बात 1976-1977 की है. प्रोफेसर बीबी लाल पूरा नाम ब्रजवासी लाल की टीम एक मस्जिद के गेट पर पहुंची. वहां पुलिस वाले मौजूद थे.प्रोफेसर लाल की टीम ने उनसे कहा- मस्जिद में खोज करने आए हैं. पुलिस वालों कोई हीला-हवाली नहीं की और टीम को आसानी से अंदर जाने की अनुमति दे दी..तब न तो पुलिस और न ही प्रो. लाल की टीम को पता था वे जिस तहखाने में घुस रहे हैं वहां से वे ऐसे सबूत ढूंढ लाएंगे जो देश की सबसे बड़ी अदालती लड़ाई का अंत करने में बड़ी भूमिका अदा करने वाली है.आप माजरा समझ गए होंगे...फिर भी आपको बता देते हैं...वो मस्जिद थी बाबरी मस्जिद और जो सबूत बीबी लाल की टीम ढूंढ लाई थी वो थे राम मंदिर के अवशेष...
आज हम ndtv इतिहास की नई कड़ी में आपको बताएंगे कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद की खुदाई में क्या-क्या निकला? आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को अपनी खोज में वो कौन से सबूत मिले जिसने अयोध्या में राम मंदिर की नींव पुख्ता कर दी...नमस्कार मैं हूं आपका होस्ट- रविकांत ओझा...
चलिए शुरू से शुरू करते हैं.बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो.एके नारायण ने 60 के दशक में पहली बार अयोध्या के आर्कियोलॉजिकल सर्वे का काम शुरू कराया लेकिन ये काम कई वजहों से आगे नहीं बढ़ पाया. इसके बाद खुदाई का काम प्रोफेसर बीबी लाल की टीम ने अपने हाथों में ले लिया.उनकी टीम दो बार बाबरी मस्जिद के अंदर गई और खुदाई में वो पुरातात्विक साक्ष्य निकाल लाई जिसके आधार पर देश की सर्वोच्च अदालत में साबित हुआ कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर था.
प्रोफेसर लाल की जो टीम बाबरी के अंदर गई थी उसमें एक मुस्लिम युवक भी शामिल था. जिनका नाम था- के के मोहम्मद. केरल के कालीकट में पैदा हुए केके मोहम्मद को पुरातत्व सर्वेक्षण के मामले में काफी सम्मान प्राप्त है. खुद उन्होंने ही इस सर्वे के बारे में बातें सार्वजनिक की. उनके मुताबिक जैसे ही टीम परिसर में पहुंची तो देखा कि मस्जिद के सारे पिलर्स मंदिर के थे. वह पिलर्स करीब 11वीं-12वीं शताब्दी के थे. तब सर्वे के दौरान ऐसे 12 पिलर्स मिले थे. के के मोहम्मद के इस खुलासे की तस्दीक प्रो बीबी लाल भी करते हैं. उन्होंने बाबरी मस्जिद की खुदाई के बाद संरचना के सिद्धांत के साथ अपने तर्क पेश किए थे.
आसान शब्दों में कहें तो प्रो लाल ने बताया था मस्जिद के नीचे मंदिर जैसी संरचना थी. इस सिद्धांत ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान काफी सुर्खियां बटोरी थी. उनका रिसर्च पेपर 'राम और उनकी ऐतिहासिकता' इस सर्वे के बारे में बहुत कुछ बताता है. उन्होंने बाबरी ढांचे के पास स्तंभ आधारों की खोज के बारे में सात पन्नों की प्रारंभिक रिपोर्ट लिखी थी. हालांकि, इस खोज के बाद क्षेत्र से सभी तकनीकी सुविधाओं को वापस ले लिया गया और परियोजना को रोक दिया गया था और उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई.
