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8 years ago
नई दिल्ली: NDTV यूथ फॉर चेन्ज : युवाओं की आवाज़, युवाओं को आवाज़
एक सवाल के जवाब में बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि यह प्रयास करेगी कि अगले साल दाल के दाम कम रहें. साथ ही बाबा रामदेव ने कहा कि उन्होंने कई एकड़ बंजर जमीन में एलोवेरा की खेती करवाई और किसानों को लाभ पहुंचाया है.
कालाधन पर बाबा रामदेव ने कहा कि हमने यह मुद्दा पीएम नरेंद्र मोदी पर ज्यादा छोड़ दिया है और अब हम काला मन ठीक करने के काम में लगे हैं.
शिल्पा अरोड़ा ने कहा,  आज की पीढ़ी पर बहुत ज़्यादा दबाव है. हेल्थ को लेकर सूचना भी है, भ्रांति भी है. देखने की ज़रूरत हम कहां जा रहे हैं. स्लीप डिज़ॉर्डर बहुत ज़्यादा बढ़ा है.
डॉ कासलीवाल ने कहा, तनाव की हम बहुत बात करते हैं, लेकिन कोई नहीं जानता क्या है ये.  क्रॉनिक स्ट्रेस से समस्या पैदा होती है. जीवनशैली की काफी अहमियत है. स्वस्थ जीवनशैली से बीमारियां कम होती हैं.

बाबा रामदेव ने कहा कि जो मेरी बात को मानते हैं वो मोटे नहीं होते हैं. मोटापा की एक पूरी फैमिली है. बॉडी को वापस शेप में लाने में बहुत मेहनत लगती है. लोग विदेश में कहते हैं गोल्डन मिल्क पी रहे हैं. गिलोय पूरे दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज़्यादा मिलेगी. एक दिन गिलोय पीजिए, अंतर दिखेगा.
बाबा रामदेव ने कहा कि जींस पहनो तो स्वदेशी पहनो. मैं योग करूंगा, कर्मयोग करूंगा. हम अभाव और संघर्षों में पले-बढ़े हैं. जो मैं बनाता हूं सब मैं इस्तेमाल करूं, ज़रूरी नहीं.  आप बिना किसी दवा के अपनी बीमारी को ठीक कर सकते हैं. मैं 90 से 99% लोगों का ब्लड प्रेशर पहले दिन ठीक कर देता हूं.
कोइराला ने कहा कि घरेलू नुस्खे टेस्टेड हैं.  8 से 9 घंटे सोना बहुत ज़रूरी है. हमें अपने शरीर की ज़िम्मेदारी लेनी होगी.
शिल्पा ने कहा कि हमारे आस-पास मौजूद चीजें हमारे लिए कुदरत ने दी है. वह सबसे ज्यादा जरूरी है.

बाबा रामदेव ने कहा कि जेनेटिकली मोडिफाइड सीड से तैयार रिफाइंड ऑयल नुकसानदायक है. इसकी जगह लोगों को घी का सेवन करना चाहिए.

डॉ कासलीवाल ने कहा पहले जमाना था कि बच्चे अपने बीमार मां-बाप को अस्पताल लाते थे, लेकिन अब मां बाप अपने जवान बच्चों को अस्पताल में लेकर आ रहे है. यह बहुत दुखद है.
रामदेव ने कहा कि मैं 90 प्रतिशत लोगों का ब्लड प्रेशर ठीक कर देता हूं. उनकी दवाई बंद करा देता हूं.
शिल्पा अरोड़ा (न्यूट्रीशनिस्ट) ने कहा कि हर घर में डॉक्टर है. वह किचन में है. शिल्पा ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि हम कहां गलत हैं, क्या गलत कर रहे हैं.
मनीषा कोइराला (अभिनेत्री) ने कहा कि जीवनशैली का सबसे ज्यादा रोल है. मुझे जीवन का महत्व पता चला. यह कैंसर की बीमारी के बाद समझ में आया.
डॉ आरआर कासलीवाल (चेयरमैन, क्लिनिकल एंड प्रिवेन्टिव कार्डियोलॉजी, मेदांता मेडिसिटी) ने कहा कि लोगों को स्ट्रैस के बारे में पता नहीं है.
योगगुरु बाबा रामदेव (योगगुरु एवं पतंजलि समूह के संस्थानों के संस्थापक) ने कहा कि योग से आपका हार्डवेयर भी अच्छा रहेगा और सॉफ्टवेयर भी अच्छा रहेगा. योग करने वालों का मन भी साफ रहता है. रामदेव ने कहा कि नशे से मन के पार अंधेरा, योग से मन के पार उजाला है. योग हमें मन के पार जाना सिखाता है.
अब #NDTVYouthForChange कार्यक्रम का सातवां सत्र : फिट रहो इंडिया... में शामिल होने के लिए पहुंचे बाबा रामदेव

