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गाजा में शांति लाने से कितनी दूर है डोनाल्ड ट्रंप का सीजफायर प्रस्ताव

Naghma Sahar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 04, 2025 12:44 pm IST
    • Published On जुलाई 04, 2025 12:35 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 04, 2025 12:44 pm IST
गाजा में शांति लाने से कितनी दूर है डोनाल्ड ट्रंप का सीजफायर प्रस्ताव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा के लिए 60 दिन के एक नए सीजफायर का एलान किया है. उनके मुताबिक ये सीजफायर का फाइनल प्रस्ताव है और इजरायल को इसकी शर्तें मंजूर हैं. शायद ईरान और इजरायल के बीच छिड़े युद्ध को रुकवाने के बाद ट्रंप के हौंसले बुलंद हैं. लेकिन इस सीजफायर में शामिल दोनों खेमे उत्साह में नहीं दिख रहे हैं. हमास का कहना है कि वो इस सीजफायर प्रस्ताव पर गौर कर रहा है. लेकिन शर्त ये है कि इजरायल गाजा पट्टी से पूरी तरह से बाहर निकले और युद्ध का अंत हो. वहीं इजरायल ने इस पर आधिकारिक तौर पर हामी नहीं भरी है, बल्कि नेतन्याहू ने दोहराया है कि युद्ध हमास के अंत के साथ ही खत्म होगा.

क्या है इजरायल-हमास युद्ध की सच्चाई

इस सब के बीच सच्चाई यह है कि न हमास का खात्मा हुआ, ना अब तक सारे इजरायली बंधक छूटे हैं और ना ही गाजा की तबाही रुकी है. इस बीच कई सवाल भी खड़े हुए हैं, क्या 60 दिन के इस सीजफायर के लिए हमास और इजरायल तैयार हो जाएंगे? क्या इसके बाद शांति लौटेगी? किन शर्तों पर होगा यह सीजफायर. 

गाजा के विस्थापितों के टेंट. इस युद्ध की वजह से लाखों लोगों को दर-बदर होना पड़ा है.

गाजा के विस्थापितों के टेंट. इस युद्ध की वजह से लाखों लोगों को दर-बदर होना पड़ा है.

इस सीजफायर के लिए मधयस्थता करने वाले दोनों देश मिस्र और कतर सीजफायर की पूरी कोशिश में हैं.

हमास यह कहता रहा है कि उसे सीजफायर इसी शर्त पर मंजूर होगा कि यह युद्ध पूरी तरह से खत्म हो, लेकिन वो अभी इससे पूरी तरह से इनकार भी नहीं कर रहा है. हमास के पास ऐसा करने के कई कारण हैं. वो मध्यस्थ देश, कतर और इजिप्ट की कोशिशों का सम्मान करना चाहता है. दूसरे वो इस प्रस्ताव पर विचार करने के बहाने थोड़ा और समय चाहता है, क्योंकि ट्रंप की तरफ से हमास पर दबाव बढ़ रहा है कि अगर हमास इस सीजफायर की शर्तें नहीं मानेगा तो फिर नतीजा इससे और भी ज्यादा बुरा होगा. इसलिए उसकी तरफ से ना कोई साफ हां है ना ही ना. हालांकि हमास यह बात याद दिला रहा है कि हमास का मकसद युद्ध का अंत है.सिर्फ एक अस्थायी सीजफायर के आधार पर इस समस्या पर एक और चर्चा नहीं.

ईरान-इजरायल युद्ध का असर

इजरायल और हमास दोनों के बयान उनकी पुरानी स्थिति को दोहराते हैं.इन बयानों से ये असमंजस बना हुआ है कि आखिर यह युद्धविराम हो भी जाए तो दोनों के बीच समझौता किन शर्तों पर हो सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो समझौता लेकर आएं हैं उस पर अभी इजरायल या हमास ने खुलकर कुछ नहीं कहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो समझौता लेकर आएं हैं उस पर अभी इजरायल या हमास ने खुलकर कुछ नहीं कहा है.

