विमल मोहन की कलम से : सहवाग की यह पारी क्या कहती है..?

विमल मोहन की कलम से : सहवाग की यह पारी क्या कहती है..?

वीरेंद्र सहवाग (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

वीरेंद्र सहवाग का अपना एक अलग स्टाइल है। वे इसे बार-बार साबित करते रहे जब तक वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते रहे और तब भी जब उनके दिल में आया कि अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने का वक्त आ गया है।

42 वां शतक ठोका
किसी और बल्लेबाज के लिए यह कमाल की बात कही जा सकती थी कि रिटायरमेंट के दो दिनों बाद ही घरेलू क्रिकेट में उन्होंने शतकीय पारी खेली। यह सहवाग के लिए हैरान करने वाली बात नहीं, सहज है, नेचुरल बात है। हरियाणा के कप्तान के तौर पर बल्लेबाजी करते हुए सहवाग ने कर्नाटक के खिलाफ फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपना 42वां शतक ठोक दिया। वे 170 गेंदों पर 136 रन बनाकर आउट हुए।

क्रिकेट पंडितों को किया हैरान
शतक लगाते ही वे टेलिविजन पर सुर्खियां बनाते नजर आए तो ट्वीटर पर क्रिकेट पंडितों को हैरान करते हुए दिखे। रिटायरमेंट के दो दिनों बाद ही सहवाग ने रणजी ट्रॉफी में शतक लगाकर क्रिकेट फैन्स को हैरान कर दिया। उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि उन्होंने क्रिकेट तब नहीं छोड़ी, जब उनमें क्रिकेट का दम नहीं बचा था।

सहवाग का यह अंदाज है कि मैदान पर हों तो शेर की तरह ही नजर आएं। कोई बल्लेबाज उन पर हावी होता दिखे यह उन्हें कभी मंजूर नहीं था, अब भी नहीं है। भारतीय क्रिकेट में दो तिहरा लगाने वाले इस इकलौते बल्लेबाज के बारे में सब जानते हैं कि वीरू का बल्ला रिकॉर्ड के लिहाज से कभी नहीं बोला।

मुल्तान में तिहरा शतक लगाने का इतिहास रचा
साल 2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में खेली गई उनकी 195 रनों की पारी उनका बेहतरीन सिग्नेचर है। उस पारी में 189 से 195 के स्कोर पर वे छक्का लगाकर पहुंचे और फिर वहां एक बड़ा शॉट लगाने के चक्कर में दोहरे शतक से चूक गए। सहवाग को अफसोस अपने दोहरे शतक को हासिल नहीं कर पाने का नहीं बल्कि इस बात का था कि वे उस गेंद पर आउट हुए जिस पर शॉट लगना चाहिए था। और 2004 में मुल्तान में उनके सकलैन मुश्ताक की गेंद पर लगाए गए उस छक्के को कौन भूल सकता है जिसके सहारे वे भारतीय क्रिकेट के इतिहास में पहला तिहरा शतक लगाने वाले बल्लेबाज बन गए।

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अपने 192वें फर्स्ट क्लास मैच में 42वां शतक (औसत 47.35, टेस्ट औसत 49.34) लगाने वाले सहवाग पिच पर अपनी स्क्रिप्ट खुद लिखते हैं। उनके बारे में कोई भी क्रिकेट पंडित अब भविष्यवाणी करने का खतरा मोल नहीं लेता। हर पारी की एक अलग दास्तां होती है। सहवाग की यह पारी भी कुछ कहती है..।