अब #NDTVYouthForChange कार्यक्रम का सातवां सत्र : फिट रहो इंडिया... प्रश्न है - क्या हम सेहतमंद ज़िन्दगी की तरफ बढ़ रहे हैं, या उसकी अनदेखी की तरफ...? पैनलिस्ट :  बाबा रामदेव (योगगुरु एवं पतंजलि समूह के संस्थानों के संस्थापक), डॉ आरआर कासलीवाल (चेयरमैन, क्लिनिकल एंड प्रिवेन्टिव कार्डियोलॉजी, मेदांता मेडिसिटी), मनीषा कोइराला (अभिनेत्री), शिल्पा अरोड़ा (न्यूट्रीशनिस्ट)... शो की होस्ट नग़मा सहर
दीपा मलिक ने कहा कि हमारे प्रदर्शन ने देश की शोभा बढ़ाई है. जब मेरे साथ हादसा हुआ था, उदासीनता तो हुई ही थी. हादसे ने सब बदल दिया था, लेकिन मैं मज़बूत बन कर निकली. अब मैं ज़्यादा अनुशासित हूं, मेरा जज़्बा चार गुना ज़्यादा है. मेरी व्हीलचेयर के व्हील्सो प्रगति की ही निशानी हैं.
दीपा मलिक ने कहा,  कौन कहता है कि खेलों से आजीविका नहीं हो सकती. पैरालिंपिक से लौटने पर मेरे स्वागत को पूरी खाप मौजूद थी. जीवन के अखाड़े में दम दिखाने के लिए खाप ने सम्मान दिया. कामयाबी के बाद मुझे खाप के सामने पल्ला भी नहीं रखना पड़ा.
सुशांत सिंह ने कहा कि मेरे घर में क्रिकेट का माहौल था, बहन प्रोफेशनल क्रिकेटर है.  तीन-चार महीने में तो फिटनेस ही ला पाया हूं. जब मैंने खेल को समझा तो उनके प्रति मेरा सम्मान बढ़ गया है.
साक्षी मलिक ने माना कि वह कुश्ती में पहले पिछड़ रही थीं, लेकिन अंतिम के नौ सेकेंड में उन्होंने पूरा जोर लगाया और मैच जीत लिया
मंदीप ने कहा कि हरियाणा रेसलिंग में पहले से आगे रहा है. आजकल हर दिन नई लड़कियां सीखने आ रही हैं. साक्षी की जीत के बाद ज़्यादा लड़की रेसलिंग में आना चाहती हैं. साक्षी की कामयाबी ने कई लड़कियों को प्रोत्साहित किया है. साक्षी की कामयाबी से रोज़ कुश्ती में नई लड़कियां आ रही हैं.
दीपा कर्मकार के कोच विश्वेश्वर नंदी ने कहा कि हमें आधारभूत सुविधाओं की बहुत सख़्त ज़रूरत है. जिम्नास्टिक्स में हमने चीन को भी चुनौती दी.
दीपा मलिक ने कहा कि 39 साल की उम्र में पहली बार भाला, गोला पकड़ा. कौन कहता है कि खेलों से आजीविका नहीं हो सकती. पैरालिंपिक से लौटने पर मेरे स्वागत को पूरी खाप मौजूद थी. जीवन के अखाड़े में दम दिखाने के लिए खाप ने सम्मान दिया. कामयाबी के बाद मुझे खाप के सामने पल्ला भी नहीं रखना पड़ा.मैंने ठान लिया था कि अपनी अपंगता को अपनी पहचान नहीं बनने दूंगी.
दीपा मलिक ने कहा कि पैरालिंपिक के बारे में जागरूकता न के बराबर है. पैरालिंपिक को लेकर जागरूकता बढ़ाने में NDTV का अहम रोल है. लगने लगा था कि दीपा का जीवन एक कमरे में ख़त्म हो जाएगा. मेरी पहचान अपंग महिला की न रह जाए, ये ठान लिया था.
साक्षी मलिक ने कहा कि खेल के साथ-साथ ज्ञान भी ज़रूरी है. हमारे देश में सुविधाओं की भारी कमी है. खेल के साथ-साथ पढ़ाई भी बहुत ज़रूरी है. मैंने जब कुश्ती खेलना शुरू किया, तो बहुत कम लड़कियां थीं.
दीपा कर्मकार ने कहा कि खिलाड़ियों को पढ़ाई में कम मेहनत करनी पड़ती है. मुझे खेल से जुड़े परिवार से होने का फ़ायदा मिला.
बॉलीवुड एक्टर और पर्दे पर टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का किरदार निभाने वाले सुशांत सिंह राजपूत का कहना है कि ऐसा नहीं कि देश में सिर्फ़ क्रिकेट ही पॉपुलर है. 1950 में फुटबॉल बहुत लोकप्रिय था.  क्रिकेट की पॉपुलेरिटी इसलिए है कि उसकी गवर्निंग बॉडी स्ट्रॉन्ग है. हर खेल में क्रिकेट जैसे मैनेजमेंट की ज़रूरत है. अगले साल पैरालिंपिक खिलाड़ी पर फ़िल्म कर रहा हूं.
मंदीप ने कहा कि साक्षी की जीत के बाद ज़्यादा लड़की रेसलिंग में आना चाहती हैं. साक्षी की कामयाबी ने कई लड़कियों को प्रोत्साहित किया. साक्षी की कामयाबी से रोज़ कुश्ती में नई लड़कियां आ रही हैं.
मंदीप सिंह (कुश्ती कोच) ने कहा कि हरियाणा रेसलिंग में पहले से आगे रहा है. आजकल हर दिन नई लड़कियां सीखने आ रही हैं.
दीपा कर्मकार के कोच विश्वेश्वर नंदी ने कहा NDTV को धन्यवाद खेल को लेकर शुरुआत की. मैं जिम्नास्टिक्स में कुछ और खिलाड़ी तैयार कर रहा हूं. दीपा को लेकर मेरा सपना है, 2020 तक पदक पाना.
दीपा मलिक ने कहा कि NDTV इकलौता चैनल जिसने हमारे बारे में बात की. पैरालिंपिक के बारे में जागरूकता न के बराबर. पैरालिंपिक को लेकर जागरूकता बढ़ाने में NDTV का अहम रोल.
ओलिंपिक में भारत के लिए पदक जीतने वाली व्रेस्लर साक्षी मलिक ने कहा कि पूरा देश प्रार्थना कर रहा था, तो कुछ करके दिखाना ही था. पढ़ाई और खेल दोनों साथ साथ जरूरी है. अपने साथी दोस्तों की एप्लीकेशन भी लिखती रही हूं.
