राज्यसभा द्वारा पारित जुवेनाइल विधेयक के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जेएस वर्मा ने ऐसे बदलावों को संयुक्त राष्ट्र संघ की अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन माना था, जिससे बीजेपी के सत्यनारायण जटिया की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति भी सहमत थी। विधायी कार्यों में विफल संसद द्वारा फौरी प्रक्रिया के तौर पर जल्दबाजी में पारित जुवेनाइल विधेयक में कई खामियां हैं...
1. भारत में बच्चों की परिपक्वता के मद्देनजर वोट डालने की उम्र 18 वर्ष, विवाह की 21 वर्ष और शराब पीने की उम्र अलग-अलग राज्यों में 21 से 25 वर्ष है, जिनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि भारत का कानून 18 वर्ष से छोटे व्यक्ति को बालक ही मानता है, इसलिए नए कानून के अनुसार बच्चों का वयस्कों की तरह आपराधिक ट्रायल संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन हो सकता है।
2. नए कानून के दंडात्मक प्रावधानों को पॉस्को कानून, 2012 में भी समाहित नहीं किया गया है, और इसके परिणामस्वरूप कई असंगतियां सामने आ सकती हैं।
3. केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने बाल अपराधियों के बढ़ते मामलों के एनसीआरबी के जो आंकड़े दिए हैं, वे भ्रामक हैं, जबकि पिछले तीन वर्षों में जुवेनाइल अपराध की दर 1.2 प्रतिशत ही रही है। असत्यता के आधार पर पारित इस कानून को न्यायिक चुनौती दी जा सकती है।
4. 18 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति नए कानून के अनुसार भी बच्चा है तो जुवेनाइल अपराध के लिए जवाबदेह व्यक्ति, पुलिस, अदालत एवं सरकार के विरुद्ध आपराधिक संलिप्तता का प्रावधान क्यों नहीं किया गया, जिनका ज़िक्र इस नए कानून में हुआ है।
- वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट, 2014 के अनुसार भारत एशिया में ड्रग्स की बड़ी मंडी है, जहां एक करोड़ 10 लाख से अधिक लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं, जिनमें बड़ी तादाद 15-18 वर्ष के बच्चे हैं। जुवेनाइल अपराधियों में से अधिकांश ड्रग्स का शिकार होते हैं, जिनके संचालकों में अधिकांश राजनेता हैं।
- एनसीआरबी के 2014 डाटा के अनुसार 90 फीसदी से अधिक जुवेनाइल अपराधी गरीब परिवारों से आते हैं, जिनकी सालाना आमदनी 25,000 से कम है। अधिकांश अशिक्षित जुवेनाइल अपराधियों को सरकार शिक्षा का मौलिक अधिकार देने में विफल रही है।
- भारत में सबसे अधिक सनी लियोनी की गूगल सर्च होती है और पोर्न इंडस्ट्री का आकार 14 अरब अमेरिकी डॉलर का है। एसोचैम की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार 13 वर्ष से छोटे 76 फीसदी से अधिक बच्चे देश में गैरकानूनी तरीके से यूट्यूब इत्यादि का प्रयोग कर आपराधिक-हिंसक मनोवृत्ति पैदा कर रहे हैं, क्योंकि कंपनियां आईटी एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं करतीं।
- एनसीआरबी डाटा के अनुसार वर्ष 2014 में 90 फीसदी से अधिक रेप परिवारजनों या परिचितों द्वारा किए गए। कई बार जुवेनाइल अपराधी खुद भी ऐसे अपराधों का शिकार होते हैं।
- तृणमूल सांसद डेरेक 'ओ ब्रायन ने कहा कि ऐसी घटना अगर उनकी बेटी के साथ होती तो वह या तो सबसे अच्छा वकील लाते या अपराधी को गोली मार देते। उनका यह वक्तव्य देश में न्यायिक प्रणाली की विफलता को दर्शाता है। देश में चार लाख से अधिक अंडरट्रायल जेल में बंद हैं, जिनमें बहुत बच्चे हैं, जो आगे चलकर जुवेनाइल अपराधी बन जाते हैं।
- भिक्षावृत्ति के विरुद्ध कानून होने के बावजूद देश में 14 लाख से अधिक भिखारी हैं, जिनमें अधिकांश बच्चे हैं।
- जुवेनाइल होम्स में ही निर्भया केस वाला अभियुक्त अधिक उन्मादी बन गया और उनकी विफलता की जवाबदेही तय करने की बजाए नए कानून में जिला लेवल पर इनका प्रावधान किया गया है।
5. नए कानून के अनुसार तीन महीने में एक्सपर्ट्स और किशोर न्याय बोर्ड को बच्चे की वयस्कता का निर्णय लेना होगा, लेकिन इस बीच पुलिस द्वारा आपराधिक चार्जशीट की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, जिससे बच्चे के रिफॉर्म की संभावना खत्म हो जाएगी, जो जेजे एक्ट के मूल कानून का उल्लंघन होगा।
महिलाओं को बच्चों के विरुद्ध खड़ा कर, इस कानून को समस्याओं का समाधान बताया जा रहा है, लेकिन कानून का पालन तो पुलिस को ही कराना है, जो अब अपराध का कोटा पूरा करने के लिए जुवेनाइल को चेन-स्नैचिंग के अलावा अन्य अपराधों में भी बंद करेगी। इससे समाज में चरमपंथी अपराधियों का सृजन होगा, जो आपराधिक न्याय संहिता, संविधान के मूल अधिकार और नीतिनिर्देशक सिद्धांतों के विरुद्ध है। अमेरिका के हिंसाग्रस्त समाज से प्रेरित इस कानून से निर्भया भयमुक्त नहीं होगी।
विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और टैक्स मामलों के विशेषज्ञ हैं...
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This Article is From Dec 23, 2015
विराग गुप्ता : संसद द्वारा पारित जुवेनाइल कानून में खामियां - असली अपराधी रिहा
Virag Gupta
- ब्लॉग,
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Updated:दिसंबर 23, 2015 16:53 pm IST
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Published On दिसंबर 23, 2015 16:49 pm IST
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Last Updated On दिसंबर 23, 2015 16:53 pm IST
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