ट्रंप के बयान को क्या गंभीरता से लिया जा सकता है. क्या ट्रंप इस क्षेत्र में एक स्थायी शांति ला पाएंगे. 

नेतन्याहू पर भी घरेलू दबाव है कि करीब दो साल से चल रही इस जंग का अंत हो. इस बीच इस क्षेत्र में 12 दिनों तक ईरान और अमेरिका-इजरायल के बीच चला युद्ध कुछ समीकरण भी बदल सकता है. हमास को तेहरान का समर्थन रहा है, लेकिन क्या अमेरिका-इजरायल के साथ टकराव के बाद ईरान कुछ कमजोर हुआ है. ईरान का कमजोर होना हमास और क्षेत्र के दूसरे देशों पर इजरायल के साथ क्या नए समीकरण बनाने का दबाव भी डालेगा.

गाजा में लगातार हमले करता इजरायल

ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा ऐसे वक्त की है जब इजरायल के प्रधानमंत्री का व्हाइट हाउस दौरा होने वाला है. इस ऐलान के एक दिन पहले गाजा ने एक भयावह हिंसक दिन देखा, इजरायली हमले में 70 लोग मारे गए. ईरान के साथ हुई लड़ाई के दौरान इजरायल ने गाजा में होने वाले हमलों में तेजी ला दी थी.समंदर किनारे एक कैफे में हुए हमले में कई आम लोग मारे गए थे. इसमें एक फलीस्तीनी फोटो जर्नलिस्ट भी शामिल था. इसके अलावा एक स्कूल पर हमला किया गया,जिसमें फलीस्तीनी शरणार्थी रह रहे थे. इजरायल के समर्थन वाले गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन में इजरायली सैनिकों ने गोलियां चलाईं.

गाजा पर इजरायली हमले में अब तक 56 हजार से अधिक फलीस्तीनी मारे गए हैं.

गाजा पर इजरायली हमले में अब तक 56 हजार से अधिक फलीस्तीनी मारे गए हैं.

ट्रंप ने इरान और इजरायल के बीच छिड़े युद्ध को एक सीजफायर पर सहमति बनवा कर रोका. इसके बाद उन्होंने अपना ध्यान गाजा की तरफ किया. ट्रंप को भी शायद उम्मीद है कि इरान के परमाणु ठिकानों पर हुए अमरीकी-इजरायली हमलों के बाद ईरान कमजोर हुआ होगा. ईरान इस क्षेत्र में हमास का प्रमुख और सबसे मजबूत सहयोगी रहा है. इरान पर हमला शायद हमास को भी सीजफायर की शर्तों को मानने पर मजबूर करेगा.

सीजफायर की शर्तों पर असमंजस

सीजफायर के प्रस्ताव पर कतर और मिस्र काम कर रहे हैं.लेकिन इसकी शर्तें क्या हैं, यह अभी साफ नहीं हैं.शायद इन शर्तों  में एक यह है कि हमास 10 जिंदा बंधकों को रिहा करेगा और मारे गए 18 बंधकों के शव सौंपेगा.इस नए सीजफायर के प्रस्ताव की सफलता पर शक जताया जा रहा है, क्योंकि इसके पहले के सीजफायर टिक नहीं पाए. युद्ध शुरू होने के  6 हफ्तों बाद नवंबर 2023 में हुआ सीजफायर एक हफ्ते ही टिक पाया था.इसमें शुरुआती इजरायली बंधकों और फलीस्तीनियों की अदला-बदली हुई थी. उसी महीने अमेरिका नें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का युद्ध रोकने का प्रस्ताव यह कहकर खारिज कर दिया कि हमास 'टू स्टेट' समाधान मानने को तैयार नहीं है.

गाजा में पिछले करीब दो साल से चल रहे युद्ध में अब तक 56 हजार से अधिक फलीस्तीनी और 1700 इजरायली मारे गए हैं. क्या यह नया सीजफायर 60 दिन के बाद भी शांति बहाल कर पाएगा. 

अस्वीकरण: इस लेख में दिए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इनसे एनडीटीवी का सहमत या असहमत  होना जरूरी नहीं है.

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