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This Article is From Mar 29, 2016

प्राइम टाइम इंट्रो : पठानकोट मामले में पाक जांच टीम के दौरे से कुछ हासिल होगा?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 29, 2016 21:23 pm IST
    • Published On मार्च 29, 2016 21:15 pm IST
    • Last Updated On मार्च 29, 2016 21:23 pm IST
पठानकोट एयरबेस के भीतर पाकिस्तान की संयुक्त जांच टीम के दौरे को लेकर राजनीति हो रही है। पाकिस्तान का मसला कब दोस्ती का हो जाता है और कब दुश्मनी का यह निर्भर करता है कि हमारे राजनीतिक दल कब क्या तय करते हैं। पाकिस्तानी टीम कोई अकेले नहीं गई है, बल्कि भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी एन आई ए भी साथ-साथ है और यह भी कहा गया है कि उन्हें एयरबेस का दर्शन नहीं कराया जा रहा है, बल्कि उन्हीं सीमित जगहों तक ही जाना होगा जहां 2 जनवरी को आतंकवादी हमला हुआ था। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार जिन इलाकों में दौरा हो रहा है वहां कपड़ों से घेर दिया गया है। भारतीय वायु सेना ने कपड़ों की ऊंची दीवार बना दी है ताकि जे आई टी को एयरबेस का कोई दूसरा हिस्सा न दिखे। 'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार जे आई टी के सदस्यों के साथ भारतीय वायुसेना के किसी भी अधिकारी से संपर्क नहीं कराया जाएगा।

लेकिन कांग्रेस आम आदमी पार्टी और शिवसेना को एतराज़ है कि एयरबेस के भीतर संयुक्त जांच दल को क्यों अंदर जाने दिया गया है। मंगलवार को तीनों दलों ने वहां ऐसा प्रदर्शन किया कि पाकिस्तानी टीम को किसी और दरवाज़े से भीतर ले जाना पड़ा। वहां विरोध करने वाले राजनीतिक दलों के लोग केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे और हाथों में जो तख्ती लिये थे उस पर लिखा था पाक जे आई टी वापस जाओ। प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे भी दिखाये। कांग्रेस नेता का कहना था कि पहले ये लोग हमारी ज़मीन पर हमला करने आए, खून बहाया और अब ऐसे बहाने बना रहे हैं जैसे ये इंसाफ दिलाने आए हों। शिवसेना का कहना है कि हमारी भारतीय टीम को पाकिस्तान भेजना चाहिए ताकि मसूद अजहर की भूमिका की जांच कर सके। क्या भारत को वहां जाकर जांच करने की अनुमति मिलेगी। हमें ध्यान रखना चाहिए कि भारत दोषी नहीं है। पाकिस्तान दोषी है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है कि आज़ाद देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि भारत की सरकार पाकिस्तान के सामने इतना झुक जाए। आई एस आई को बुलाकर मोदी सरकार ने पाकिस्तान के आगे घुटने टेक दिये। केंद्र ने शहीदों की शहादत की सौदेबाज़ी की है जिसे भारत के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कोलकाता में बयान दिया है कि पाकिस्तान ने पहली बार गंभीरता से मंशा दिखाई है कि वे जांच करना चाहते हैं और उन्हें सिर्फ सीमित जगहों पर ही जाने की इजाज़त दी गई है। हमें नतीजे का इंतज़ार करना चाहिए।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान टीम के आने को लेकर उम्मीद तो जताई है मगर कहा है कि ऐसा करना ही था तो सिर्फ एक मामले में क्यों किया जा रहा है। मुंबई का हमला भी हुआ, इसी तरह बाकी हमले भी जो हुए उसके लिए हिन्दुस्तान की एक टीम तैयार होनी चाहिए और पाकिस्तान को उस टीम को इजाज़त देनी चाहिए। संयुक्त जांच दल में पांच सदस्य हैं। इन सदस्यों के बारे में औपचारिक स्तर पर जानकारी तो नहीं है मगर मीडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इन पांच लोगों में से पंजाब काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट के ए आई जी राय ताहिर हैं। खुफिया ब्यूरो के उप महानिदेशक अज़ीम अरशद हैं। आई एस आई के कर्नल तनवीर अहमद, मिलिट्री इंटेलिजेंस के कर्नल इरफ़ान मिर्ज़ा, गुजरांवाला काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट के जांच अधिकारी शाहिद तनवीर हैं।

इस दल में खुफिया ब्यूरो से लेकर आई एस आई और मिलिट्री इंटेलिजेंस के बड़े अफसर ही आए हैं। हमारे सहयोगी सुधीरंजन सेन ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि भारत के एन आई ए के प्रमुख शरद कुमार ने जे आई टी को बताया है कि जैश का सरगना मसूद अज़हर और उसका भाई मोहम्मद असगर पठानकोट के मुख्य आरोपी हैं। दोनों दलों के बीच छह घंटे तक चली बैठक में ये सारी जानकारी पाकिस्तान को दी गई है। पाकिस्तान ने इन दावों को न तो ठुकराया है न ग़लत बताया है।