ओलिंपिक जिमनास्ट दीपा कर्मकार ने कहा कि जाने से पहले ये था कि कुछ करना है वहां पर. वॉल्ट में मैंने पूरी मेहनत की और पूरी कोशिश की. मेडल भले ना मिला हो लेकिन वो मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. मेरा इरादा अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने का था.
(रियो पैरालिंपिक, 2016 में रजक पदक विजेता पैरा एथलीट) ने कहा कि हमारे बारे में कभी कोई चैनल बात नहीं करता था, सिर्फ एनडीटीवी ने बात की. धन्यवाद.
अब #NDTVYouthForChange कार्यक्रम का छठा सत्र : खेलो इंडिया खेलो में प्रश्न...
आने वाली पीढ़ियों में खेल-कूद के प्रति कितना आकर्षण है...? पैनलिस्ट : दीपा कर्मकार (जिमनास्ट), दीपा मलिक (रियो पैरालिंपिक, 2016 में रजक पदक विजेता पैरा एथलीट), बिश्वेश्वर नंदी (जिमनास्टिक कोच), साक्षी मलिक (फ्रीस्टाइल पहलवान एवं ओलिम्पिक कांस्य पदक विजेता), मंदीप सिंह (कुश्ती कोच), सुशांत सिंह राजपूत (अभिनेता)... शो की होस्ट सिक्ता देव
राहुल कुमार (सह-संस्थापक, ट्रूली मैडली) का कहना है कि लोगों का सामाजिक दायरा अब सिकुड़ गया है. पहले आसपास के ही लोगों को रिश्तों का पता चलता था. आजकल छोटे शहरों के 45 फ़ीसदी लोग मैट्रिमोनियल साइट प्रयोग करते हैं.
साकेत मोदी (उद्यमी एवं एथिकल हैकर) का मानना है कि डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल की कोई औपचारिक ट्रेनिंग नहीं है. लेकिन लोग स्मार्टफोन का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं. डिजिटल दुनिया के ज़रिए किसी की भी ज़िंदगी में दखल अब आसान हो गया है. आज के दौर में देखा जाए तो डिजिटल समाज का सबसे नकारात्मक असर डिप्रेशन है.
सुमेर पसरीचा (अभिनेता एवं कॉमेडियन) ने कहा कि सोशल मीडिया एक बड़ा प्लेटफॉर्म देता है. मैंने सोचा ही नहीं था पम्मी आंटी के बारे में, सोचता तो शायद पम्मी आंटी जहां हैं, वहां नहीं होती.
सुमेर पसरीचा (अभिनेता एवं कॉमेडियन) ने कहा कि पम्मी अंटी के किरदार को शुरू में कुछ लोगों ने सराहा बाद में यह सिलसिला शुरू हो गया.
साकेत मोदी (उद्यमी एवं एथिकल हैकर) का कहना है कि लोगों के पास स्मार्टफोन है. लेकिन लोगों के पास फोन का प्रयोग करने की ट्रेनिंग नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल से सीबीएसई का सिलेबस चेंज नहीं हुआ है.
श्रीवास्तव ने कहा, डिजिटल मीडियम से बीएसएनएल में पोर्टल में शिकायत दर्ज की जा सकती है और समाधान भी मिलता है. डिजिटल इंडिया का गांव तक पहुंच रहा है.
अनुपम श्रीवास्तव (अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, बीएसएनएल) का मानना है कि तकनीक से लोग जुड़ते भी हैं. लेकिन यह अपनी जगह दुर्भाग्य है कि बेटा अपनी मां से मिलने के लिए समय नहीं निकाल पाता लेकिन खुशी की बात है कि सोशल मीडिया के जरिये बात कर पाता  है. यह विरोधाभास है.
शुभो सेनगुप्ता (डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट) का कहना है कि आज मेरी मां मेरी बेटी से चैट पर बात करती है. सोशल मीडिया पर वर्तमाम ज्यादा महत्वपूर्ण है. भविष्य के बारे में यही तय करता है.
अब #NDTVYouthForChange कार्यक्रम के पांचवें सत्र : 'कितने दूर, कितने पास' का सवाल...
क्या सोशल मीडिया दुनिया में दूरी पाटने का काम कर रहा है...? पैनलिस्ट : अनुपम श्रीवास्तव (अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, बीएसएनएल), सुमेर पसरीचा (अभिनेता एवं कॉमेडियन), साकेत मोदी (उद्यमी एवं एथिकल हैकर), राहुल कुमार (सह-संस्थापक, ट्रूली मैडली), पापा सीजे (स्टैंड-अप कॉमेडियन), शुभो सेनगुप्ता (डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट)... शो के होस्ट राजीव मखनी
वाजिद अली ने कहा कि अच्छे बुरे लोग हर दौर में रहे होंगे और वैसा ही संगीत बना होगा. जो चीज बिकती है वह गलत नहीं है.
कौशर मुनीर का कहना है कि आज के नौजवानों की मांग है कि गानों में अंग्रेजी शब्द हो.
साजिद अली ने कहा कि आजकल लोग एक गाना भी ले आते हैं और कहतै हैं कि ऐसा गाना बना दो.
गायिका कनिका कपूर ने कहा कि हर गाने में संगीत है. उन्होंने कहा कि हर गाने की गायिकी अलग है.
गीतकार एवं पटकथा लेखक कौसर मुनीर ने कहा कि हमारी फिल्मों के गीतों में बदलाव आ रहा है. गुलजार साहब के गीत भी बदले हैं. हर गीतकार के बोलों में बदलाव आया है. यह सब आज के जमाने के हिसाब से हो रहा है.