इसके बाद इस परिसर में जो सबसे अहम सर्वे या यूं कह लीजिए खुदाई हुई उसी में मंदिर से संबंधित सबसे अहम सबूत मिले थे. 2003 में हुई इस खुदाई में 90 से ज्यादा पिलर्स बेसिस मिले थे. ये खुदाई डॉ बीआर मणि के निर्देशन में की गई थी.के के मोहम्मद के मुताबिक इस दौरान मंदिर से जुड़ी हुई करीब 216 से ज्यादा टेराकोटा की मूर्तियां मिली थीं, जो अलग-अलग देवी-देवताओं की थी.इसी खुदाई के दौरान मिले एक शिलालेख पर लिखा हुआ था कि “ये मंदिर उस विष्णु को समर्पित है,जिसने 10 सिर वाले का वध किया". इसी सर्वे से साबित हुआ कि मस्जिद से पहले यहां काफी बड़ा स्ट्रक्चर मौजूद था. इसके अलावा अवशेषों में मानवों और जानवरों की आकृतियां भी थीं जो इस्लाम में हराम मानी जाती हैं. के के मोहम्मद बताते हैं जब उन्होंने इन बातों को सार्वजनिक किया तो उन्हें अपने समुदाय में कुछ विरोध का भी सामना करना पड़ा.
इसके अलावा जब वर्तमान राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू हुआ तो नींव रखने के लिए बड़े पैमाने पर खुदाई हुई. इस खुदाई में भी जो तस्वीरें मिलीं वो आपके स्क्रीन पर है. खुद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय इसे शेयर किया है. खुदाई के दौरान दर्जन भर से ज्यादा मूर्तियां, स्तंभ और शिलाएं मिली हैं.इन शिलाओं में देवी-देवताओं की कलाकृतियां उभरी हुई हैं. आपको बता दें कि मंदिर की नींव रखने के लिए करीब 40-50 फीट की खुदाई की गई थी.
वैसे ये तो था खुदाई में मिले सबूतों का ब्यौरा...लगे हाथ हम आपको ये भी बता देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने कई विदेशी यात्रियों के विवरण को अपने फैसले का आधार बनाया. मसलन- 1608 ई.में, ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी विलियम फिंच अयोध्या आए थे. उन्होंने अपनी डायरी में लिखा- अयोध्या के रामकोट में, रानीचंद के महल और घरों के खंडहर भी हैं, जिन्हें भारतीयों ने एक महान भगवान के रूप में स्वीकार किया था. इसके अलावा डच इतिहासकार हांस टी बेकर ने अपनी किताब में अयोध्या का जिक्र किया है.
उनके मुताबिक दूसरी शताब्दी आते-आते अयोध्या तीर्थों में प्रमुख बन गई थी. सरयू के मोड़ की वजह से अयोध्या तीन ओर से पानी में घिरी थी और भूमि के केंद्र में मौजूद था राम कोट. इसके अलावा साल 1510-1511 में सिखों के पहले गुरु. गुरु नानक देव जी राम जन्मभूमि के दर्शन के लिए अयोध्या आए थे. यही नहीं ऐतिहासिक किताबों में बताया गया है कि गुरु तेग बहादुर और उनके बेटे गुरु गोबिंद सिंह भी अयोध्या दर्शन के लिए आए थे.
हिंदू धर्म ग्रंथों की बात करें तो अयोध्या का पहला जिक्र चार वेदों में अंतिम वेद अथर्ववेद में आता है. जिसमें अयोध्या को आठ चक्रों और नौ द्वारों वाली नगरी कहा गया है. वाल्मीकि रामायण के मुताबिक अयोध्या की बुनियाद ब्रह्मा के पुत्र मनु ने रखी थी. उन्हीं मनु के वंश में इक्ष्वाकु हुए. भगवान राम इक्ष्वाकु वंश की 40वीं पीढ़ी में आते हैं. वैसे सच तो ये है कि जहां आस्था है वहां सबूत मायने नहीं रखती. राम के होने का सबसे बड़ा सबूत करोड़ों हिंदुओं की आस्था है. इस पेशकश का अंत हम मशहूर इतिहासकार प्रोफ़ेसर माखनलाल की बात से करते हैं- दुनिया में ओरल ट्रैडिशन भी होती हैं. अगर आप हर चीज़ का लिखित प्रमाण मांगेंगे तो उनका क्या होगा जो लिखते-पढ़ते नहीं थे? हरि अनंत और हरि कथा अनंत है...इस मुद्दे पर आप क्या सोचते हैं हमें कमेंट करके जरूर बताएं ताकि हम आपके लिए और बेहतर चीजें पेश कर पाएं