सूत्रों ने यह भी बताया है कि पाकिस्तान से मसूद अजहर तक पहुंचने की अनुमति मांगी जाएगी। सूत्रों से पता चला है कि भारत में पाकिस्तान की टीम को पूरे तरीके से जांच करने दी जा रही है। दावा किया जा रहा है कि भारत को भी पाकिस्तान में ऐसी छूट मिलेगी। इस आधार पर कि जो इस मामले के गवाह हैं और आरोपी हैं वो तो पाकिस्तान में ही मिलेंगे। पठानकोट आतंकी हमले में सात जवानों की मौत हो गई थी। सुधीरंजन सेन ने एनडीटीवी.कॉम पर अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत की अदालत ने पाकिस्तान की अदालत को एक पत्र लिखा है जिसे लेटर-रोगेटरी कहा जाता है।
इसके ज़रिये भारत ने पाकिस्तान की कोर्ट से सबूतों को साझा किये जाने की मांग की है। पाकिस्तान ने भी साझा करने का वादा किया है लेकिन अभी पाकिस्तान कोर्ट ने भारत को लेटर-रोगेटरी नहीं भेजा है, इसलिए वहां की अदालत में यहां से जुटाये सबूत को चुनौती दी जा सकती है।

ये कहा जा रहा है कि पाकिस्तान ने पहली बार माना है कि उसकी ज़मीन का इस्तेमाल हुआ है। मुंबई हमले के बाद 13 फरवरी 2009 को पाकिस्तान के तबके गृहमंत्री रहमान मलिक ने प्रेस कांफ्रेंस कर माना था कि मुंबई हमले के लिए पाकिस्तान की ज़मीन का आंशिक तौर पर इस्तेमाल किया गया और कुछ संदिग्धों को पकड़ा भी है जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू कर दिया गया है।

लेकिन पाकिस्तान की सरकार उन सबके ख़िलाफ भी अपनी अदालतों में साबित नहीं कर पाई। भारत ने मुंबई हमलों से जुड़े जो सबूत दिए थे वे भी रावलपिंडी के अडियाला कोर्ट में नहीं स्वीकार नहीं किये गए। लिहाज़ा हाफिज़ सईद लाहौर कोर्ट से और ज़कीउर रहमान लखवी अडियाला कोर्ट से रिहा हो गया। पठानकोट मामले में भी पाकिस्तान ने जो एफ आई आर दर्ज की है उसमें किसी का नाम नहीं लिया है जबकि भारत इस हमले के लिए मसूद अज़हर को मुख्य आरोपी मानता है।

क्या होगा अगर पाकिस्तान की टीम लौट कर यह कह दे कि हमें जो सबूत दिखाये गए वो पर्याप्त नहीं है तब भारत क्या करेगा। यह सही है कि पाकिस्तान की टीम के सामने भारतीय टीम को भी अपने सबूत रखने का मौका मिला है वो भी आमने-सामने। चार साल पहले भारत की जांच एजेंसी ने डेविड हेडली से अमरीका जाकर पूछताछ की थी। अभी भी अमरीका से वीडियो लिंक के ज़रिये ही उसकी गवाही यहां रिकार्ड की जाती है। इस तरह से देखा जाए तो अमरीका को डेविड हेडली से पूछताछ करने के लिए भारतीय एजेंसी को अनुमति ही नहीं देनी चाहिए थी।

आई एस आई का अधिकारी होने के कारण यह दौरा राजनीतिक विरोध का कारण बन रहा है या पाकिस्तानी टीम के कारण ही। अब सवाल है कि क्या पाकिस्तान भारत को हाफिज़ सईद से लेकर मसूद अज़हर तक से पूछताछ करने देगा। भारत कहता है कि वह मांग करेगा। यह सब हो रहा था तभी एक अन्य मामले में पाकिस्तान की सेना की जनसंपर्क एजेंसी ने एक वीडियो जारी कर दिया। इस वीडियो में कुलभूषण जाधव स्वीकार कर रहे हैं कि वो रॉ के लिए काम करते हैं। इस प्रेस कांफ्रेंस में लेफ्टिनेंट जनरल असीम बाजवा और सूचना मंत्री परवेज़ राशीद मौजूद थे। बाजवा ने कहा कि कुलभूषण जाधव RAW चीफ, नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र और RAW ज्वाइंट सेक्रेटरी से सीधे तौर पर संपर्क में था। जाधव के ज़रिये पाकिस्तान के सैनिक अधिकारी ने आरोप लगाया कि ये एक किस्म का राज्य द्वारा प्रायोजित आतंकवाद है और इससे ज्यादा साफ सबूत क्या होगा कि भारत का पाकिस्तान में दखल है। उसने बताया है कि वो अब भी भारतीय नौसेना में कार्यरत है और 2022 को रिटायर होगा। उसने बताया कि RAW ने उसे 2013 में अपने साथ जोड़ा और तबसे वो कराची और ब्लूचिस्तान में RAW के कहे अनुसार कई एक्टिविटिज़ करता रहा। कराची में कानून और व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश में रहा।

भारत के रक्षा मंत्री ने यह तो माना है कि कुलभूषण जाधव पूर्व नेवी अफसर है, लेकिन भारत की तरफ से किसी भी खुफिया गतिविधि में शामिल होने से इंकार किया है। रक्षा मंत्री ने कहा था कि जाधव को जो भी मदद की ज़रूरत होगी, दी जाएगी। ये वीडियो उस समय जारी किया गया जब पाकिस्तानी जांच दल भारत में मौजूद है और विरोधी दल सरकार पर तरह तरह के आरोप लगा रहे हैं। हालांकि दोनों मामले अलग हैं मगर वीडियो के ज़रिये कबूलनामा जारी करने से एक बार वही पुरानी आशंकाएं जागती तो हैं कि क्या वाकई जांच दल के दौरे जैसी गतिविधियों से कोई लाभ होगा।

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