साजिद ने कहा कि म्यूजिक इंडस्ट्री में बाजार का काफी दबाव है.
साजिद अली ने कहा कि सच बोलूंगा. पहले संगीत मांगा जाता था तब बनाया जाता है, अब संगीत छीन लिया जाता है.
वाजिद अली ने कहा कि बॉलीवुड में मजबूरी होती है ऐसा संगीत देने की क्योंकि वह जमाने की जरूरत है. वाजिद ने कहा कि फिल्म संगीत में काफी चीजें ऐसी होती है जिसमें स्टोरी और कैरेक्टर के हिसाब से काम करना होता है.
#NDTVYouthForChange कार्यक्रम के चौथे सत्र : गाता रहे मेरा दिल में सवाल... क्या बॉलीवुड आज के जमाने के टैलेंट का जश्न मना रहा है...? पैनल में प्रसून जोशी, संगीतकार साजिद वाजिद, कौसर मुनीर... बस कुछ ही पलों में...
जाने-माने वकील केटीएस तुलसी ने एक कविता का पाठ कर महिलाओं के प्रति अपनी बात कही.
मौके पर मौजूद मालिनी अवस्थी ने एक गाना गाकर समाज को महिलाओं के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया.
जोशी ने कहा कि महिला जब मां बनती है तो उसे पर ही जिम्मेदारी गई है. क्यों पुरुष इस मामले में आगे नहीं आते हैं, क्यों पुरुषों को छुट्टी नहीं दी जाती और कहा जाता कि वे बच्चों को देखें. इच्छा तो दोनों की थी.
जोशी ने कहा कि महिला का संघर्ष गर्भ से ही शुरू हो जाता है. कहीं, भ्रूण हत्या न हो जाए. समाज में अभी भी महिलाओं पर नौकरी के बाद घर की जिम्मेदारी भी डाली जाती है.
प्रसून जोशी ने कहा कि यह स्थिति शर्मनाक है कि महिलाओं पर चिंताओं की जरूरत है. इस विषय पर चर्चा की जरूरत पड़ रही है.
साइरी ने कहा कि मोबाइल क्रांति के साथ देश में महिलाओं को भी अधिकार मिला है. महिलाएं खुद संपर्क करने लगी हैं. आगे बढ़ने लगी है. वे हमसे सीधे संपर्क करती हैं. यह सब तकनीक की वजह से हो रहा है. सिस्टम और सपोर्ट की वजह से हो रहा है.
साइरी ने कहा है कि आज से 10 साल पहले महिलाओं को घर में बैठने की बात कही जाती थी, उन्हें परिवार की जिम्मेदारी दी जाती थी. अब कुछ बदलाव है और अब हर महिला चाहती है कि वह सक्षम हो. वह अपनी बात कह सके. उन्होंने कहा कि साइंस और टेक्नॉलोजी भी आर्ट और सिनेमा के समाम समाज में बदलाव का काम कर सकता है.
सोनम कपूर का कहना है कि अगर आपके दिमाग में कुछ हैं, आपके कुछ सपने हैं तो आपको कुछ करना चाहिए..  सोनम ने कहा कि हम लोगों को समाज में योगदान देना होगा. बिना डरे अपनी राय अपनी इच्छा पूरी करनी चाहिए. सीखते हुए आगे बढ़ना चाहिए.
जोशी ने कहा, समाज में बेटी और बहू घर के भीतर रह जाती हैं, उनके लिए दरवाजा खोलने की जरूरत है.
प्रसून जोशी ने कहा कि अगर लोग एक्सेप्शनल नहीं हैं तो उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा. सभी लोग एक्सेप्शनल नहीं होते हैं.

