 लाख रुपये देने की बात तो चलो उनके नेता ने ही जुमला बोल दिया है पर सरकार से उम्मीद थी कि ब्लैक मनी पर कोई ठोस पॉलिसी सामने आएगी। आज के बजट में चोर दरवाजे से ब्लैक मनी इकट्ठा करने वालों को प्रोटेक्शन का प्रावधान कर दिया गया। ये कह रहे हैं कि ब्लैक मनी इकट्ठा करो और 45 परसेंट देकर छूट जाओ। इस तरह से तो बेईमानी करने वालों को प्रोटेक्शन दिया जा रहा है।
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