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Modern Education: श्रीकृष्ण की गीता अब आधुनिक शिक्षा का आधार! देवऋषि का वैकल्पिक पाठ्यक्रम

Spiritual Knowledge: ऐसे यूनिवर्सिटी और स्कूल हैं जहां पर सिलेबस में अध्यात्मिक पढ़ाई भी की जाती है. जिससे बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ जीवन जीने का भी ज्ञान मिले.

Modern Education: श्रीकृष्ण की गीता अब आधुनिक शिक्षा का आधार! देवऋषि का वैकल्पिक पाठ्यक्रम
नई दिल्ली:

Modern Education: आधुनिक शिक्षा में बच्चों को टेक्नोलॉजी और किताबों का ज्ञान भर-भर के दिया जा रहा है. लेकिन कई ऐसे यूनिवर्सिटी और स्कूल हैं जहां पर सिलेबस में अध्यात्मिक पढ़ाई भी की जाती है. जिससे बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ जीवन जीने का भी ज्ञान मिले. स्कूलों के सिलेबस में भगवद् गीता और यूनिवर्सिटी में अध्यात्मिक कोर्स किया गया है. इसी बीच अध्यात्मिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मेन स्ट्रीम से जोड़ने के लिए भारतीय दार्शनिक और संगीतकार ऋषिकेश पांडेय काम कर रहे हैं. 

भारतीय दार्शनिक और संगीतकार ऋषिकेश पांडेय ने अपने नए उपन्यास ‘द कृष्ण इफेक्ट' के जरिए श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को आधुनिक मानसिक, नैतिक और सामाजिक संकटों से जोड़ते हुए एक ऑप्शनल शिक्षाशास्त्र पेश किया है. ‘देवऋषि' नाम उन्होंने 2025 में एक गहन आत्मिक अनुभव के बाद स्वीकार किया, जबकि इस उपन्यास की मूल प्रेरणा उन्हें नवंबर 2024 की एक वृंदावन यात्रा के दौरान मिली जहां उन्होंने कृष्णभक्ति, मौन और मानसिक उथल-पुथल के बीच जीवन की गहराइयों को नये ढंग से अनुभव किया. 

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द कृष्ण इफेक्ट

उपन्यास को महागाथा द्वारा प्रकाशित किया गया है जिसका अधिग्रहण हाल ही में देवोती भारत ने किया, और इसकी भूमिका स्वयं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लिखी है. उन्होंने इसे “श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का आज के युग में आवश्यक और चेतनामय रूपांतरण” बताया है.  ‘द कृष्ण इफेक्ट' केवल एक कथा नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक यात्रा है, जहां श्रीकृष्ण का ज्ञान आत्मिक चिकित्सा बनकर उभरता है. देवऋषि का मानना है कि संस्कृत केवल भाषा नहीं, एक सुर है, और गीता, अपने वास्तविक स्वरूप में, एक “गीत” है. जब मन अस्थिर हो, तो शब्द नहीं, ध्वनि ही स्थिरता लाती है. यही कारण है कि उपन्यास में उन्होंने ध्यान और श्रवण को जीवन-परिवर्तनकारी औषधि की तरह चित्रित किया है.

Indian Sonic Philosophy

इस उपन्यास में प्रस्तुत ‘ध्वनि दर्शन' (Indian Sonic Philosophy) वेदों में वर्णित नाद ब्रह्म की अवधारणा से प्रेरित है. यह दर्शन कहता है कि सुनना केवल श्रवण क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा से जुड़ने की प्रक्रिया है. उपन्यास यह भी दर्शाता है कि जब हम किसी व्यक्ति से अपेक्षा करते हैं और वह हमारी मांग पूरी न कर सके, तो हम उसे दोषी मान लेते हैं बिना जाने कि उसके भीतर भी एक अदृश्य युद्ध चल रहा हो सकता है. अधूरी जानकारी और अधूरा विश्लेषण, आधुनिक मन की सबसे बड़ी विडंबना है.

देवऋषि यह स्पष्ट करते हैं कि हर संघर्ष में टिके रहना आवश्यक नहीं होता. कभी-कभी खुद को पीछे हटाकर परिस्थिति को समझने का अवसर देना ही विवेक होता है. यही श्रीकृष्ण की स्थितप्रज्ञता की आधुनिक अभिव्यक्ति है. ‘द कृष्ण इफेक्ट' यह संदेश देता है कि शिक्षा केवल सूचना नहीं, बल्कि आत्मचेतना की ओर जाने वाली यात्रा है. श्रीकृष्ण इस उपन्यास में केवल उपदेशक नहीं, बल्कि उस मौन की प्रतिध्वनि हैं, जिसमें जीवन के सबसे गूढ़ उत्तर छिपे होते हैं. यह उपन्यास विशेष रूप से आज की उस पीढ़ी के लिए है जो गति, प्रतिस्पर्धा और तकनीक के शोर में अपनी आंतरिक ध्वनि को खो बैठी है. यह कृति पाठकों को आमंत्रण देती है कि वे अपने भीतर के कृष्ण को सुनें और जीवन को केवल जीना नहीं, गहराई से समझना भी सीखें.

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