प्रसून जोशी ने कहा कि जीने की शर्त एक्सेप्श्नल नहीं होनी चाहिए.

सोनम ने कहा कि अच्छे लोगों की कहानियां लोगों तक पहुंचाया जाए तो समाज में बदलाव आएगा. युवा इससे प्रोत्साहित होगा.
सह-संस्थापक, Sheroes साइरी चहल ने कहा कि समाज में बदलाव हमसे ही आएगा. सोनम ने कहा कि महिलाओं के प्रति समाज में ज्यादा बदलाव नहीं आया है.
जब माउंट एवरेस्ट पर अरुणिमा पहुंची तो उनके मन में क्या था, इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं टूट गई थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी थी. जब मैं हॉस्पिटल के बेड पर थी तब चीख रही थी.
अरुणिमा सिन्हा ने कहा कि जिन लड़कियों ने अपनी जिंदगी में कुछ पाया है. उनका भी फर्ज बनता है कि समाज को वे कुछ वापस दें.
सोनम कपूर ने कहा, अनिल कपूर फेमिनिस्ट हैं वो मेरे पिता हैं और उन्होंने मुझे अच्छी शिक्षा दी.
ऐडगुरु और गीतकार प्रसून जोशी ने अपनी कविता की पंक्ति पढ़ समाज की हकीकत को बयां किया.

एवरेस्ट फतेह करने वाली अरुणिमा सिन्हा भी शामिल हुई हैं.

