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This Article is From Jul 15, 2015

व्यापमं घोटाला और आयकर छापे की याद - पहला भाग

Reported By Abhishek Sharma
  • ,
  • Updated:
    July 15, 2015 18:58 IST
    • Published On July 15, 2015 19:05 IST
    • Last Updated On July 15, 2015 19:05 IST
व्यापमं घोटाले के सिलसिले में मंगलवार को ढेरों प्रेस कॉन्‍फ्रेंस हुईं। लेकिन भोपाल की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस इसलिये याद की जाएगी क्योंकि केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की बगल में वो शख्स बैठे थे जिनका नाम एक आयकर की रेड में सामने आया था।

अगर बड़ी पिक्चर देखें तो 2013 में हुई रेड और व्यापमं के रिश्ते जुड़ते दिख रहे हैं। ये महज संयोग कैसे हो सकता है कि आयकर के छापे के दौरान जो डायरी और दस्तावेज़ मिले उसमें उन सब लोगों के साथ बातचीत का ब्यौरा है जो या तो व्यापमं में जेल के अंदर हैं या फिर बाहर अपनी बारी को लेकर सांसत में हैं।

इस पूरी कहानी के मुख्य किरदार की भूमिका में सुधीर शर्मा है जो महज 10 साल पहले एक टीचर था और देखते ही देखते खुद को भोपाल में सबसे ज्यादा आयकर चुकाने वाला बताने लगा। इसकी किस्मत खुली लक्ष्‍मीकांत शर्मा के साथ संपर्क में आने पर। लक्ष्‍मीकांत शर्मा बीजेपी के नेता हैं, फिलहाल सुधीर के साथ ही जेल में बंद हैं। व्यापमं घोटाले में इन दोनों का रिश्ता भी दिलचस्प है। एक दूसरे से इतने मधुर संबंध थे कि लक्ष्‍मीकांत की लाइसेंसी रिवॉल्वर आयकर रेड के दौरान सुधीर के घर से निकली।

लक्ष्‍मीकांत शर्मा, राज्य में पहले खनन मंत्री और बाद में उच्च शिक्षा मंत्री बने। उनके रिश्ते संघ नेता सुरेश सोनी से काफी अच्छे थे। ये रिश्तों का जाल ही है जिसमें सारे व्यापमं और दूसरे घोटालों के राज छिपे हैं। कहा जाता है कि लक्ष्‍मीकांत जहां-जहां पहुंचे वहां-वहां सुधीर ने किस्मत आजमाई और वारे न्यारे कर डाले। पहले लक्ष्‍मीकांत खनन मंत्री बने तो सुधीर शर्मा माइनिंग किंग बन गये। और फिर जब लक्ष्‍मीकांत उच्च शिक्षा मंत्री बने तो वहां भी व्यापमं का सिलसिला शुरू हो गया।

आयकर के छापे में आई बातों से पता लग रहा है कि सुधीर शर्मा उन तमाम लोगों का ख्याल रख रहा था जो उसके या तो सहायक थे या फिर राजनीति में नये पद प्रतिष्ठा देने वाले थे। मसलन बीजेपी के तब के अध्यक्ष जिन्होंने सुधीर को पार्टी में पदों से नवाज़ा। सुधीर की कमाई का एक छोटा सा हिस्सा लोगों के मैनेजमेंट पर खर्च हो रहा था, ये भी अब आयकर के कागज़ों से साफ है। जिसमें संघ के सुरेश सोनी से लेकर बीजेपी सांसद अनिल दवे तक शामिल हैं।

तो क्या इस लूट में सिर्फ सुधीर शर्मा, लक्ष्‍मीकांत और इक्का दुक्का अधिकारी लोग शामिल थे? या फिर हम कहानी का सिर्फ एक हिस्सा देख रहे हैं?  व्यापमं का घोटाला तो सामने आ गया लेकिन क्या हमें इस कहानी को अब रिवर्स करके नहीं देखना चाहिये? क्या ये नहीं देखना चाहिये कि अगर शिक्षा विभाग में रहते हुये इतनी बड़ा रैकेट तैयार हुआ तो खनन मंत्रालय में कैसे कैसे खेल नहीं हुये होंगे? क्या वहां अफसर से लेकर सुधीर तक लूट तंत्र का हिस्सा नहीं थे? क्या सिर्फ सुधीर ने खनन में हाथ मारा या दूसरे एक और सूरमा दिलीप सूर्यवंशी भी उसी दौरान तेजी से बढ़े?

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