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This Article is From Sep 15, 2022

गुजरात को मिली 20 अरब डॉलर की डील से टीम उद्धव को महाराष्ट्र में होगा फायदा

Swati Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 15, 2022 16:19 pm IST
    • Published On सितंबर 15, 2022 13:38 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 15, 2022 16:19 pm IST

इसी साल जून में महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से ही उद्धव सेना को वापसी के लिए बहुत बेचैनी से एक मुद्दे की तलाश थी. अब उन्हें एक मुद्दा मिल गया है, और उसके युवा नेता आदित्य ठाकरे खुद अगुवाई करते हुए इस मुद्दे को लेकर उस सरकार पर धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं, जिसने उनके पिता की सरकार को हटाया था.

मंगलवार को घोषणा की गई कि 20 अरब डॉलर की सेमी-कंडक्टर बनाने का एक प्रोजेक्ट ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन के साथ साझेदारी में वेदांता द्वारा गुजरात को आवंटित किया गया.

इस प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र भी दौड़ में शामिल था, या यूं कहें कि कम से कम महाराष्ट्र को लगता था कि वह दौड़ में था. अब उद्धव सेना ने एकनाथ शिंदे और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार पर एक सुनहरा मौका गंवा देने और उस अवसर को प्रधानमंत्री के गृहराज्य के हाथों में जाने देने का आरोप लगाया है.

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आदित्य ठाकरे (फाइल फोटो)

गुजरात सरकार का कहना है कि आदित्य ठाकरे, और उद्धव सेना के अन्य लोग बिल्कुल इसी प्रकार के आरोप लगाते रहे हैं 'मराठी मानुस' के खिलाफ भेदभाव हुआ. 'मराठी मानुस' के खिलाफ भेदभाव की शिकायतों को शिवसेना दशकों से उठाती आ रही है.

20 अरब अमेरिकी डॉलर का यह प्रोजेक्ट अहमदाबाद के पास स्थित है, जिससे 1,00,000 नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है और गुजरात सरकार ने कहा है कि यह संयुक्त उद्यम (Joint Venture) देश के किसी भी सूबे में किसी भी कंपनी द्वारा किया गया सबसे बड़ा निवेश है.

वेदांता की यह डील बेहद अहम मौके पर घोषित हुई है, जब जल्द ही गुजरात में अगली सरकार चुनने के लिए चुनाव होने जा रहे हैं, और इससे गुजरात में सत्तासीन BJP को फायदा, सच कहें तो काफी फायदा होगा. इसी बात से एकनाथ शिंदे कुछ शर्मिन्दगी महसूस कर रहे हैं कि मोटे तौर पर उनकी सरकार को चलाने वाली BJP को इससे फायदा होगा, और उन्होंने इसी के चलते आज प्रधानमंत्री को फोन कर राज्य की भावनाएं बांटते हुए कहा कि यह प्रोजक्ट महाराष्ट्र को दिया जाना चाहिए था.

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देवेंद्र फडणवीस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा एकनाथ शिंदे

वह कहते हैं कि PM ने उन्हें आश्वासन दिया था कि "जल्द ही महाराष्ट्र को एक बड़ा प्रोजेक्ट दिया जाएगा..." प्रधानमंत्री ने, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में टाटा नैनो के प्रोजेक्ट को पश्चिम बंगाल से गुजरात स्थानांतरित कर दिया था, जहां ममता बनर्जी ने कार कारखाने के खिलाफ भारी विरोध का नेतृत्व किया था.

एकनाथ शिंदे की झल्लाहट सही है. मुंबई के नगरपालिका चुनाव, यानी बेहद अहम BMC चुनाव जल्द ही होने जा रहे हैं, और अगर वह नगरपालिका को उद्धव सेना से जीत लेते हैं, तो पार्टी संस्थापकों के परिवार के खिलाफ विद्रोह के बाद उनका यह दावा मज़बूत हो जाएगा कि असली शिवसेना उन्हीं के नियंत्रण में है.

लेकिन प्रधानमंत्री और उनके सबसे अहम सहयोगी अमित शाह को गुजरात चुनाव में बेहद मज़बूत प्रदर्शन करना होगा. गुजरात में BJP वर्ष 1998 से लगातार सत्तारूढ़ है, और यहां इस बार अरविंद केजरीवाल खुद को दूसरे नंबर की पार्टी साबित करने के लिए डटे हुए हैं. अगर वह कांग्रेस को पछाड़ने में कामयाब हो जाते हैं, तो राष्ट्रव्यापी स्तर पर प्रमुख विपक्षी दल होने का उनका दावा मज़बूत होगा, और यह ऐसी संभावना है, जिससे कांग्रेस के साथ-साथ BJP भी खुश नहीं हो सकती.

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गुजरात में अरविंद केजरीवाल

प्रधानमंत्री का बहुप्रचारित 'गुजरात मॉडल' 20 अरब डॉलर के निवेश वाले वेदांता-फॉक्सकॉन जैसे प्रोजेक्ट हासिल करने पर ही पूर्णतः आधारित था. अब BJP के शीर्ष नेतृत्व का असमंजस यह है - वे सार्वजनिक रूप से अपने गृहराज्य का पक्ष लेते और महाराष्ट्र की कीमत पर गुजरात को लाभ पहुंचाते नहीं दिख सकते. लेकिन, फिर भी आगामी गुजरात चुनाव को देखते हुए इस शानदार प्रोजेक्ट और उससे होने वाले फायदों के बारे में मतदाताओं से बात तो उन्हें करनी ही होगी.

उद्धव सेना अब भी कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी के साथ गठबंधन में हैं, और दोनों ही वेदांता का प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के हाथ से निकल जाने को लेकर नाराज़ हैं. विपक्ष के नेता अजीत पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को खत लिखकर कहा है कि महाराष्ट्र की तरक्की औऱ नौकरियों के लिए यह प्रोजेक्ट ज़रूरी था.

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अजीत पवार (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के नेताओं के पास ऐसी परियोजनाओं की पूरी सूची है, जिन्हें वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा केंद्र की सत्ता संभालने के बाद गुजरात में स्थानांतरित किया गया. इस सूची में मुंबई की डायमंड मार्केट को गुजरात के शहर सूरत में स्थानांतरित करना शामिल है. इसके अलावा, नवंबर, 2007 में इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर को भी मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से गुजरात के गिफ्ट सिटी में स्थानांतरित किया गया था, जिसकी महाराष्ट्र ने भारी कीमत चुकाई, क्योंकि इस स्थानांतरण के फलस्वरूप 1.63 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश गुजरात की ओर चला गया. कांग्रेस का दावा है कि मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उस वक्त लोगों को गुमराह किया था कि मुंबई में भी एक इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर बनाया जाएगा, और इसकी बदौलत गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फायदा उठाने का मौका मिल गया.

महाराष्ट्र इस वक्त देश का दूसरा सबसे ज़्यादा औद्योगीकृत राज्य है (तमिलनाडु अव्वल है) और नौकरियां पैदा करने को लेकर यहां काफी चिंता रहती है.

यही वह पहलू है, जिसे टीम उद्धव भुनाना चाहती है. भावनात्मक भाषणों में क्षेत्रीय लाभ-हानि का बखान किया जाएगा, बताया जाएगा कि महाराष्ट्र और मुंबई को 'बाहरी लोग' तबाह कर रहे हैं.

स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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