एनडीटीवी यूथ फॉर चेंज कार्यक्रम के तीसरे सत्र में भाग लेने के लिए आईं सोनम कपूर
तीसरा सत्र : और सुबह होकर रही... में सवाल एक महिला इस समाज से कितनी उम्मीद कर सकती है...?
इस सत्र में  सोनम कपूर (अभिनेत्री), प्रसून जोशी (गीतकार), अरुणिमा सिन्हा (माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली दिव्यांग महिला), सैरी चहल (सह-संस्थापक, Sheroes)
शूजित सरकार ने कहा कि फिल्म के संकेत और संदेश लोग समाजिक तौर पर भी स्वीकार करते हैं.
तापसी ने कहा कि डीटीसी की बसों में लड़कियों को गलत जगह पर छुआ जाता है. लड़की को आखिर लगने लगता है कि आखिर उसने क्या गलत किया है.
तापसी ने कहा कि दिल्ली में लड़कियों को छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है.
बिगबी ने अपनी नातिन के लिए लिखी चिट्ठी के बारे में कहा कि वह सभी बेटों के लिए भी लिखा है.
क्या हमारे लड़कों में इतनी हिम्मत हैं कि वह दहेज के खिलाफ खड़े हो पाएंगे. अमिताभ बच्चन ने कहा कि हमें लड़कों के सामने उदाहरण पेश करना होगा.
बिग बी ने कहा कि देश के लड़के जरूर बदलेंगे.
कीर्ति ने कहा कि शर्म की बात है कि जब जब किसी के साथ संबंध में होते हैं और जब सबसे ज्यादा जरूरत होती है वह आपके साथ नहीं होता यह काफी तकलीफदेह है. वह समाज के विचार से बंधा है.
फिल्म पिंक की अन्य महिला कलाकार एंड्रिया ने कहा कि महिलाओं को हर जगह ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शिलॉन्ग में भी लोगों ने फिल्म को देखा है और मैं उम्मीद करती हूं कि समाज बदलेगा.
तापसी ने कहा कि कोर्ट में हादसे की शिकार लड़की के साथ जो व्यवहार होता है भी समाज पर सवाल उठाता है. वह उसे रोज दिक्कत झेलनी पड़ती है.
तापसी ने कहा कि आदमी औरत में भगवान ने जो अंतर दिया है वह गलत तरीके से समाज में लिया गया है.
लड़कियों के पहनावे पर किए गए एक सवाल पर बिगबी ने कहा कि सब बातें लड़कियों के लिए होती हैं, लेकिन संदेश लड़कों के लिए है.
शूजित सरकार ने कहा कि कपड़े सभी पहनते हैं, लेकिन आप किस नजर से देखते हैं यह मायने रखता है. मैं क्या दिखाना चाहता हूं. यह मेरे पर निर्भर है. मैंने कैमरा पर्सन को निर्दश साफ दिया था कि कैमरा ऐसा दिखाए कि कुछ भद्दा न लगे.
तापसी ने कहा कि सीन से पहले करीब आधा घंटे पहले से निर्देशक हमें तैयार कर देते थे और हम काफी गंभीर हो जाते थे. एक सीन के लिए तो हमें पूरी रात सोने के लिए मना किया गया था. केवल आधे घंटे तक सोने को कहा गया था.
फिल्म के अन्य कलाकार अंगद सिंह ने कहा कि शूजित दा ने मुझे इस फिल्म के लिए चुना, मैं शुक्रगुजार हूं.
बिग बी ने कहा कि मेरे विचार पहले से महिलाओं के प्रति संजीदा रहे हैं.


अमिताभ ने कहा,  जब विषय मेरे पास आया तभी से ऐसे विचार आए ऐसा नहीं है. पहले से ही मेरे विचार महिलाओं के प्रति सम्मान रहा है. मैं पहले से ही महिलाओं के सम्मान से जुड़े कार्यक्रमों से जुड़ा रहा हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पास जो भी होगा वह मरने के बाद बेटे और बेटी में आधा-आधा बंटेगा.
बिगबी ने कहा कि इस फिल्म के दौरान सभी कलाकार कई बार रोए. सभी काफी भावुक हो गए थे. जब से इस विषय को सुना तब से लेकर अब तक भावुकता बनी है.
अमिताभ बच्चन ने फिल्म पिंक पर राय देते हुए कहा कि निर्देशक मेरे पास केवल विषय लेकर आए थे और मैंने विचारधारा को उसी समय स्वीकार किया. फिल्म के पटकथा और बाकी सब काम बाद में तय हुए. दोनों ने फिल्म पर काफी चर्चा की.
#NDTVYouthForChange में महिलाओं के विषय पर चर्चा के लिए बॉलीवुड के सितारे


एनडीटीवी यूथ फॉर चेंज के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मंच पर पहुंचे अमिताभ बच्चन, शूजित सरकार और तापसी पन्नू

रियो पैरालिंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली दीपा मलिक के साथ अमिताभ बच्चन.
#NDTVYouthForChange में दोपहर 2 बजे से दूसरा सत्र 'तुझसे ही है रोशनी' में महिलाओं के प्रति समाज को दोहरे चरित्र पर अमिताभ बच्चन, सूजित सरकार और तापसी पन्नू से चर्चा करेंगे रवीश कुमार
भारत भूषण त्यागी ने कहा, शुद्ध वातावरण की सबको ज़रूरत है. आधुनिक दुनिया में हर चीज़ का मूल्यांकन पैसे से हो रहा है. मानव जाति ने धरती से अपने संबंध को नहीं पहचाना है. धरती को मां भी कहा और दुर्गति भी की. हमने पर्यावरण के महत्व को अभी नहीं समझा है. एक एकड़ ज़मीन से चार से पांच लाख कमा सकते हैं. प्रकृति के साथ जीने से मुझे बहुत उत्साह मिला है. प्रकृति में जो बीज की परंपरा को ध्यान में रखना ज़रूरी है.


पर्यावरण सत्र में चर्चा करते पैनलिस्ट
भारती ने कहा, उत्तराखंड की एक जगह पर पानी और जंगल के लिए काम कर रहे हैं.  देश के मैदानों और पहाड़ों में पानी और जंगल की समस्या है. उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले के बीरोंखाल नाम की जगह पर काम कर रहा हूं. साधना से चुनौतियों पर काम करने की कोशिश की. एक गांव से काम शुरू हुआ और काम आगे बढ़ता गया. हमने 150 से ज़्यादा गांवों में पानी की समस्या को दूर किया. 1987 में देश में बहुत बड़ा सूखा पड़ा. पेड़ों के पास हमने एक छोटा सा गड्ढा खोदा जिससे पेड़ ज़िंदा रहे हैं.
सच्चिदानंद भारती ने कहा कि जंगलों के कम होने से महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इसलिए सबसे पहले उन्होंने इस बात का समझा और आगे आईं.

