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This Article is From Dec 31, 2015

राजनीति और समाज को बदलते 2015 के बड़े अदालती फैसले

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 03, 2016 20:14 pm IST
    • Published On दिसंबर 31, 2015 23:36 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 03, 2016 20:14 pm IST
साल 2015 में अदालतों ने कई बड़े फैसले लिए, जो राजनीति और समाज के लिए दूरगामी साबित होंगे।

राजनेताओं के विरुद्ध भ्रष्टाचार
सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में भ्रष्टाचार को राष्ट्रीय आतंकवाद बताते हुए भ्रष्ट नौकरशाहों की सम्पत्ति को जब्त करने और विशेष अदालत में केस चलाने के कानून को सही ठहराया और दूसरे फैसले से उम्मीदवारों द्वारा आपराधिक मामलों का पूर्ण विवरण न देने को भ्रष्ट आचरण की संज्ञा दी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में अदालत में जमानत के लिए पेश होना पड़ा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक घोटाला मामले में विशेष सीबीआई अदालत के सम्मुख आरोपी के रूप में पेश होने पर रोक लगा दी। हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और पूर्व मंत्री पीएमके नेता अंबुमणि रामदास के खिलाफ भ्रष्टाचार मामलों में कार्यवाही शुरू होने के आदेश हुए। पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में आरोप तय हुए। कोयला घोटाले में पूर्व मंत्री दसारी नारायण राव, संतोष बागरोडिया और पूर्व सांसद नवीन जिंदल, विजय दर्डा के खिलाफ कार्यवाही में तेजी आई। बीजेपी के मंत्रियों स्मृति ईरानी और वीके सिंह के खिलाफ भी अदालतों ने मामलों को सुना।

राजनेताओं को सजा, त्यागपत्र और रिहाई
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की 10 साल की सजा को बरकरार रखा, वहीं दूसरी अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पीके थुंगन को भ्रष्टाचार के मामले में साढ़े चार साल कैद की सजा सुनाई। कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में छह लोगों की दोष सिद्धि हुई। कर्नाटक हाईकोर्ट ने जयललिता को डीए केस में बरी होने पर सुप्रीम कोर्ट में अपील में विलम्ब से वह पुनः तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बन गईं। विशेष अदालत ने अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में सभी आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए सीबीआई के आरोपपत्र को गढ़े गए तथ्यों पर आधारित बताया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव को हटाकर और फिर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त लोकायुक्त वीरेन्द्र सिंह के शपथग्रहण को रोककर सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को जोरदार झटका दिया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी नेता पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को फर्जी डिग्री मामले में तथा कई अन्य विधायकों को अन्य मामलों में जेल से केंद्र-दिल्ली सरकार का टकराव और बढ़ गया।

महिला सुरक्षा और बाल अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब अविवाहित मां को बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट या पासपोर्ट के लिए नेचुरल पिता की सहमति ज़रूरी नहीं है और अन्य आदेश से जुडिशल सेपेरेशन में रहने वाली महिला भी अब स्त्रीधन के लिए आवेदन कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लिव-इन रिलेशनशिप में महिला को पुरुष पार्टनर की प्रॉपर्टी में अधिकार हासिल हो गया और केरल में अदालती आदेश के बाद अब सरोगेट मां को भी मैटरनिटी अवकाश मिल सकेगा। परन्तु बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद विवाहित महिलाएं पुरुष प्रेमी के विरुद्ध पारिवारिक हिंसा का मामला दायर नहीं कर पाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मुस्लिम संप्रदाय में एक विवाह का सामाजिक प्रयास मुस्लिमों के पर्सनल लॉ के खिलाफ नहीं है, जिससे यूनीफार्म सिविल कोड पर नई बहस छिड़ गई। मद्रास हाईकोर्ट ने बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वालों का बधियाकरण करने पर विचार की बात से कानून के तालिबानीकरण की बहस शुरू हो गई।

आरक्षण और रोजगार
सुप्रीम कोर्ट ने एआईपीएमटी की परीक्षाओं में चीटिंग के बाद सीबीएसई को दोबारा परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया। जाटों को ओबीसी रिजर्वेशन हेतु यूपीए सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया, परन्तु एक अन्य आदेश से अनुसूचित जाति के व्यक्ति की हिन्दू धर्म में वापसी पर आरक्षण के लाभ को बहाल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सुपर-स्पेशिलटी कोर्सेज़ में आरक्षण देने से इनकार कर दिया और अन्य आदेश से डीम्ड यूनिवर्सिटी को पब्लिक अथॉरिटी मानकर उनकी जवाबदेही तय कर दी। गुजरात में हाईकोर्ट ने अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं के प्रयोग की इजाजत देने से मना कर दिया, दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनेताओं तथा सरकारी अधिकारियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का आदेश देकर हलचल मचा दी।

स्वतंत्रता, समानता और मानवाधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66-ए को अभिव्यक्ति के अधिकार के उल्लंघन के आधार पर रद्द कर दिया और अन्य आदेश से सभी जेलों में दो साल के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकार को 10 वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद लैंड यूज परिवर्तन का अधिकार नहीं है। सीआईसी ने आदेश दिया कि चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट से नाम हटाने से पहले वोटर को सूचित करना आवश्यक है। राजस्थान हाईकोर्ट ने जैन समुदाय की संथारा प्रथा को गैरकानूनी घोषित करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश के बाद सिनेमा हॉल के भीतर निशुल्क पानी की व्यवस्था करना आवश्यक है। केरल हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि माओवादी होना अपराध नहीं है, जब तक व्यक्ति की गतिविधियां आपराधिक न हों। वहीं दिलचस्प फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पिंजरे में बंद पक्षियों को आसमान में उड़ने को उनका मूल अधिकार मानते हुए इंसानों को नया सन्देश देने की कोशिश की।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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