हम में से जो भी कभी अहमदाबाद नहीं भी गए हैं वो भी थोड़ा थोड़ा उस शहर को जानने लगे हैं. ये कमाल है प्रधानमंत्री मोदी का. असल में विश्व के बड़े नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद ले जाने की शुरुआत जब से की है, तब से ये होने लगा है. याद करें सितंबर 2014. बीजेपी को प्रचंड बहुमत से सत्ता में आए महज़ कुछ ही महीने हुए थे. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भारत के दौरे पर आए. उनके दौरे का अहम हिस्सा था अहमदाबाद. साबरमती किनारे झूला झूलते मोदी और चिनफिंग की तस्वीरें हर जगह छाई रहीं. जहां उसी एक फोटो के ज़रिए नई तरह की कूटनीति की बात हुई तो जब चीनी सैनिकों ने अरुणाचल में घुसपैठ की, तो उसी तस्वीर पर आलोचकों ने निशाना साधा.
सितंबर 2017 में जापान के पीएम शिंज़ो आबे भारत आए. मुंबई- अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का शिलान्यास होना था. लेकिन ये शिलान्यास मुंबई में नहीं अहमदाबाद में हुआ...रोड शो भी हुआ. और अब एक बार फिर जब इज़रायल के पीएम भारत दौरे पर हैं, तो अहमदाबाद में कुछ प्रोजेक्ट का उद्घाटन कर रहे हैं. हर बार के इस अहमदाबाद कार्यक्रम से कुछ चीज़ें तो ज़रूर साबित होती हैं. एक, अहमदाबाद से पीएम मोदी का विशेष प्रेम. दूसरा, वहां उनके सीएम कार्यकाल के दौरान जो विकास हुआ है वो अब दुनिया के सामने है. तीन, दुनिया भर को ये भी बताना कि दिल्ली, मुंबई से भी आगे भारत है, काफी विकसित है और निवेश के लिए तैयार भी है.
लेकिन यहां पर सवाल उठता है कि सिर्फ अहमदाबाद ही क्यों? अहमदाबाद खूबसूरत है, विकसित है. लेकिन देश में और भी शहर हैं जो काफी साफ सुथरे हैं, राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर विकास के लिए काफी कुछ किया भी है. अगर वहां विश्व के विकसित देशों के नेता आएं तो उन्हें एक और भारत भी नज़र आएगा, लोगों की ज़रूरतों के हिसाब से निवेश भी और हो सकते हैं. राज्य सरकारें भी ऐसे नेताओं के स्वागत के लिए शहरों को और बेहतर बना सकती हैं. और आम जनता भी देश के अलग-अलग हिस्सों से कुछ और ज्यादा वाकिफ़ होगी, प्रेरणा पाएगी. लेकिन शायद इसके लिए पहले काशी का क्योटो होना ज़रूरी है.
(कादंबिनी शर्मा एनडीटीवी इंडिया में एंकर और एडिटर फॉरेन अफेयर्स हैं)
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