विज्ञापन
This Article is From Nov 22, 2017

नेताओं के बिगड़े बोल, आखिर सारी मर्यादाएं क्यों लांघी जा रही हैं?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 23, 2017 00:07 am IST
    • Published On नवंबर 22, 2017 23:58 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 23, 2017 00:07 am IST
'सुशील मोदी ने गुंडा लोगों से फोन करवाया कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री से बात करनी है तो मैंने कहा कि बोलिए बोल रहे हैं. फिर बोला कि मेरा लड़का है उत्कर्ष मोदी उसकी शादी है. बियाह में बुला रहा है, बेइज्ज़त कर रहा है. बियाह में जाएंगे तो वहीं पोल खोल देंगे जनता के बीच में. पूरा जनता के बीच में. लड़ाई चल रहा है. हम नहीं मानेंगे. हम वहां भी राजनीति करेंगे क्योंकि इस तरह छलने का काम किया है गरीब गुरबा को, उसके घर में घुसकर मारेंगे. घर में घुसकर. हमलोग रुकने वाले नहीं हैं. अगर शादी में बुलाएगा तो वहीं सभा कर देंगे.' ये आशीर्वचन तेज प्रताप यादव के हैं जो राष्ट्रीय जनता दल के नेता हैं. घोर निंदनीय. किसी ने बुलाया तो मत जाइये मगर ये क्या कि घर में घुस कर मारेंगे. मेरे हिसाब से तो जाइये भी और सुशील मोदी के सामने बीस रसगुल्ला खा जाइये. एक-दूसरे का ख़ूब विरोध भी कीजिए मगर आदर के साथ भी यह काम किया जा सकता है. ऐसी भाषा तभी निकलती है जब संतुलन खो देते हैं या हताशा बढ़ जाती है.

यह बात बिहार बीजेपी के अध्यक्ष नित्यानंद राय पर भी लागू होती है जो प्रधानमंत्री पर उंगली उठाने वाले की उंगली तोड़ देने की बात कर रहे थे और हाथ काट डालने की बात कर रहे थे. प्रधानमंत्री खुद ही सक्षम हैं अपने विरोधियों से निपटने में, आप काहे बिना मतलब नंबर बढ़ा रहे हैं.

'जब हम पाप करते हैं तो भगवान सज़ा देते हैं. कई बार किसी जवान को देखते हैं कैंसर हो गया है या दुर्घटना हो गई है. अगर इनका बैकग्राउंड मालूम करेंगे तो पता चलेगा कि ईश्वर ने न्याय किया है. और कुछ नहीं है. हमें ईश्वर के न्याय को भोगना ही पड़ेगा. इस जीवन में, पूर्व जीवन के, मां-बाप के कर्मों का हिसाब, हो सकता है कि नौजवान ने गलत नहीं किया मगर पिता ने किया होगा. कोई ईश्वर के इंसाफ से बच नहीं सकता है.' ये बयान असम के ताकतवर मंत्री हेमंता विश्वा शर्मा का है. शब्दश: नहीं है. अहोमिया से अंग्रेज़ी और फिर अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद है. कैंसर एक भयंकर रोग है. वो किसी के पूर्व कर्मों की सज़ा नहीं है, बल्कि उसके कई कारण हैं जिसके लिए हम सब ज़िम्मेदार हैं. कैंसर की बीमारी मरीज़ों को आर्थिक और मानसिक रूप से बर्बाद कर देती है. जो सड़क दुर्घटना में मरता है, उसकी मौत को ईश्वरीय न्याय बताकर जायज कहना ठीक नहीं है. भारत में सवा लाख से ज़्यादा लोग हर साल सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं. ये सारे पापी नहीं हैं. जो बच गए वो या हेमंत विश्वा शर्मा जी कोई देवता नहीं हैं.

समस्या यह है कि हमारे नेता बहुत बोल रहे हैं. कोई अपने क्षेत्र में जनता की समस्या को सुन नहीं रहा है. लोगों को विधायक और सांसद मिल नहीं रहे हैं. बोलने की मर्यादाएं टूट गई हैं और संवेदनाएं तो हैं ही नहीं. आप कितने बयानों पर बोलेंगे, पता चला कि दूसरे की मूर्खता पर अपनी सफाई दिए जा रहे हैं. इस पोस्ट को आगे पीछे सभी बयानों की निंदा में समझें. अब और नहीं लिखूंगा.

इस बीच एक बात अच्छी हुई है. कांग्रेस के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को एक प्रचार कार्टून में चाय वाला बताया. उचित ही निंदा हुई मगर कांग्रेस ने बकायदा माफी मांगी और कहा कि ऐसी चीज़ों का समर्थन नहीं करते हैं. इस ट्वीट के जवाब में बीजेपी सांसद ने ट्वीट कर दिया कि चायवाला बनाम बार बाला. अब उनका यह ट्वीट उल्टा पड़ गया. उनकी निंदा होने लगी. परेश रावल ने भी सॉरी बोला और ट्वीट को डिलिट कर दिया. परेश रावल ने भी अच्छा किया. नेहरू की बहन भतीजी के साथ तस्वीर को गर्ल फ्रेंड बताकर ट्वीट करने वाले आईटी सेल के चीफ मालवीय जी ने उस पर माफी नहीं मांगी. बेटी को गर्ल फ्रेंड बता देना तो भारतीय संस्कृति और उसमें देवी बनी बैठी नारी का तो बड़ा अपमान हो गया. पढ़ाई, अस्पताल, रोज़गार, सुगम जीवन जैसे मुद्दे तो कभी आएंगे नहीं.

बहुत ज़रूरी है कि सारे राजनीतिक दल हर तीन महीने पर चाय पीने के लिए सर्वदलीय बैठक करें. जहां एक-दूसरे से गले मिलकर पुराना हिसाब बराबर होने का एलान हो और नया शुरू हो! वे चाहें तो उनकी सुविधा के लिए यह काम मैं कर सकता हूं. मैं सबको चाय पर बुलाता हूं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com