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This Article is From Jul 07, 2016

नए कानून मंत्री - सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बदलाव की बड़ी चुनौतियां...

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 07, 2016 15:36 pm IST
    • Published On जुलाई 07, 2016 15:02 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 07, 2016 15:36 pm IST
जजों की नियुक्ति प्रणाली पर विवाद को सुलझाने में असफल होने पर सदानंद गौड़ा की विदाई के बाद कानून मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद को दिया गया। विधि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कई गैरज़रूरी कानूनों को समाप्त करने की प्रक्रिया इस सरकार में भी चल रही है, पर 'डिजिटल इंडिया' के दौर में यह ज़रूरी बदलाव लाने में नाकाफी है। क्या नए कानून मंत्री इन पांच बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए ज़रूरी कानूनी बदलाव कर पाएंगे...?

गैरकानूनी विज्ञापनों पर रोक के लिए आईटी एक्ट में बदलाव - पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट पर लिंग परीक्षण के विज्ञापनों को न रोकने पर सर्च इंजन गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को कड़ी फटकार लगाई। इस मामले पर केंद्र सरकार को 10 दिन के भीतर मीटिंग करके कोर्ट में मेमोरेंडम दाखिल करना है। कंपनियों ने दलील दी है कि इंटरमीडियरी होने के कारण वे ऐसे विज्ञापनों को रोकने में असमर्थ हैं। इसके पहले भी पोर्नोग्राफिक वेबसाइटों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्त निर्देश दिए गए, जिन्हें लागू करने में सरकार ने असमर्थता जताई थी। इंटरनेट कंपनियों का स्थायी ऑफिस, सर्वर तथा शिकायत अधिकारी विदेशों में स्थित हैं, जिस वजह से सरकार इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। देश के कानूनों को लागू करने के लिए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद क्या आईटी एक्ट में ज़रूरी बदलाव कर पाएंगे...?

कॉल ड्रॉप पर लूट से बचाने के लिए टेलीकॉम कानून में बदलाव - देश में 100 करोड़ मोबाइल यूजर हैं, जिन्हें कॉल ड्रॉप होने के बावजूद भुगतान करना पड़ता है, जिससे टेलीकॉम कंपनियों को सालाना 54,000 करोड़ रुपये की गैरकानूनी आमदनी होती है। रविशंकर प्रसाद के कार्यकाल में कॉल ड्रॉप पर हर्जाने के लिए नियम बनाया गया था, जिसे मई, 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। जानकारों के अनुसार कॉल ड्रॉप पर विफलता की वजह से ही प्रसाद से संचार मंत्रालय का कार्यभार लेकर मनोज सिन्हा को दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध संचार मंत्रालय ने पुनर्विचार याचिका नहीं दायर की, इसलिए नए कानून मंत्री को अब कानून में ज़रूरी बदलाव तो करना ही होगा।

इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर को मान्यता के बिना गैरकानूनी है ई-कॉमर्स व्यापार - दिल्ली उच्च न्यायालय में वर्ष 2014 में फाइल किए गए एफिडेविट के अनुसार केंद्र सरकार ने 'आईटी एक्ट' के सेक्शन 3-ए के तहत कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया, जिससे देश में इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर की कोई मान्यता नहीं है। देश में इंटरनेट तथा ई-कॉमर्स का अधिकांश व्यापार डिजिटल सिग्नेचर के बगैर होता है और सरकार के एफिडेविट के बाद इस व्यापार की कोई कानूनी मान्यता नहीं है। 15 बिलियन डॉलर की ई-कॉमर्स इंडस्ट्री तथा उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण हेतु क्या कानून मंत्रालय 'आईटी एक्ट' के तहत ज़रूरी बदलाव करेगा...?

सोशल मीडिया को पुलिसिया डंडे से बचाने के लिए आईटी एक्ट में बदलाव - सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2015 में 'आईटी एक्ट' की धारा 66-ए को गैरकानूनी करार दिया था, जिसके तहत गिने-चुने मामलों में ही गिरफ्तारी हुई थी। उसके बाद से पुलिस द्वारा सोशल मीडिया के आपत्तिजनक पोस्ट की शेयरिंग पर भी देशद्रोह के आरोप थोपकर मनमाफिक गिरफ्तारियां हो रहीं हैं। तत्कालीन आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 3 अगस्त, 2015 को नया कानून बनाने की घोषणा की थी। नए कानून मंत्री यूज़रों की सुरक्षा तथा इंटरनेट की फ्रीडम के संतुलन को सुनिश्चित करते हुए नया कानून कब लाएंगे...?

प्राइवेट ई-मेल के गैरकानूनी इस्तेमाल से अफसरों को न बनाएं अपराधी - अमेरिका में हिलेरी क्लिंटन द्वारा प्राइवेट ई-मेल के इस्तेमाल की एफबीआई द्वारा जांच हो रही है। डिजिटल इंडिया के दौर में सभी अधिकारियों को ई-मेल का प्रयोग लाज़िमी है, परंतु एनआईसी 10 लाख से कम अधिकारियों को ही सरकारी ई-मेल की सुविधा दे पाती है। केंद्र सरकार के बकाया 40 लाख अधिकारी सरकारी कार्यों के लिए निजी ई-मेल यथा जी-मेल, याहू इत्यादि का प्रयोग करते हैं, जिनके सर्वर विदेशों में हैं। 'पब्लिक रिकॉर्ड्स एक्ट' के तहत इस गैरकानूनी कार्य के लिए दोषी अधिकारियों को पांच साल तक की सजा और भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। एनआईसी के विस्तार में असफल सरकार क्या कानूनों में ज़रूरी बदलाव करेगी, जिससे सरकारी अधिकारी अपराधी होने से बच सकें...?

दागी नेताओं के फास्ट ट्रैक ट्रायल से लोकतंत्र के मंदिर को स्वच्छ करने का मोदी सरकार का पहला वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की राय के बाद ज़रूरी कानूनी बदलाव नहीं किए गए। नए कानून मंत्री के पास आईटी मंत्रालय भी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'डिजिटल इंडिया' के स्वप्न को, कानूनों में बदलाव का 'प्रसाद' कब मिलेगा...?

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...

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