त्यागी ने कहा, एक एकड़ ज़मीन से चार-पांच लाख कमा सकते हैं. देश में ज़्यादा से ज़्यादा लोग खेती से जुड़े. प्रकृति से लड़ने नहीं जुड़ने की ज़रूरत है.
भारत भूषण त्यागी ने कार्यक्रम में कहा, शुद्ध भोजन, पर्यावरण सबको चाहिए, लेकिन खेती करने को आज कोई तैयार नहीं.  हम धरती के साथ संबंध को समझ नहीं पाए, पानी का महत्व नहीं समझें तो अच्छा होगा. मेरी सात पीढ़ियां खेती में हैं और रहेंगी.
दीया ने कहा, पृथ्वी अपनी किसी चीज़ पर टैक्स नहीं मांगती. पृथ्वी हमें हर चीज़ फ्री में देती है. हम सबसे ज़्यादा कचरा करते हैं. हमारा कचरा नदी, जंगल हर जगह पहुंचता है. झगड़ा करना है तो पृथ्वी के बचाव के लिए करें. मुझे सबसे ज़्यादा डर कचरे से. प्लास्टिक से सबसे ज़्यादा डर. पानी, जंगल मुफ़्त में मिला. दक्षिण भारत में पानी पर झगड़ा. हम सब जानते हुए कुदरत को नष्ट कर रहे.
दीया मिर्जा ने कहा कि हम पहले जंगलों का देश हुआ करते थे लेकिन आज छिटपुट जगहों पर जंगल बचे हैं.

दीया मिर्जा ने कहा, आप किसी भी क्षेत्र से हों कुदरत की महत्ता को समझना होगा.
#NDTVYouthForChange - कार्यक्रम में दीया मिर्जा में पर्यावरण पर अपने विचार रख रही हैं...

रवीश कुमार ने कहा कि दिल्ली में स्थित जेएनयू में हाल में हुए चुनाव में बड़ी संख्या में छात्रों ने वोट नहीं दिया. वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी के चुनाव में पेपरलैस चुनाव का मुद्दा कहीं गुम हो गया था.


एनटीडीवी इंडिया के एंकर रवीश कुमार ने मंच का संचालन अपने हाथ में लिया और सबसे पहले दिल्ली के युवाओं की बात की.
डॉ रॉय ने कहा, यह कहना कि खेल हमारे डीएनए में नहीं है गलत है. हमारे भ्रष्ट नेता उन्हें मौका नहीं देते हैं. हमारे खेलों पर राजनेताओं का कब्जा है. अगर बोल्ट भारत से होते तो वह ओलिंपिक्स के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाते.

डॉ रॉय की बातें सुनते कार्यक्रम में आए अतिथिगण.
डॉ रॉय आज का कार्यक्रम शिकायत करने के लिए नहीं है. बल्कि समाधान खोजने के लिए है. आज के सत्र में काफी उत्साहवर्धक बातें होंगी
डॉ रॉय ने कहा, भारत के युवा के जीन में लोकतंत्र है. वे क्रिएटिव हैं.
डॉ रॉय ने  कहा, भारत का यूथ सबसे बड़ा बदलाव लाने का कारक है. वह हमारी ताकत है. वह भारत को फिर महान बनाएंगे.
डॉ प्रणय रॉय ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि ऐसे दौर में जब सारे हिन्दी न्यूज चैनल टैब्लॉयड पत्रकारिता कर रहे हैं, NDTV इंडिया ने तमाम आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद कभी भी गंभीर पत्रकारिता से समझौते नहीं किया.


एनडीटीवी यूथ फॉर चेंज कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए डॉ प्रणय रॉय
बस कुछ ही पलों में एनडीटीवी यूथ फॉर चेंज के लिये तैयार मंच से चंद मिनटों में होगा शो लाइव... और इन कुर्सियों पर बैठेंगी देश और समाज में अपने मेहनत से अलग पहचान बना चुकीं हस्तियां..

