असली सीडी यदि मंत्री के पास तो पुलिस द्वारा जब्ती क्यों नहीं-
ख़बरों के अनुसार मंत्री महोदय ने समर्थकों के साथ असली और फर्जी सीडी को प्रोजेक्टर में देखा. सवाल यह है कि कि असली सीडी में क्या है और वह मंत्री महोदय के पास कैसे आई? यदि मंत्री जी के पास कथित असली सीडी है तो उसे पुलिस ने अभी तक जब्त क्यों नहीं किया?
किन आकाओं से ब्लैकमेलिंग का प्रयास हुआ-
FIR के अनुसार अश्लील वीडियो के आधार पर प्रकाश बजाज के आकाओं से ब्लैकमेलिंग की धमकी मिली. FIR में शिकायतकर्ता प्रकाश बजाज के व्यवसाय का कोई जिक्र नहीं है, फिर उसके आका का पुलिस को कैसे पता चला? संविधान या लोकतान्त्रिक व्यवस्था में आकाओं का कोई स्थान नहीं है फिर पुलिस द्वारा शिकायतकर्ता की छानबीन क्यों नहीं की गई है?
FIR में अधूरे विवरण और विसंगतियां-
रायपुर के पंडरी थाने में 26 अक्टूबर की शाम 3.45 बजे दर्ज FIR में धमकी देने वाले, ब्लैकमेल होने वाले आका, सीडी में शामिल महिला पात्र, वीडियो बनाने वाले और विनोद वर्मा का भी नाम या विवरण नहीं है. प्रकाश बजाज द्वारा दर्ज FIR के अनुसार धमकी देने वाले के पास आकाओं की अश्लील वीडियो है जिसे सीडी में बंटवाने से रोकने के लिए पैसे की मांग की गई है. FIR में सुपर डिजीटल शॉप, लाजपत मार्किट पते पर सीडी बनाने का जिक्र है पर शहर के पूरे विवरण के बगैर पुलिस टीम दिल्ली कैसे आ गई? पुलिस ने आधिकारिक तौर पर लैंड लाइन नंबर की कॉल डिटेल इतनी जल्दी कैसे निकलवा ली?
मंत्री खुद को कटघरे में क्यों खड़ा कर रहे हैं-
विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के बाद मंत्री राजेश मूणत द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में खुद को बेगुनाह बताया गया है. तीन मंत्रालय संभालने वाले मूणत को यह जरुर स्पष्ट करना चाहिए कि वे प्रकाश बजाज के आका क्यों हैं? FIR में मंत्री का नाम नहीं है तथा उनके अनुसार सीडी फर्जी है, फिर राजेश मूणत क्यों घबराये हुए हैं? विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के बाद मंत्री तथा शिकायतकर्ता का नार्को तथा लाइक डिटैक्टर टेस्ट क्यों नहीं होना चाहिए?
पार्टी और सरकार द्वारा बगैर जांच के मंत्री को क्लीन चिट क्यों-
देश में इसके पहले भी मंत्री, वकील, पत्रकार, अफसर, धर्मगुरु एवं उद्योगपतियों की सीडी पर विवाद हुआ जिन पर अदालत या पुलिस के माध्यम से पूर्णविराम लगा दिया गया. सीडी समेत मामले के सभी पहलुओं पर जांच के बगैर पार्टी और सरकार द्वारा मूणत को क्लीन चिट देने की हड़बड़ी क्यों है? FIR के अनुसार कई अन्य आंकाओं का वीडियो भी बनाया गया है, तो फिर सभी मामलों की पूरी जांच क्यों नहीं होती?
बघेल के साथ मंत्री के सोशल मीडिया मित्र पर भी मामला दर्ज हो-
मूल FIR में आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली) और धारा-506 (मारने की धमकी) के आरोप हैं. नवीनतम मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के विरुद्ध आईटी एक्ट की धारा 67-ए के तहत मामला दर्ज किया गया है, फिर उन्हें भी क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया? मंत्री राजेश मूणत ने मीडिया को बताया कि उन्हें सोशल मीडिया से यह सीडी (क्लिप) मिली. अश्लील सीडी को व्हाट्सऐप से मंत्री को भेजने वाले सोशल मीडिया मित्र के खिलाफ भी पुलिस द्वारा मामला क्यों नहीं दर्ज किया जाता?
विनोद वर्मा के खिलाफ क्या हैं आरोप और क्यों पड़ा आधी रात छापा-
विनोद वर्मा का नाम पुलिस FIR में दर्ज नहीं है और पुलिस द्वारा वीडियो की सत्यता की भी जांच नहीं हुई. विनोद वर्मा ने पैन ड्राइव होने की स्वीकारोक्ति की जबकि पुलिस ने 500-1000 सीडी की कथित बरामदगी दिखाई है. पुलिस आईजी के अनुसार विनोद वर्मा ने प्रकाश बजाज या मंत्री मूणत से भी बात नहीं की. FIR में आपराधिक षड्यन्त्र 120-बी का जिक्र नहीं है तो फिर विनोद वर्मा की गिरफ्तारी किस क़ानून के तहत हुई?
गिरफ्तारी में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन क्यों नहीं-
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार पोर्नोग्राफी पर प्रतिबन्ध नहीं लगा पा रही है. विनोद वर्मा के विरुद्ध दहशतगर्दी या आतंकवाद में शामिल होने के आरोप नहीं हैं. तो फिर पुलिस ने बगैर अदालती वारंट के आधीरात को विनोद वर्मा के घर में छापा मारकर गिरफ्तारी क्यों किया? जब कोई वसूली ही नहीं हुई तो फिर विनोद वर्मा के घर में रखे पैसों को किस आधार पर जब्त किया गया?
सभी दलों की पेड न्यूज, फेक न्यूज और डिजिटल सेनाओं पर पूर्ण प्रतिबन्ध क्यों नहीं-
गिरफ्तारी के बाद यह आरोप लगाया गया कि विनोद वर्मा कांग्रेस पार्टी के लिए सोशल मीडिया की मार्केटिंग और कन्सलटिंग करते हैं. भाजपा, कांग्रेस, आप समेत सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने प्रचार हेतु डिजीटल सेनाएं बनाई हैं, जिनके खर्चों का पार्टी के हिसाब-किताब में कोई जिक्र नहीं होता. डिजीटल सेनाओं द्वारा दुष्प्रचार की बढ़ती प्रवृत्ति पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, भाजपा अध्यक्ष, सेना अध्यक्ष और चुनाव आयोग द्वारा गम्भीर चिंता व्यक्त की जाती रही है, फिर विनोद वर्मा की चुनिंदा गिरफ्तारी का क्या सबब है?
सीबीआई जांच के बाद विनोद वर्मा यदि निर्दोष हुए तो कौन करेगा क्षतिपूर्ति-
राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिए है. आरुषि हत्याकांड के बाद तलवार दम्पति की गिरफ्तारी पर पुलिस तथा सीबीआई पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हालिया मामले में यह कहा कि पुलिस द्वारा जनता को बेवजह गिरफ्तार नहीं करना चाहिए. सीबीआई जांच या अदालत से विनोद वर्मा यदि निर्दोष साबित हुए, तो उनको हुई यंत्रणा के लिए लिए, कौन सा आंका जवाबदेही लेगा?
VIDEO- पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी से उठते सवाल ...
विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...
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