पाकिस्तान से गीता की वापसी की तैयारी केजियामणि के लौटने की कहानी की याद दिला रही है। हालांकि दोनों की कहानी में बड़ा फर्क है, लेकिन एक बात जो समान है, वह ये कि दोनों के कई साल पाकिस्तान में बीते हैं। गीता का मामला ताज़ा है इसलिए सबको पता है कि किस तरह से वह अपने परिवार से बिछड़कर पाकिस्तान में पहुंची और वहीं पली-बढ़ी, लेकिन केजियामणि के साथ धोखा कर एक पाकिस्तानी उसे सऊदी अरब से पाकिस्तान लेकर आ गया। फिर वहीं फंस कर रह गई। मानवाधिकार संगठनों की कोशिश की वजह से केजियामनि 2007 में पाकिस्तान से लौटी तो मेरे साथ एक ही फ्लाइट में।
कर्नाटक की केजियामणि सऊदी अरब में नर्स थी। बहला फुसलाकर पाकिस्तान लाए जाने के बाद यहां उसका पासपोर्ट आदि जला दिया गया था। उसे घर में क़ैदकर रखा गया। वो वहां क़रीब 17 साल रही। मानवाधिकार संगठनों की मदद से जब उसके लौटने का रास्ता साफ़ हुआ तो सवाल उठा काग़ज़ात कैसे बने।
तब दोनों देशों के बीच बनी आपसी सहमति के आधार पर पाकिस्तान ने उसको अपना पासपोर्ट दिया और उस पासपोर्ट पर भारत ने केजियामणि को 120 दिन का वीज़ा दिया। केजियामणि को भारत पहुंचने के बाद भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन देना था। इस तरह से उसकी भारतीयता दोबारा बहाल हुई।
गीता का मामला इस मायने में अलग है कि उसे पाकिस्तान में एक ऐसा परिवार मिला जिसने उसे अपनी बच्ची की तरह पाला। दिक्कत ये थी कि भारत में उसके परिवार का पता नहीं चल रहा था। अब पता चला है। क्योंकि गीता की भारतीयता की पुष्टि हो चुकी है इसलिए भारत की तरफ से उसे यात्रा दस्तावेज़ दिया जाना तय है। ये पासपोर्ट भी हो सकता है या यात्रा परमिट भी। दिल्ली में विदेश मंत्रालय और इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग यात्रा दस्तावेज़ तैयार करने में जुटे हैं।
This Article is From Oct 15, 2015
उमाशंकर सिंह की कलम से : गीता से याद आई केजियामणि की कहानी
Reported By Umashankar Singh
- ब्लॉग,
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Updated:अक्टूबर 15, 2015 17:00 pm IST
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Published On अक्टूबर 15, 2015 16:52 pm IST
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Last Updated On अक्टूबर 15, 2015 17:00 pm IST
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