एनडीटीवी यूथ फॉर चेंज में अपने सत्र की तैयारी में लगे रवीश कुमार

एनडीटीवी यूथ फॉर चेंज में भाग लेने के लिए पहुंची बॉलीवुड अभिनेत्री दीया मिर्जा

कॉनक्लेव के सातवें और अंतिम सत्र 'फिट रहो इंडिया' में चर्चा की जाएगी इस मुद्दे पर - 'क्या हम सेहतमंद ज़िन्दगी की तरफ बढ़ रहे हैं, या उसकी अनदेखी की तरफ...?' और इस चर्चा में NDTV की नग़मा सहर के साथ भाग लेंगे योगगुरु एवं पतंजलि समूह के संस्थानों के संस्थापक बाबा रामदेव, मेदांता मेडिसिटी में क्लिनिकल एंड प्रिवेन्टिव कार्डियोलॉजी के चेयरमैन डॉ आरआर कासलीवाल, फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला तथा न्यूट्रीशनिस्ट शिल्पा अरोड़ा...
18:15 बजे शुरू होने वाले छठे सत्र 'खेलो इंडिया खेलो' में रियो ओलिम्पिक 2016 में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं जिमनास्ट दीपा कर्मकार, रियो पैरालिंपिक, 2016 में रजक पदक विजेता पैरा एथलीट दीपा मलिक, जिमनास्टिक कोच बिश्वेश्वर नंदी, फ्रीस्टाइल पहलवान एवं रियो ओलिम्पिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक, कुश्ती कोच मंदीप सिंह तथा बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के साथ NDTV की सिक्ता देव चर्चा करेंगी कि आने वाली पीढ़ियों में खेल-कूद के प्रति कितना आकर्षण है...?
पांचवां सत्र 17:15 बजे से शुरू होगा, जिसका शीर्षक है 'कितने दूर, कितने पास', और इस सत्र में NDTV के राजीव मखनी चर्चा करेंगे इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए कि 'क्या सोशल मीडिया दुनिया में दूरी पाटने का काम कर रहा है...?' इस चर्चा में भाग लेंगे बीएसएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव, अभिनेता एवं कॉमेडियन सुमेर पसरीचा, उद्यमी एवं एथिकल हैकर साकेत मोदी, ट्रूली मैडली के सह-संस्थापक राहुल कुमार तथा स्टैंड-अप कॉमेडियन पापा सीजे...
चौथा सत्र 'गाता रहे मेरा दिल' शुरू होगा 4 बजे से, जिसका विषय है 'क्या बॉलीवुड आज के जमाने के टैलेंट का जश्न मना रहा है...?' इस सत्र में NDTV के अभिज्ञान प्रकाश चर्चा करेंगे संगीतकार द्वय साजिद-वाजिद, गीतकार प्रसून जोशी, गायिका कनिका कपूर तथा गीतकार एवं पटकथा लेखक कौसर मुनीर से...
दोपहर 3 बजे से 4 बजे तक चलने वाला तीसरा सत्र 'और सुबह होकर रही' महिलाओं की समस्याओं से जुड़ा होगा, जिसमें NDTV की निधि कुलपति बातचीत करेंगी अभिनेत्री सोनम कपूर, गीतकार प्रसून जोशी, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिन्हा तथा फ्लेक्सीमॉम की सह-संस्थापक सैरी चहल से...
दोपहर 2 बजे तक भोजनावकाश के बाद कॉनक्लेव के दूसरे सत्र 'तुझसे ही है रोशनी' में रवीश कुमार ही बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, फिल्म निर्माता एवं निर्देशक शूजित सरकार तथा अभिनेत्री तापसी पन्नू के साथ चर्चा में इस सवाल का जवाब तलाश करने की कोशिश करेंगे कि आखिर कब तक हम समाज में महिलाओं के प्रति दोहरे चरित्र को नज़रअंदाज़ करते रहेंगे...?
इसके बाद दोपहर 12:15 बजे से 13:15 बजे तक पहले सत्र 'साथी हाथ बढ़ाना' में पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर NDTV के रवीश कुमार चर्चा करेंगे गांधीवादी पर्यावरणविद सच्चिदानंद भारती, जैविक (ऑर्गेनिक) खेती करने वाले किसान भारत भूषण त्यागी तथा बॉलीवुड अभिनेत्री दीया मिर्जा से...


समारोह स्थल पर सच्चिदानंद भारती
कॉनक्लेव का उद्घाटन NDTV समूह के अध्यक्ष डॉ प्रणय रॉय के स्वागत भाषण से दोपहर 12 बजे होगा...
कुछ ही देर में शुरू होने जा रहा है NDTV यूथ फॉर चेंज कॉनक्लेव, जिसका मकसद आज की पीढ़ी के सामने प्रस्तुत चुनौतियों के समाधान पर ध्यान केंद्रित करना है. कार्यक्रम में युवाओं के सामने आधारभूत सुविधाओं की कमी, उपलब्ध सुविधाओं, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों, तथा उन रास्तों की तलाश करने की कोशिश की जाएगी, जिनसे एक बेहतर तरीके से जुड़े सिस्टम का निर्माण हो सके और जिसके माध्यम से देश का युवा ज्यादा सकारात्मक और रचनात्मक हो सके.


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