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This Article is From Jul 13, 2016

अरुणाचल प्रदेश - 'देरी' से आए SC के फैसले से हो सकती हैं ये दिक्कतें...

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 13, 2016 12:36 pm IST
    • Published On जुलाई 13, 2016 12:25 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 13, 2016 12:36 pm IST
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को रद्द करते हुए 15 दिसंबर, 2015 की स्थिति को बहाल करने का आदेश दिया है। विलंब से आए इस निर्णय को लागू करने में क्या हो सकती हैं कानूनी अड़चनें...

सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को नई सरकार बनाने से रोक क्यों नहीं लगाई...? - अरुणाचल प्रदेश में 16 दिसंबर, 2015 को कांग्रेस के 21 बागी विधायकों ने बीजेपी तथा निर्दलीय विधायकों के सहयोग से निजी सामुदायिक भवन में बैठक करके मुख्यमंत्री को बेदखल करने का अभूतपूर्व निर्णय लिया। राज्यपाल द्वारा मंत्रिमंडल से बगैर परामर्श लिए निजी भवन में विधानसभा सत्र बुलाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसकी सुनवाई के दौरान ही केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रपति शासन लगा दिया। 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई सरकार बनाने पर रोक लगाने से इंकार करने के बाद अगले ही दिन 19 फरवरी को बीजेपी के 11 विधायकों ने अन्य विधायकों के साथ मिलकर कोलिखो पुल के नेतृत्व में नई सरकार बना ली, जिससे वर्तमान संकट पैदा हुआ।

देर से मिला न्याय नहीं है कारगर - उत्तराखंड में भी अरुणाचल प्रदेश की तर्ज पर राज्यपाल द्वारा संवैधानिक प्रावधानों का पालन न करते हुए राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, परंतु हाईकोर्ट के त्वरित फैसले से बीजेपी वहां पर सरकार बनाने में विफल रही। बोम्मई मामले के अनुसार बहुमत का फैसला विधानसभा में ही हो सकता है, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश के बारे में अंतरिम आदेश से नई सरकार बनाने पर रोक क्यों नहीं लगाई...? इस न्यायिक विलंब से बीजेपी ने 11 विधायकों के बल पर सरकार बना ली, जिसे उस समय के कुल 60 विधायकों में 41 विधायकों का समर्थन भी हासिल हो गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पुरानी स्थिति बहाल हो गई है, लेकिन क्या पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी अब बहुमत हासिल कर पाएंगे...?

गैरकानूनी सरकार बनाने के लिए जवाबदेह गवर्नर क्या देंगे त्यागपत्र...? - सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन तथा राज्यपाल के फैसलों को गैरकानूनी करार दिया है। इससे सरकार द्वारा पिछले पांच महीनों में लिए गए सभी निर्णयों पर सवालिया निशान खड़ा होने से अरुणाचल प्रदेश में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है। क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यपाल अपना त्यागपत्र देंगे...? उत्तराखंड के बाद अरुणाचल प्रदेश में लगे इस झटके के बाद क्या केंद्र सरकार अनुच्छेद 356 का भविष्य में दुरुपयोग बंद करेगी...?

क्या कांग्रेस और तुकी सरकार बनाने के बाद बहुमत साबित कर पाएंगे...? - बीजेपी मुख्यमंत्री कोलिखो पुल ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कहा है कि राजनीतिक मामलों का फैसला संख्याबल से होता है। पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अरुणाचल प्रदेश में ही नहीं, वरन देशभर में लोकतंत्र की रक्षा हुई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद बहुमत का फैसला विधानसभा में होगा, जहां संख्याबल बीजेपी के साथ है। कोर्ट के मामलों में विलंब की दिलचस्प बानगी बिहार में देखने को मिली थी, जहां 2004 की दरोगा की नौकरी का जब 2016 में शारीरिक परीक्षण हुआ तो 40 साल पार कर चुके सभी अभ्यर्थी विफल हो गए। सुप्रीम कोर्ट के अनुकूल फैसले के बावजूद क्या नबाम तुकी अपना बहुमत वापस ला पाएंगे...? क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद अरुणाचल प्रदेश में संख्या बल की राजनीति ही जीतेगी...?

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...

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