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IPL ट्रॉफी से कहीं भारी है कोहली के उन आंसुओं का वजन- उन्हें न रोकने के लिए शुक्रिया  

Ashutosh Kumar Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जून 04, 2025 07:40 am IST
    • Published On जून 04, 2025 07:20 am IST
    • Last Updated On जून 04, 2025 07:40 am IST
IPL ट्रॉफी से कहीं भारी है कोहली के उन आंसुओं का वजन- उन्हें न रोकने के लिए शुक्रिया  

कोई स्टोरी लिखने का यह सलीका होता है कि उसकी एक ठोस शुरुआत हो जहां पाठक को बांधा जाए, उसकी एक बॉडी हो जहां उस स्टोरी की गहराई समाए और एक एंड हो जहां निचोड़ परोसा जाए. आज जब 18 सालों के वनवास के बाद आईपीएल जीतने वाले विराट कोहली के आंसुओं पर कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूं तो वह सलीका मुझे भूल जाना होगा. शुरुआत इस सवाल से ही कि इंसान कब रोता है. शायद सुख और दुख, जब दोनों में से कोई उस बांध को लांघ जाए जहां इमोशन की इंतहा हो जाती है. जब पंजाब किंग्स के खिलाफ रायल चैलेंजर बैंगलोर के गेंदबाज जोश हेजलवुड ने 20वें ओवर की दूसरी गेंद डाली तो विराट कोहली के जेहन में वो बांघ टूट गया. इतना दिग्गज खिलाड़ी कि जिसे महानता के हर पैमाने पर तौलना मुश्किल है, वो एक आम इंसान की तरह 140 करोड़ (देश के बाहर इससे कहीं अधिक) रो रहा था. सिर्फ विराट नहीं पूरी RCB फ्रैंचाइजी भी अपने इतिहास का पहला आईपीएल ट्रॉफी जीत रही थी, लेकिन उसकी जीत के पहले हमें यह विराट कोहली की विराट जीत लग रही थी. आखिरी के 2 ओवर में RCB के मौजूदा कप्तान रजत पाटिदार स्क्रीन पर नजर नहीं आए, हर गेंद के बाद कैमरा विराट कोहली और उनके अनफिल्टर्ड इमोशन की ओर जा रहा था और हमें यह कहीं से नहीं खटक रहा था. वो रात विराट के पूर्ण होने की थी. RCB के पूर्ण होने की थी. आंसुओं को न रोकने की जरूरत थी, न विराट ने रोकने की कोशिश की. आखिर विराट के इस तरह रोने की वजह क्या रही होगी? 

आंकड़ों और क्रिकेट की टेक्निकल ज्ञान से दूर इसपर अपने अल्प बुद्धि से कुछ निष्कर्ष निकालने से पहले यहां एक बात कहनी जरूरी समझता हूं- जब समाज का एक बड़ा समूह मर्दांगी के नाम पर सबके सामने रोने को कमजोरी मानता हो, उस हेय समझता हो- विराट ने हमें दिखाया कि इमोशन का उससे कुछ लेना देना नहीं, दिल में जब आए, रोना अच्छा है. यह इंसान होने की पहचान है.

हां तो विराट क्यों रोए होंगे. शायद सबसे बड़ी वजह होगी संतुष्टि, पूर्ण होने का एहसास. दिल्ली की सड़कों से निकलकर लगभग पिछले दो दशक में विराट ने सबकुछ तो पा लिया था, बस एक अदद आईपीएल ट्रॉफी की कमी थी. उनके पास साथ खड़ा पूरा परिवार है (टचवुड) जिसके कंधे पर जब चाहें वो सर रख सकते हैं, ब्लू जर्सी में जितनी भी ट्रॉफी है, वो है. एक आखिरी कसक आईपीएल ट्रॉफी की थी, उन आखिरी 4 गेंदों में वो भी आंखों के सामने वो सपना भी पूरा होता नजर आ रहा था. ये आंसू उस मेहनत के थे जो 18 सालों से विराट ने RCB की जर्सी में किया था. खुद उनके शब्दों में उन आंसुओं की वजह झलकी. मैच के बाद बात करते हुए उन्होंने मैथ्यू हेडन से कहा, 

“18 साल हो गए हैं, मैंने इस टीम को अपनी जवानी, अपना प्राइम और अपना अनुभव दिया है. मैंने हर सीजन में इसे जीतने की कोशिश की है और मैंने अपना सब कुछ दिया है और आखिरकार यह क्षण आया है, यह एक अविश्वसनीय एहसास है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन आएगा. जैसे ही आखिरी गेंद फेंकी गई, मैं भावनाओं से ओत-प्रोत हो गया. यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है. जैसा कि मैंने कहा कि मैंने इस टीम को अपनी आखिरी इनर्जी तक दी है और आखिरकार आईपीएल जीतना एक अद्भुत एहसास है.”

आज पूरा देश (पंजाब की जनता भी) विराट के लिए खुश है. एग्रेसिव विराट से सहज विराट तक के सफर के लिए खुश है. उनके साथ, कदम से कदम मिलाती अनुष्का शर्मा के लिए खुश है. जिस अंदाज में विराट ने हाल में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा है, यह जीत और यह आंसू अपने आप में कईयों को जवाब भी है. यकीनन आईपीएल ट्रॉफी जीतने के तुरंत बाद भी टेस्ट फॉर्मेट की जमकर तारीफ करने वाले विराट इस लॉन्ग फॉर्मेट को ऐसे नहीं छोड़ना चाहते थे, कहा जा रहा है कि उनके उनकी मर्जी के खिलाफ रिटायरमेंट लेने पर मजबूर किया गया. यह उस टीस के बाहर निकलने के भी आंसू हैं. 

यह वक्त आपका है विराट. शुक्रिया आपके GOAT (ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम) होने के लिए. एक पूर्ण हुए विराट कोहली को देखना हमें खुशी देता है, आपको खुश होते देखना हमें खुशी देता है. टीवी स्क्रीन पर देखें आपके ये आंसू हमें याद रहेंगे, यह हमें याद दिलाते रहेंगे कि भावनाओं को दबाने से कहीं अच्छा है खुलकर रोना है. उसका मर्दांगी या स्त्रीत्व से कोई लेना देना नहीं. आखिर में एक बार और आपका शुक्रिया.  

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : आशुतोष कुमार सिंह NDTV में कार्यरत हैं. इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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